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‘जब मैं हस्तमैथुन करते हुए पकड़ा गया'

Submitted by Arpit Chhikara on सोम, 05/11/2020 - 11:19 पूर्वान्ह
चिराग स्खलित होने ही वाला था कि उसके पापा ने बाथरुम का दरवाजा खटखटा दिया। फिर आगे क्या हुआ? चिराग ने लव मैटर्स इंडिया के साथ अपनी लॉकडाउन स्टोरी शेयर की।

22 वर्षीय चिराग एक छात्र हैं और कानपुर में रहते हैं।

प्राइवेसी की कमी

हम दो कमरों वाले छोटे से सरकारी फ्लैट में रहते हैं, जो मेरे पापा को मिला हुआ है। एक कमरे में मम्मी-पापा और दूसरे में, मैं अपनी बहन के साथ रहता हूँ। इस छोटे से घर में थोड़ी सी प्राइवेसी ढूंढना भी बहुत मुश्किल काम है। ख़ासतौर पर तब जब इस लॉकडाउन के दौरान हम चारों घर में ही रह रहे हैं।

प्राइवेसी की कमी के कारण मैं हस्तमैथुन सहित अपनी कई इच्छाएं पूरी नहीं कर पाता हूं। जब भी मुझे हस्तमैथुन करने का मन होता है तो मुझे घर के टॉयलेट में जाना पड़ता है जिसका इस्तेमाल सभी करते हैं।

जब भी मैं टॉयलेट में जाता हूं तो कोई बाहर लगे सिंक में हाथ धो रहा होता है या बाथरूम से सटे किचन के पास टहल रहा होता है। इससे मेरा मूड खराब हो जाता है और ऐसे में अकेले में इयरफोन लगाकर पोर्न देखते हुए भी मैं कुछ सेक्सी सा सोच नहीं पाता हूँ।

चुपके से टॉयलेट जाना 

पहले इस तरह की समस्या नहीं होती थी। पापा और मेरी बहन देर शाम तक घर लौटते थे और मम्मी जब दोपहर में सो जाती थीं तो मुझे हस्तमैथुन करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता था।

हफ्ते में दो दिन मेरा कॉलेज भी बंद रहता था। इन दो दिनों मैं कॉलेज का काम करने की बजाय ख़ुद के प्लेजर के लिए समय निकालता था।

खैर, इस परेशानी से बाहर निकलने के लिए अब कोई रास्ता निकालना ही था क्योंकि अब सभी लोग हर समय घर में ही रहते थे।

एक दोपहर लंच के बाद मैं मूवी देख रहा था। तभी मुझे लगा कि सब लोग सो गए हैं। मम्मी-पापा अपने कमरे में खर्राटे ले रहे थे। दोपहर के तीन बज रहे थे। मैं अपने बेड से धीरे से नीचे उतरा और अपनी बहन को डिस्टर्ब किए बगैर कमरे से बाहर आ गया। फिर अपने मोबाइल और इयरफोन के साथ मैं सीधे टॉयलेट में चला गया।

लेकिन जैसे ही मैं एकदम चरम पर था और स्खलित होने ही वाला था कि उसी समय किसी ने बाथरुम का दरवाजा खटखटाया। पापा मुझे बाहर निकलने के लिए आवाज दे रहे थे क्योंकि उन्हें भी टॉयलेट जाना था। मैंने सोचा था कि सब सो रहे हैं और इतनी जल्दी कोई उठेगा नहीं, लेकिन मैं ग़लत था। उस वक्त मैं ख़ुद को रोक नहीं पाया और अंततः स्खलित हो गया। मैंने हड़बड़ी में इयरफोन फोन के साथ लपेटकर अपने शॉर्ट्स के पिछले पॉकेट में रख लिया और बाथरुम से जल्दी से बाहर आ गया।

फ्लश तो कर सकते थे?

तुम्हें इतनी देर कैसे लग रही है? ’पापा ने मुझसे पूछा। मैं कुछ नहीं बोल पाया। मेरा चेहरा लाल हो गया। 

वह बाथरुम के अंदर गए और कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया। दरवाजा बंद करते हुए वो बोले, 'कम से कम तुम फ्लश तो कर सकते थे।'

यह मेरे लिए एकदम ‘उप्स मोमेंट' था - बाप, बेटे के सीमेन (वीर्य) को फ्लश कर रहा था। अपने हाथ धोने के बाद मैं तुरंत अपने कमरे में भाग गया और अपने आप को कोसते हुए सो गया - मैं फ्लश करना कैसे भूल सकता हूं!

 

तस्वीर में मौजूद व्यक्ति एक मॉडल है, गोपनीयता बनाए रखने के लिए नाम बदल दिए गए हैं।

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लेखक के बारे में: अर्पित छिकारा को पढ़ना, लिखना, चित्रकारी करना और पॉडकास्ट सुनते हुए लंबी सैर करना पसंद है। एस आर एच आर से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखने के अलावा, वह वैकल्पिक शिक्षा क्षेत्र में भी काम करते हैं। उनको इंस्टाग्राम पर भी संपर्क कर सकते हैं।