"कभी सोचा है, अगर ‘वजाइना’ के लिए कोई शब्द ही ना होता तो लोग इसे क्या कहते? हां, हमें पता है कि आपके पास कई नाम है लेकिन हम उन नामों के बारे में फिलहाल बात नहीं कर रहे। तो बात ये है कि एक तरफ लोग इसे पूजते हैं, तो दूसरी तरफ अनेक कारणों से इससे डरते भी हैं। क्या आपको डर के कारण के बारे में पता है? खैर, आपको पता चल जाएगा। इस हफ़्ते के ‘Sex in the Press’ में योनि की पूजा और उसके साथ जुड़े मिथखों की बात होगी।”
सुपर पॉवरफुल योनि
कभी एक समय था, जब दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स की पूजा की जाती थी। पहले ‘शर्म’ जैसी अवधारणा लोगों के दिमाग में नहीं थी। योनि को तब ताकत, सृजन और प्रजनन का प्रतीक माना जाता था। वहीं कभी-कभी सज़ा देने वाली शक्ति के रूप में भी देखा जाता था। देखा जाए, तो सिंधु घाटी सभ्यता में पुरुषों के लिंग के पूजन की बात मिलती है, जिसे फैलस कहा जाता था।
लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। अब बहुत से लोग योनि से डरते हैं। उस पर बात करने से कतराते हैं।
जब पूजा बन गई शर्म
सोचो, कभी ऐसा वक्त था जब योनि को डर नहीं बल्कि ताकत माना जाता था। लोग मानते थे कि खुली योनि देखकर शैतान भाग जाता है क्योंकि उसमें ज़िंदगी देने की सुपरपावर थी। एक वक्त ऐसा था, जब महिलाओं के शरीर को सेलिब्रेट किया जाता था, छिपाया नहीं जाता था।
हिंदू कहानी के अनुसार जब देवी शक्ति ने अपना देह त्याग दिया, तब भगवान शिव दुख में तांडव करने लगे इसलिए दुनिया को बचाने के लिए विष्णु जी ने शक्ति के शरीर के 51 टुकड़े कर पूरे देश में फैला दिए।
मान्यता है कि जहां-जहां देवी शक्ति की योनि गिरी, वहां आज एक मंदिर है। वहां हर साल देवी के मासिक धर्म के समय महोत्सव का आयोजन होता है। लोगों का मानना है कि उस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है। जैसे देवी की शक्ति बह रही हो।
लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। कभी जिस अंग की पूजा होती थी, वो अब शर्म, डर और चुप्पी का कारण बन गई है।
देवी कापो की कहानी
हवाई की एक देवी कापो फर्टिलिटी (उपजाऊपन) की देवी मानी जाती थीं। उनकी कहानी थोड़ी अलग और बेहद दिलचस्प है।
मान्यता है कि जब कापो की बहन पर एक आधे इंसान–आधे सुअर जैसे जीव ने हमला किया, तब कापो ने अपनी योनि को शरीर से अलग कर दिया और उसे हवा में उड़ा दिया ताकि उस राक्षस का ध्यान बंट जाए और ऐसा ही हुआ। वो जीव उड़ती हुई योनि के पीछे भागता रहा और इस बीच कापो की बहन बच गई।
इसलिए पुराने ग्रंथों में योनि को “पवित्र जगह”, “खुशी का स्थान” और “ब्रह्मांड के रहस्यों का प्रतीक” कहा गया है।
वो सिर्फ शरीर का हिस्सा नहीं थी बल्कि एक दिव्य शक्ति थी, जो सृजन, सुरक्षा और आज़ादी की निशानी थी।
पोर्न में वजाइना
अब दौर काफी बदल गया है। अब पहले से ज़्यादा जागरुकता आनी चाहिए थी, तो अब बहुत कुछ डर, चुप्पी के पीछे छुप गया है। अब जब वजाइना दिखाई देती है, तो वो ज़्यादातर पोर्न और एडल्ट कंटेंट में होती है, जहां इसका मतलब सिर्फ़ सेक्स और फैंटेसी से जोड़ा जाता है।
कभी जो चीज़ पूजा और सम्मान की प्रतीक थी, वो अब कंटेंट और क्लिक का हिस्सा बन गई है।
साइज़ की बातें
पुरुषों के लिए तो उनका लिंग का साइज सबसे बड़ी परेशानी होती है। हमने देखा है कि हमारे अधिकांश इन्बॉक्स साइज के आसपास ही रहते हैं कि लिंग का साइज कैसे बड़ा करें? अब ये तो नहीं हो सकता। “साइज़ मायने रखता है” लेकिन क्या सच में? और किसके लिए?
एक आर्टिकल में पूछा गया- "क्यों कोई वजाइना के साइज़ की बात नहीं करता?" हम हमेशा पेनिस के साइज़ और आकार पर ही ध्यान देते हैं। रिसर्च ये तक बताती हैं कि पेनिस का साइज़ इवोल्यूशन का नतीजा है ताकि वो “दूर तक स्पर्म भेज सके” और अपने सबसे अच्छे जीन्स को आगे बढ़ा सके।
तो क्या इसका मतलब है- जो बड़ा, वही विजेता। बाकी सब? “लूज़र।” अरे नहीं।
सोचो अगर योनि बहुत बड़ी या बहुत छोटी हो, तो क्या वो पुरुषों के लिंग में फिट हो सकेगी? तो फिर योनि के साइज़ पर इतनी चुप्पी क्यों? सिर्फ़ एक हिस्से के साइज़ पर बात करना वैसे ही अधूरा है, जैसे ताले को भूलकर सिर्फ़ चाबी के बारे में सोचना।
योनि का साइज?
पुरुषों के लिंग के साइज़ पर तो हज़ारों बातें होती हैं और ना जाने कितनी शोध हुई लेकिन योनि के साइज़ पर शायद ही कोई बात करता है।
असल में, बड़ी वजाइना कोई रहस्य नहीं है क्योंकि वहीं से बच्चे पैदा होते हैं। जो चीज़ छोटे स्पर्म को अंदर आने देती है, वही एक पूरे बच्चे को बाहर भी लाती है! क्या ये अपने-आप में जादू नहीं है? सोचो, जो योनि देखने में इतनी छोटी-सी लगती है, उसी से तुम भी बाहर आए हो। हां, जब छोटे थे तब लेकिन एक बच्चे का साइज और आकार देखी ही होगा!
फिर भी, समाज ने पेनिस को ही “हीरो” बना दिया और योनि को अकेला छोड़ दिया।
जब नाम ही नहीं बचा
म्यांमार में एक बात बहुत अजीब है। वहां “योनि” के लिए कोई शब्द ही नहीं है। सोचो, एक पूरे देश की भाषा में महिला शरीर के इस हिस्से का नाम ही गायब है!
जब किसी चीज़ का नाम ही नहीं लिया जा सकता, तो उसके बारे में बात, सम्मान या हक़ की उम्मीद कैसे करोगे?
वहां के कुछ कट्टर बौद्ध भिक्षु मानते हैं कि महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स “गंदे” या “अशुद्ध” होते हैं। वे ऐसे विचार फैलाकर और कड़े कानून बनवाकर महिलाओं को दूसरे दर्जे का नागरिक बना रहे हैं।
विडंबना ये है कि बौद्ध धर्म “खालीपन” (emptiness) की बात करता है लेकिन जब योनि के इस प्रतीकात्मक खालीपन की बात आती है, तो वही लोग डर और चुप्पी में घिर जाते हैं।
सोचो, जिसका नाम ही नहीं है, तो उसकी पूजा कैसे होगी?
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