ऊपर से ये सब एक पुरुष के बारे में सकारात्मक इम्प्रैशन देता है, लेकिन अगर गहरायी से देखा जाये तो क्या ये रिलेशनशिप में भेदभाव या असमानता का संकेत भी हो सकता है, ऐसा दयालु लैंगिकवाद की रिसर्च करने वाले शोधकर्ताओं का मानना है। पहली डेट से ही अक्सर यही प्रचलित व्यव्हार देखने को मिलता है। ज़रा एक सीन इमैजिन करिए...
वो कार का दरवाज़ा खोलता है और रेस्टोरेंट में कुर्सी खींच कर बैठने में मदद करता है। डिनर के दौरान वो अपनी ज़िन्दगी के बारे में बातें करते हैं और जब उसे पता चलता है की लड़की इंजिनियर है तो उसे यकीन नहीं होता, क्यूंकि उसका कहना है की वो इतनी खूबसूरत इंजिनियर की कल्पना नहीं कर सकता। और फिर बिल आता है तो वो अपनी जेब से पैसे निकल लेता है इससे पहले की लड़की को बिल की और देखने का मौका भी मिले। और वो सोचती है की ये कितना रोमांटिक है।या फिर शायद नहीं ?
ये व्यव्हार अच्छा लगता है या नहीं, काफी हद तक कल्चर पर निर्भर करता है। रिसर्च दर्शाती है है की जिन देशो में लिंग भेद ज्यादा है, उन् देशों में इस प्रकार की प्रैक्टिस हो अच्छा माना जाता है।
कमीना सेक्सिस्म, अच्छा सेक्सिस्म?
तो आखिर ये अच्छी भावना से की गयी चीज़ें गलत कैसे हैं? दरअसल ये व्यव्हार छुपी हुई ताकत और लिंग के आधार पर भेदभाव के संकेत को दर्शाता है। दिखने में रोमांटिक वाली बातें असल में कुछ शोधकर्ताओं के विचार में पुरुष द्वारा रोमांस की आड़ में महिला पर अपना नियंत्रण दिखाने के सामान है।
सामान्यतः जब लोग सेक्सिस्म की चर्चा करते हैं तो वो उस सेक्सिस्म के बारे में सोच रहे होते हैं जो मनोवैज्ञानिकों के अनुसार -'शत्रुतापूर्ण सेक्सिस्म' ह।. जिसके अंतर्गत पुरुषों का महिलाओं के बारे में नकारात्मक रवैया और व्यव्हार होता है। जैसे की महिलाओं को अपने से नीचा समझना, उन्हें सिर्फ सेक्स की वस्तु मानना और महिलाओं के साथ हिंसा। लेकिन जब किसी रिलेशनशिप में महिला और परुष परंपरागत तरीके से व्यव्हार करते हैं, जहाँ पुरुष का धर्म है अपनी महिला की रक्षा करना, शोधकर्ता इसे 'बेनेवोलेन्ट (सदभावपूर्ण) सेक्सिस्म' का नाम देते हैं।
परिणाम
हालाँकि 'सदभावपूर्ण सेक्सिस्म' सुनने में सकारत्मक अवश्य लगता है लेकिन आगे चल कर इसके प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं। कार का दरवाजा खोलन और ख़ूबसूरती की तारीफ करना तो सुनकर अच्छा लगता है, लेकिन असल में ये लम्बे समय के बाद समाज में रूढ़ीवाद और लिंगभेद को और ताकत दे सकता है।
एक रोचक तथ्य ये है जो लोग को 'सद्भावपूर्ण सेक्सिस्म' को सही मानते हैं, आगे चलकर संभव है की उन्हें 'शत्रुतापूर्ण सेक्सिस्म' से भी कोई तकलीफ नहीं हो।
अगर कोई पुरुष रंगीला और आकर्षक है, तो क्या वो लैंगिकवादी ( सेक्सिस्ट) है? आपको क्या लगता है? यहाँ लिखिए या फेसबुक पर हो रही चर्चा में हिस्सा लीजिये।