Online harassment
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ऑनलाइन उत्पीड़न: 5 मुख्य तथ्य

द्वारा Roli Mahajan मार्च 7, 05:38 बजे
क्या आपको यह डर रहता है कि कही आपकी फेसबुक या ट्विटर की प्रोफाइल का दुरूपयोग ना हो जाये? देखा जाए तो आपका डर गलत नहीं है क्यूंकि दिन प्रतिदिन यह संकट और गहरा होता जा रहा हैI हम लाये हैं कुछ सुझाव जो सतर्क रहने में आपकी मदद करेंगे...

ऑनलाइन उत्पीड़न क्या है?

कानूनी रूप से बात करें तो अगर कोई ऑनलाइन आपको परेशान कर रहा है, पीछा कर रहा है, डरा रहा है या किसी किस्म का दबाव डाल रहा है तो उसे ऑनलाइन उत्पीड़न कहते हैंI कहने का अर्थ यह है कि इंटरनेट या मोबाइल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किसी का आपको बार बार और बेवजह परेशान करनाI हो सकता है इसके पीछे कोई एक व्यक्ति हो या फ़िर कुछ लोग गुट बनाकर किसी को डरा-धमका रहे हो और परेशान कर रहें होI

साइबर स्टॉकिंग का मतलब है इंटरनेट या टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके किसी का पीछा करनाI साइबर बुलीइंग का मतलब है इंटरनेट या टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके किसी को डराना जैसे धमकी भरे इ-मेल भेजना या फेसबुक पर पोस्ट करनाI

साइबर स्टाकिंग पर पहला केस किसने दर्ज करवाया था?

इस किस्म का पहला केस दर्ज करने वाली थी दिल्ली की ऋतू कोहलीI मनीष कथूरिआ नाम के व्यक्ति ने उनकी फेसबुक प्रोफाइल में अनधिकृत रूप से प्रवेश कर लिया था और वो ऋतू की प्रोफाइल से जानबूझकर ऐसे पोस्ट करता था जिन्हें पढ़कर लोग उसे बेवक़्त फ़ोन करते थेI

करीब तीन दिनों में ही ऋतू को लगभग 40 लोगो ने फ़ोन कर दिया थाI और यह सब तब ही रुका जब दिल्ली पुलिस ने कथूरिआ को पकड़ कर जेल में डाल दियाI उस पर एक महिला की शालीनता भंग करने का आरोप लगाया गयाI यह बात 2001 की है और दुर्भाग्यवश उस समय भारतीय दंड संहिता में इंटरनेट अपराधों के लिए कोई सजा मान्य नहीं थीI ऋतू भी भारत छोड़ कर जा चुकी थी और अंततः इस केस को रद्द कर दिया गयाI

ऑनलाइन उत्पीड़न के आरोपी को कितनी सजा हो सकती है?

पहली बार 2015 में भारत में ऑनलाइन उत्पीड़न के लिए किसी को अपराधी ठहराया गया था, जबकि इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की स्थापना 1980 में ही हो गयी थीI इसके अंतर्गत अभियुक्त को तीन साल या उससे ज़्यादा की सजा और जुर्माना भी हो सकता हैI अगर 2015 के केस की बात करें तो अभियुक्त योगेश प्रभु और पीड़ित महिला (नाम गोपनीय) 2009 में ऑनलाइन नेटवर्किंग साइट ऑरकुट से एक दुसरे के संपर्क में आयेI दोनों के बीच कई बार बात हुई लेकिन एक दिन योगेश ने पीड़ित महिला को एक अश्लील सन्देश भेज दिया जिसके बाद उस महिला ने योगेश को अपने दोस्तों की सूची से हटा दियाI

कुछ दिनों के बाद महिला को एक अपरिचित आई डी से इ-मेल आया जिसमे बेहद अभद्र और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया थाI ऐसी इ-मेल कई दिनों तक आती रही जिससे परेशान होकर उन्होंने जॉइंट कमिश्नर ऑफ़ पुलिस को शिकायत दर्ज करवाईI परिणाम स्वरूप प्रभु को पुलिस ने पकड़ा और उसे कारावास की सजा सुनाई गयीI

क्या ऑनलाइन उत्पीड़न से बचा जा सकता है?

हमेशा सार्वजनिक कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने से बचेI आप अनजाने में ही स्टॉकर्स को अपने बारे में निजी जानकारी दे बैठेंगे जो आपके पासवर्ड्स की मदद से आप ही को परेशान करेंगेI अपने मोबाइल और कंप्यूटर को बेचने या किसी और को देने से पहले उसमे मौजूद सम्पूर्ण जानकारी जैसे इ-मेल, मेसेजेस, फोटो वगैरह को पूरी तरह नष्ट कर देंI

वैसे तो साइबर स्टाकिंग इंटरनेट पर किया जाने वाला अपराध है लेकिन यह आपकी असल ज़िंदगी के लिए खासा खतरनाक हो सकता हैI ज़रूरी नहीं कि हर पीछा करने वाला मानसिक रोगी होI हो सकता है वो आपसे बदला लेना चाहता हो या आपसे कुछ छीनना चाहता होI लोगों को लगता है कि यह एक सफेदपोश अपराध है जिससे किसी को नुकसान नहीं पहुँचताI असलियत इसके बिलकुल उलट हैI इसीलिए अगर आपको लगता है कि आप किसी प्रकार के खतरे में हैं तो तुरंत इसकी रपट दर्ज कराएंI

ऑनलाइन उत्पीड़न के खिलाफ कैसे रिपोर्ट दर्ज करवाई जा सकती है?

अगर कोई ऑनलाइन आपको किसी भी तरह से परेशान कर रहा है तो उसके खिलाफ निकटतम साइबर सेल में जल्द से जल्द लिखित में बयान देंI साइबर सेल की गैर मौजूदगी में आप स्थानीय पुलिस थाने में भी ऍफ़. आई. आर. लिखवा सकते हैंI अगर पुलिस आपकी रपट दर्ज नहीं कर रही है तो आप पुलिस कमिशनर या न्यायिक न्यायाधीश से भी संपर्क कर सकते हैंI

भारतीय दंड संहिता के अनुसार आपका बयान गोपनीय रूप से लिया जाएगाI इसके अलावा अगर आप एक महिला हैं और साइबर स्टाकिंग के लिए पुलिस से संपर्क करती हैं तो उन्हें आपको एक कानूनी परामर्शदाता मुहैया करना पड़ेगा जो आपका केस दर्ज करने में आपकी मदद करेगाI

क्या आपको ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है? आप अपनी दुविधाएं और विचार हमारे फोरम जस्ट पूछो या फेसबुक के ज़रिये हमसे साझा कर सकते हैंI

क्या आप इस जानकारी को उपयोगी पाते हैं?

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