क्या योनि को टाइट करने की ज़रूरत है?

क्या योनि को टाइट करने की ज़रूरत है?

क्या सच में वजाइना/योनि को टाइट करना ज़रूरी है? आजकल हर जगह बस एक ही बात सुनाई देती है- "वजाइना टाइट करो, तभी मज़ा आएगा!" लेकिन क्या ये सच है या बस एक चाल है, महिलाओं को शर्मिंदा करने की या बातें बनाने के लिए एक टॉपिक? चलिए, इस टॉपिक की परतें खोलते हैं। बिना किसी झिझक और बिना किसी डर के।

मार्केट में ऐसे कई प्रोडक्ट्स मिलते हैं, जो वजाइना /योनि को गोरी बनाने और उसे टाइट करने का दावा करते हैं लेकिन रुकिए, क्या इसकी जरूरत है? किसने कहा और कौन ऐसी बातें फैला रहा है? 

‘वजाइनल टाइटनर’ कोई नई चीज़ नहीं है। दुनिया भर में ऐसे कई प्रोडक्ट्स मिलते हैं। कई महिलाएं फोरम्स पर लिखती हैं कि बच्चे के जन्म के बाद उन्हें लगता है उनकी वजाइना पहले जैसी टाइट नहीं रही। कुछ कहती हैं कि इससे उनके और उनके पार्टनर के सेक्शुअल मज़े पर असर पड़ा है।

ये सब बकवास है

पूर्व मिडवाइफ और सेक्सोलॉजिस्ट हैनेके टर्मियर कहती हैं कि सेक्स का वजाइना या पेनिस के साइज़ से कोई लेना-देना नहीं होता।
उनके मुताबिक, “अच्छा सेक्स पूरी तरह अराउजल यानी उत्तेजना पर निर्भर करता है। बच्चे के जन्म के बाद या उम्र बढ़ने के साथ ये बदल सकता है लेकिन कोई क्रीम, सर्जरी या एक्सरसाइज़ वजाइना को टाइट करके सेक्स पर असर नहीं डाल सकती।”

फिटकिरी का इस्तेमाल!

ज़्यादातर वजाइना-टाइट करने वाले प्रोडक्ट्स में एक आम इंग्रीडिएंट होता है, फिटकरी (जिसे सौराष्ट्री भी कहा जाता है)। फिटकरी का इस्तेमाल आमतौर पर छोटे घावों को भरने, आफ्टरशेव या नेचुरल डियोड्रेंट के रूप में किया जाता है। कई जगहों पर महिलाएं पीढ़ियों से इसे वजाइना को टाइट करने के लिए पानी में मिलाकर लगाती रही हैं। कुछ कहती हैं कि उन्होंने ये नुस्खा अपनी दादी से सीखा था।

लेकिन सेक्सोलॉजिस्ट टर्मियर ऐसे घरेलू नुस्खों से साफ़ मना करती हैं। उनका कहना है कि फिटकरी वजाइना की स्किन और उसके नेचुरल बैक्टीरिया के लिए हानिकारक हो सकती है। डॉक्टर भी चेतावनी देते हैं कि फिटकरी से सूखापन, इन्फेक्शन और स्किन डैमेज जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

एथनोबोटनिस्ट टिंडे वैन एंडेल, जिन्होंने नेचुरल प्रोडक्ट्स पर रिसर्च की है, कहती हैं कि फिटकरी या ऐसी जड़ी-बूटियां वजाइना की सेहत के लिए सही नहीं हैं। इन प्रोडक्ट्स में मौजूद टैनिक एसिड या कसैली चीज़ें स्किन को सूखा बना सकती हैं और इरिटेशन बढ़ा सकती हैं।

वजाइना खुद होती है टाइट

टर्मियर कहती हैं, “वजाइना टाइट करना ना तो ज़रूरी है और ना ही फायदेमंद है। कई महिलाएं मुझसे पूछती हैं कि उनकी या उनके पार्टनर की नज़र में वजाइना ढीली क्यों लगती है। मैं उन्हें समझाती हूं कि असली फर्क उत्तेजना से पड़ता है, ना कि साइज़ से। जब औरत पूरी तरह से अराउज़ होती है, तो वजाइना खुद ही टाइट और लचीली महसूस होती है। अगर किसी पुरुष को फर्क लगता है, तो उसे बस अपने पार्टनर को ज़्यादा अच्छे से अराउज़ करने की कोशिश करनी चाहिए।”

विवादित विज्ञापन

एक क्रीम बनाने वाली कंपनी का कहना है कि वजाइना टाइट करने वाली प्रोडक्ट का क्लिनिकल टेस्ट हुआ है और इसे अप्रूवल भी मिला है। कंपनी के चेयरमैन ऋषि भाटिया के मुताबिक लोगों ने प्रोडक्ट की नहीं, बल्कि उसके विज्ञापन की आलोचना की थी।

इस विज्ञापन में एक महिला साड़ी पहनकर पारंपरिक माहौल में अपने पति के साथ नाचती हुई गाती है- “मुझे वर्जिन जैसा महसूस हो रहा है।” यह वीडियो रूढ़िवादी लोगों और फेमिनिस्ट्स, दोनों को पसंद नहीं आया।

भाटिया कहते हैं, “भारत अभी भी थोड़ा रूढ़िवादी है। यहां ‘वजाइना’ शब्द बोलना भी टैबू माना जाता है।” वो बताते हैं कि यह क्रीम सिर्फ टाइटनिंग के लिए नहीं, बल्कि इन्फेक्शन, बदबू और पेशाब लीक जैसी समस्याओं में भी मदद के लिए बनाई गई है।

कॉन्फिडेंस बनाम इनसिक्योरिटी

भाटिया का कहना है कि कंपनी कभी ये नहीं कहती कि किसी महिला की वर्जिनिटी वापस ला सकता है। 

लेकिन टर्मियर का मानना है कि ऐसे प्रोडक्ट्स एम्पावर करने के बजाय, महिलाओं में इनसिक्योरिटी बढ़ा सकते हैं। वो कहती हैं, “कई संस्कृतियों में ये सोच बैठी है कि ‘टाइट’ वजाइना ही बेहतर होती है लेकिन ये बिल्कुल गलत है। टाइट होना अच्छे सेक्स की गारंटी नहीं है। असली ज़रूरत है इस सोच को बदलने की, ना कि उसे और मज़बूत करने की।”

 

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