- लिंग तनाव की समस्या
लिंग तनाव की समस्या वह स्थिति है, जब पुरुष पर्याप्त समय तक इरेक्शन (यानी की लिंग खड़ा नहीं हो पाता) प्राप्त नहीं कर पाता या उसे बनाए नहीं रख पाता, जिससे यौन संबंध बनाना मुश्किल हो जाता है। यह समस्या वैसे को किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन 40 साल से अधिक उम्र के लगभग 50% पुरुषों और 40 साल से कम उम्र के करीब 10% पुरुषों में पाई जाती है। इसके कारणों में मधुमेह, हृदय रोग, मोटापा, धूम्रपान और शराब जैसे शारीरिक व जीवनशैली से जुड़े कारक शामिल हैं लेकिन लगभग 99.9% मामलों में तनाव, चिंता और भावनात्मक दबाव भी अहम भूमिका निभाते हैं इसलिए इसका प्रभावी इलाज तभी संभव है, जब शारीरिक और मानसिक दोनों पहलुओं पर ध्यान दिया जाए।
- वैजिनिस्मस
वैजिनिस्मस एक यौन विकार है, जिसकी पहचान अक्सर महिलाओं को पहली बार सेक्स के दौरान ही होती है। इसमें योनि के आसपास की मांसपेशियों में अनचाही ऐंठन हो जाती है, जब शरीर को लगता है कि लिंग का प्रवेश होने वाला है। इस वजह से सेक्स बहुत दर्दनाक हो जाता है और कई बार दर्द इतना ज़्यादा होता है कि प्रवेश संभव ही नहीं हो पाता। इस समस्या के समाधान के लिए लंबी और गहराई से की जाने वाली व्यवहार चिकित्सा (थेरेपी) की ज़रूरत होती है, ताकि यह समझा जा सके कि शरीर ऐसी प्रतिक्रिया क्यों दे रहा है और इसे धीरे-धीरे कैसे ठीक किया जा सकता है।
- दर्दनाक माहवारी
किशोरियों में आम पाई जाने वाली समस्या (दर्दनाक माहवारी) एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें मासिक धर्म के दौरान गर्भाशय में तेज़ दर्द होता है। इसका सबसे सामान्य कारण मासिक धर्म के समय गर्भाशय की मांसपेशियों की बढ़ी हुई गतिविधि है लेकिन शोध बताते हैं कि इसके पीछे मनोवैज्ञानिक और व्यवहार संबंधी कारण भी हो सकते हैं। भारत में कई स्त्री रोग विशेषज्ञ मरीज़ों को यह कहते हैं कि शादी के बाद दर्द कम हो सकता है क्योंकि सेक्स और गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय अधिकतम संकुचन से गुज़रता है। हालांकि कई बार यह दर्द शादी के बाद भी बना रहता है क्योंकि यह सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि भावनात्मक और यौन संबंधों से जुड़ी धारणाओं से भी प्रभावित होता है। खासकर जब यौन शिक्षा की कमी के कारण सेक्स से जुड़ा डर या घबराहट मौजूद हो, तो यह दर्द और बढ़ सकता है।
- धात सिंड्रोम
धात सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है, जो ज़्यादातर भारत और आसपास के देशों में देखी जाती है। इसमें कुछ पुरुषों को लगता है कि उनके मूत्र (पेशाब) के साथ वीर्य निकल रहा है, खासकर रात को सोते समय। अक्सर उन्हें इसका पता नहीं चलता लेकिन पेशाब में सफेद तरल देखकर वे परेशान हो जाते हैं। असल में इसका कोई पक्का शारीरिक कारण नहीं होता। यह समस्या ज़्यादातर उन पुरुषों में दिखती है, जिन्हें हस्तमैथुन को लेकर डर या अपराधबोध होता है। इसी वजह से धात सिंड्रोम को एक मानसिक और भावनात्मक समस्या समझा जाता है। इसका इलाज काउंसलिंग और संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी से किया जाता है।
- एनोर्गैज़्मिया
एनोर्गैज़्मिया वह स्थिति है, जब व्यक्ति पर्याप्त उत्तेजना के बावजूद चरमसुख (ऑर्गैज़्म) प्राप्त नहीं कर पाता। पुरुषों में यह अक्सर विलंबित स्खलन के रूप में दिखाई देता है, जबकि महिलाओं में यह भगशेफ या योनि से चरमसुख की कमी के रूप में सामने आता है। यह समस्या महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज़्यादा आम है, खासकर रजोनिवृत्ति के बाद। इसके कारण मधुमेह से जुड़ी नसों की बीमारी (न्यूरोपैथी), मल्टीपल स्क्लेरोसिस, जननांग संबंधी विकृति या श्रोणि में चोट जैसे शारीरिक कारण हो सकते हैं लेकिन कई मामलों में इसके पीछे मानसिक और भावनात्मक कारण भी होते हैं इसलिए दवाओं के साथ-साथ, एनोर्गैज़्मिया के इलाज में व्यवहारिक यौन चिकित्सा को भी ज़रूरी माना जाता है।
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