नमस्ते आंटी जी, मुझे लड़कियां बहुत अच्छी लगती हैंI लेकिन मुझे समझ में नहीं आता कि यह बात उस लड़की को कैसे बताऊँ क्यूंकि यह पता ही नहीं चल पाता कि उस को मुझ में दिलचस्पी है या नहींI ऐसा ना हो कि मैं किसी से बात करूँ और वो मेरी बेइज़्ज़ती कर देI मैं खुद को शर्मिंदा नहीं करना चाहती हूं। आकृति, 19 वर्ष, जयपुर
अपने साथी के साथ बाहर घूमने आये हैं और आपको लग रहा है कि कहीं वो किसी और लड़के/लड़की को ताड़ रहा हैI हाल में की गयी एक रिसर्च की मानें तो आँखें तो आप की भी इधर उधर घूम सकती हैंI
ज़माना चाहें जो हो लडकियाँ लड़कों से किसी मामले में पीछे नहीं हैं, बल्कि उनसे एक क़दम आगे ही रहती हैंI लेकिन जब बात आती है दिल के मामले में पहल करने की तो वे एक क़दम पीछे हटा लेती हैं। आज लड़कियां घरों से लेकर बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ और जहाज़ तक चला रही हैं लेकिन फ़िर भी अपने दिल की बात कहने में वो आज भी हिचकिचाहट महसूस करती हैंI चलिए आज हम उनकी कुछ मदद कर देते हैं, यह बताकर कि अपने पसंदीदा लड़के से बात कैसे शुरू करेंI
निष्ठा*, दिल्ली की एक कामकाजी महिला हैI उसे आये दिन अपने पड़ोसियों से ताने सुनते पड़ते थे कि वो अपने पति, विजय*, से घर के काम करवाती हैI लेकिन जब उन्होंने उसके हाथ के बने राजमा चावल खाये तो...!
जब भी लैंगिक हिंसा की बात आती है तो ज़्यादातर मामलों मे महिलाएं पीड़ित होती हैं,पर ऐसा नहीं है कि पुरुषों के साथ ऐसा नहीं होताI ऐसी ही एक घटना ने दिल्ली के एक छात्र सुजयेश के दिलों-दिमाक को किस कदर प्रभावित किया, आइये जानें उन्हीं की ज़बानी :
दिल्ली की निशा पेशे से क्रिएटिव डिजाइनर हैं। उनकी परवरिश खुले विचारों वाले एक ऐसे परिवार में हुई जहां लड़कियों को लड़कों से कम नहीं समझा जाता था। लेकिन शादी होने के बाद निशा का पति, गौरांग*, उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था जिसने निशा के आत्मविश्वास को झकझोर कर रख दियाI
मेरा पति सेक्स का आदि हो चुका हैI उसे हर समय सेक्स चाहिएI वो सेक्स के लिए ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करता है जो मुझे शारीरिक रूप से चोट पहुँचाते हैंI मैं इसके बारे में किसी से बात करने में असमर्थ हूं। मुझे क्या करना चाहिए? (इस पाठक ने अपना नाम और पता गोपनीय रखा है)
आरिफा*, एक बहुत ही सुन्दर लड़की थी जो मुंबई की झुग्गियों में रहा करती थीI उसकी शादी 20 साल में ही हो गयी थी लेकिन उसके पति ने कभी उसे छुआ तक नहींI दूसरी ओर उसका ससुर और परिवार के अन्य पुरुषों ने उसका बलात्कार करने के कई प्रयास किए। सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय सुभाष, ने आरिफ़ा को इन्साफ दिलाने के लिए आठ साल की कानूनी लड़ाई लड़ी हैI वही चिन्मय आज आरिफ़ा की कहानी हमारे पाठकों के लिए लेकर आयी हैंI