कोलकाता में रहने वाली 27 वर्षीय मेघा एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में कार्यरत हैं
जहां तक मुझे याद है, मेरा स्वभाव हमेशा से ही शर्मीला रहा हैI स्कूल और कॉलेज में भी मैं बेहद कम बोलने वाले लोगों में गिनी जाती थीI मुझे ज़्यादा घूमना-फिरना भी पसंद नहीं था और शायद यही वजह थी कि 19 साल तक मेरा कोइ बॉयफ्रेंड भी नहीं थाI वो पहला रिश्ता भी कुछ ज़्यादा लंबा नहीं चल पाया था क्यूंकि मेरे शर्मीलेपन की वजह से अमन मुझसे जल्दी ही उकता गया थाI मुझे दोस्तों के साथ पार्टियों में जाना अच्छा नहीं लगता था और इस बात को लेकर अक्सर हमारी लड़ाइयां होती थीI लेकिन वो रिश्ता टूटने के बाद मेरा शर्मीलापन नयी ऊंचाइयां छूने वाला था और शायद मैं उसके लिए तैयार नहीं थीI
सेक्स.....नहीं नहीं
धीरे-धीरे मैं और भी कम मिलनसार हो गयी थीI मुझे विशेष अवसरों के लिए तैयार होने में कोई भी दिलचस्पी नहीं थी और ना ही अपने बाल सवांरने मेंI बाहर जाने के लिए मैं अपने कपड़े तक नहीं प्रेस करती थीI मेरा अगला रिश्ता करीब दो साल बाद शुरू हुआ और जल्दी ही ख़त्म भी हो गया, जिसकी मुझे कोई हैरानी भी नहीं थीI हैरानी थी उस बात से जिस वजह से हमारी बार-बार लड़ाइयां होती थी और अंततः रिश्ता भी उसी वजह से टूटाI हम दोनों के बीच कभी भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं स्थापित हो पाएI या यूँ कहूं कि मैं कभी भी अपने आपको को उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए तैयार नहीं कर पायीI मुझे पूरा विश्वास है कि उस लड़के के लिए यह बात किसी आश्चर्य से कम नहीं थी, क्यूंकि मेरे लिए तो यह बहुत अजीब थाI
अमन के साथ रिश्ते में मैंने कभी भी ऐसा महसूस नहीं किया थाI मुझे लगा शायद मैं इस लड़के के साथ उतनी सहज नहीं थीI लेकिन मेरा सोचना गलत था क्यूंकि विकास, मेरा अगला बॉयफ्रैंड, के साथ भी मैंने इसी परेशानी के साथ झूझना शुरू कर दिया थाI वो जैसे ही मेरे करीब आने या मुझे किस करने की कोशिश करता मैं कोई ना कोई अजीब सा बहाना बना कर उसे मना कर देतीI लेकिन विकास बेहद समझदार था और गुस्सा होने के बजाय हर बार मेरी परेशानी को समझने की कोशिश करता थाI
सच्चाई से पर्दाफ़ाश
एक दिन हम दोनों उसके घर में पिक्चर देख रहे थे कि उसने अचानक टीवी बंद कर दिया और कहा, "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है"
यह पहली बार था कि किसी ने शारीरिक अंतरंगता को लेकर विकसित हुई मेरी इस नयी-नयी असहजता को लेकर आवाज़ उठायी थीI मेरी आँखों से आंसुओ का ऐसा सैलाब बह चला था कि मैं ठीक तरीके से उसका शुक्रिया भी नहीं अदा कर पायी थीI कम से कम किसी ने तो यह समझा कि इस समस्या के समाधान के लिए पहले इस बारे में बात करनी ज़रूरी है I मुझे भी यह एहसास पहली बार हुआ था इसके पीछे छिपे कारणों का पता लगाने की कोशिश करनी चाहिएI
शायद मुझे कारण का पता भी था, पर मुझे यह विश्वास नहीं था कि वही असली कारण हैI
पुरानी चोट
जब मैं कॉलेज से ग्रेजुएट होकर निकली थी, उसके कुछ ही दिन बाद मेरे साथ कुछ भयानक हुआ थाI एक शाम मैं काम से घर जा रही थी कि अचानक एक आदमी ने मुझे पीछे से जकड़ लिया और मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दियाI जब तक मुझे कुछ समझ आता तब तक उसके घिनौने हाथों ने मेरे शरीर के साथ-साथ मेरे मन मस्तिष्क को भी छलनी कर दिया थाI
भगवान् का शुक्र है कि कुछ ही देर में वहां से से एक युगल गुज़रा जिन्होंने शोर मचाकर लोगों को इकठ्ठा करना शुरू कर दियाI इस डर के मारे के भीड़ उसे कुचल ना दे, वो आदमी अपनी जान बचाकर वहां से भाग गयाI
कुछ भले लोगों ने उसके बाद मुझे मेरे घर तक छोड़ दिया और मुझे यह भी सलाह दी कि इस बारे में मैं किसी को ना बताऊँI मुझे भी उनकी बात ठीक लगी थी और यही सोचकर किसी को इस बारे में कभी भी कुछ नहीं बताया, यहाँ तक कि अपने घर वालो को भीI एक महीने के बाद तो मैं खुद ही इस बारे में भूल गयी थीI शायद मैंने अपने आपको यह विश्वास दिलवा दिया था कि यह कोई इतनी महत्त्वपूर्ण बात नहीं थीI
फ़िर अपने शरीर से प्यार
विकास के साथ हुई उस दिन की बातचीत के बाद मेरे मन में उस घटना की पूरी छवि बदल गयी थीI मैंने हमेशा उस याद को दबाने की कोशिश की थी और शायद यही मेरे व्यवहार में हुए परिवर्तनों का वास्तविक कारण था।
विकास ने मुझे छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों के लिए बने ऑनलाइन क्लब में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। ऐसी घटनाओं से पीड़ित अन्य लोगों से उनके अनुभव सुनने के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि उस दिन हुए उस यौन उत्पीड़न की वजह से मैंने अपने ही शरीर की अपेक्षा करनी शुरू कर दी थीI मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे मेरा शरीर अपवित्र और अशुद्ध हैI
विकास ने यह भी सुझाव दिया कि मुझे एक अच्छे से सलाहकार से मिलना चाहिएI सलाहकार से मिलने के बाद मुझे पता चला कि इस दर्दनाक घटना के बाद कैसे अनजाने में मेरे ही दिलों-दिमाग में एक ऐसी प्रतिक्रया का गठन हो गया था जिससे अपने शरीर के प्रति मेरा रवैया बेहद नकरात्मक हो चुका थाI लेकिन धीरे-धीरे मैंने अपना खोया हुआ आत्मविश्वास फ़िर से पाना शुरू कर दिया थाI
मैं अपने आपको बेहद खुशकिस्मत समझती हूँ कि मैं विकास से मिलीI अगर वो ना होता तो शायद मैं उस दुःस्वप्न से कभी भी बाहर ना निकल पातीI धीरे-धीरे ही सही लेकिन मैं फ़िर से उसके साथ साथ शारीरिक रूप से सहज होने लगी थीI
दूसरो की मदद
आज, मैं युवा वर्ग को इस तरह की घटनाओं के बारे में बात करने और चर्चा करने के महत्व के बारे में जागरूक करने हेतु कार्यरत हूँI
गोपनीयता बनाये रखने के लिए इस अनुच्छेद में इस्तेमाल हुए नाम बदले हुए हैंI तस्वीर में भी वो लोग नहीं हैं, जो लेख में शामिल हैं।
क्या कभी भी आपको यौन उत्पीड़न या किसी अन्य प्रकार के यौन शोषण का सामना करना पड़ा है? मेघा की माने तो बात करने से ही समाधान निकलेगाI तो संकोच ना करें और जल्द से जल्द हमारे चर्चा मंच का हिस्सा बनेंI