अनु (नाम बदल दिया गया है ) - दिल्ली में एक प्रकाशन संस्था के लिए काम करती हैI
मैं और मेरी एक सहकर्मी उस दिन लाजपत नगर जाने के लिए निकले थे। सुबह के समय दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक का बुरा हाल होता है। हमें पता था कि ऑटोरिक्शा मिलना आसान नहीं होगा । तो इसलिए हम बहुत खुश हुए जब एक ऑटोरिक्शा चलने को तैयार हो गया। लेकिन सबसे ज़्यादा आश्चर्यजनक बात यह थी की वो मीटर से चलने को तैयार था, जबकि दिल्ली में मीटर से अधिक किराया माँगना एक बहुत ही सामान्य बात है, खासकर तब जब भारी ट्रैफिक वाला समय हो।
खैर, हम बैठ गए और दफ्तर को लेकर गपशप शुरू कर दीI दफ्तर में काम के बड़े बोझ को लेकर हम दोनों ही परेशान थे और जल्द ही अपनी बातो में तल्लीन हो गए। थोड़ी देर बाद हमें एहसास हुआ की हमारा तिपहिया कुछ ज़्यादा ही धीरे चल रहा था। चालक एक ही हाथ से चला रहा था और मुझे यह कुछ अजीब सा लगा।
दूसरा हाथ नदारद
हम बातें करने के साथ साथ उसे रास्ता भी बताते जा रहे थे। मैंने कई बार रिक्शा ड्राईवर को शीशे में हमारी तरफ देखते हुए देखा मुझे उसका इस तरह से हमें बार बार देखना कतई पसंद नहीं आ रहा था और में लगातार यह भी सोच रही थी की ऐसी क्या बात है जो यह दूसरा हाथ इस्तेमाल नहीं कर रहा हैI
मै बार-बार आगे झाँकने की कोशिश कर रही थी जिससे यह पता लगा सकूँ की वो कर क्या रहा था। लेकिन मै नहीं चाहती थी कि उसे यह बात पता लगे इसलिए अपनी दोस्त से लगातार बातें भी कर रही थी। मेरी दोस्त को सिर्फ यह बात परेशान कर रही थी कि यह इतना धीरे क्यु चला रहा है जब्कि मेरी परेशानिया बढ़ती जा रही थी। आख़िरकार मैने झुंझलाकर उसे बोल ही दिया "भैया दूसरा हाथ भी इस्तेमाल कर लीजिये" और उसका जवाब था "कर तो रहा हूँI"
घृणित्
हमारे लाजपत नगर पहुचते ही मै कूद कर ऑटो से बाहर निकली। लेकिन उसके बाद जो मेरी आँखों के सामने था उसको बयान करने के किये मेरे पास शब्द नहीं है। उसकी पतलून की चेन खुली हुई थी और उसका वीर्य बिखरा हुआ था। मुझे देख कर उसने अपनी टाँगे एक के ऊपर एक रख ली। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ। मेरी दोस्त, चूंकि अपने पर्स से पैसे निकाल रही थी तो वो इस सब से बिलकुल अनजान थी । उसने तिपहिया चालक को पैसे दिए जिसने उन्ही गंदे हाथो से बाकी पैसे वापस कर दिए।
मैंने कहा " प्रिया वो आदमी अपना दूसरा हाथ हस्तमैथुन करने के लिए इस्तेमाल कर रहा थाI मैं और प्रिया खाली दिमाग वाले किसी कार्टून किरदार के जैसा महसूस कर रहे थे। घूमने फिरने करने का हमारा जोश जैसे अचानक खत्म हो चुका था। प्रिया ने वो पैसे वही फेंके और हम दोनों वहीँ से घर वापस आ गएI