आरती और कविता की उम्र 25-26 साल है और वो दिल्ली में जन संपर्क सलाहकार के रूप में काम करती हैं।
आरती और कविता सात साल पहले कॉलेज में एक दूसरे से मिली थी और तभी से अच्छी दोस्त हैं। वो दोनों दिल्ली की एक जन संपर्क संस्था में साथ में काम करती हैं।
उत्पीड़न से निपटना
आरती इस कंपनी में पहले से कार्यरत थी और उसी की देखा-देखी कविता ने भी वहीँ नौकरी ले ली थी। काम शुरू करते ही कविता के बॉस ने उसमें ख़ास दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया था। वो ना सिर्फ़ उसके किये हर काम की तारीफ़ करता था बल्कि इस बात पर भी ज़ोर देता था कि जब भी वो काम के सिलसिले में शहर से बाहर जाए तो कविता भी उसके साथ चले।
उसके इरादे शायद शुरू से ही नेक नहीं थे लेकिन कविता को शुरू-शुरू में यही लगता था कि उसका यह व्यवहार उसके अच्छे काम की वजह से है। पहले दो-चार टूर पर तो हालात सामान्य थे लेकिन धीरे-धीरे उसके बॉस का व्यवहार आपत्तिजनक होता चला गया। वो कविता को अकेले पाते ही उसे अजीब तरह से छूने की कोशिश करता था और ऐसे शारीरिक इशारे करता था जो कविता को बिल्कुल पसंद नहीं आ रहे थे। कविता को यह लग रहा था कि वो उसका शारीरिक और मानसिक शोषण कर रहा था।
जब पानी सर से गुज़र गया तो उसने आरती को सब कुछ बता दिया। आरती यह सुनकर आग-बबूला हो गयी थी कि उसका बॉस अपने पद का नाजायज़ फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। उसने ठान लिया था कि वो यह बिलकुल नज़रअंदाज़ नहीं करेगी और उसके बॉस को सबक सिखाने में कविता की पूरी मदद करेगी।
उनकी रणनीति
एक बात जो बिलकुल तय थी वो यह थी कि अपनी नौकरी के लिए कविता अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थीI आरती ने कविता को सलाह दी कि सबसे पहले उसे अपने ऑफिस के मानव संसाधन विभाग को अपने बॉस के बारे में सबकुछ बता देना चाहिएI उसने उसे यह भी विश्वास दिलाया कि ज़रुरत पड़ने पर वो कविता की हरसंभव सहायता भी करेगीI
कविता ने काम करना जारी रखा और बड़ी ही होशियारी से अपने बॉस से दूर रहना भी शुरू कर दियाI कभी-कभार अगर ऐसी नौबत आ भी जाती थी कि वो अपने बॉस से नहीं बच पाती थी तो वो अपने फ़ोन का कैमरा रिकॉर्डर ऑन करके उससे बात करती थीI उसके हैंडबैग में भी अब एक नए साथी की मौजूदगी हो गयी थी: पेप्पर स्प्रेI
इसमें कोई दो राय नहीं है अगर आप शोषण करने वालो के साथ मज़बूती से पेश आये और उन्हें साफ़-साफ़ शब्दों में बता दें कि वो जो कर रहे हैं गलत है, तो वो डर जाते हैंI कविता ने भी यही किया और अपने बॉस की आँखों में आँखें डालकर बता दिया कि उसे उसका व्यवहार आपत्तिजनक लगता है और ऐसा करना रोकना होगाI यह बात कहते हुए उसके कानो में आरती के कहे शब्द गूँज रहे थे "आपत्तिजनक व्यवहार के खिलाफ आवाज़ उठाना इस बारे में कानूनी कार्यवाही करने की ओर पहला कदम है, नहीं तो इसमें आपकी सहमति समझी जायेगीI"
आख़री झटका
पहले ऐसा लगा कि उसके बॉस को अक्ल आ गयी है, लेकिन ऐसा नहीं था क्यूंकि एक बार जब वो और आरती एक महत्त्वपूर्ण कार्य पर काम कर रहे थे तो उसने कविता को ऑफिस के बाद रुकने के लिए कहाI
कविता तो इसके लिए लिए पहले से ही तैयार थी, उसने झट से अपना निजी फ़ोन बाहर निकाल लिया और उसका कैमरा ऑन करके उसे अपनी काम करने की जगह के पीछे छिपा दियाI जब उसका बॉस उसके केबिन में आया तो उसके हाथ में दो कॉफ़ी के कप थेI वो लोग एक नए प्रोजेक्ट की स्वीकृति का इंतज़ार कर रहे थेI
इंतज़ार के दौरान और कॉफ़ी की चुस्कियां लेते हुए उसने कविता से निजी सवाल करने शुरू कर दिए- क्या उसका बॉयफ्रेंड है?, उसे कैसे पुरुष पसंद आते हैं? वगैरह वगैरहI बात करते-करते कब वो कविता की कुर्सी के पीछे आ गया उसे पता ही नहीं चलाI अपने हाथ उसने कविता के कंधो पर रखे हुए थे और धीरे-धीर वो अपना मुंह भी उसके मुंह की ओर ले आयाI कविता ने आव देखा ना ताव, झट से खड़ी हुई और कुर्सी को पीछे धकेलते हुए कमरे से बाहर चली गयीI
नया आत्मविश्वास
अगली सुबह उसने वो वीडियो क्लिप आरती को दिखाईI अपने इस सबूत के साथ वो दोनों मानव संसाधन विभाग में चले गए और उन्हें हिदायत दी कि उन्हें सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिएI कविता अब बिलकुल डरी हुई नहीं थी और उसका नया आत्मविश्वास देखकर उसकी दोस्त आरती बेहद खुश थीI उसी दोपहर मानव संसाधन विभाग ने एक बेहद लम्बे चले वाद-विवाद के बाद उसके बॉस को नौकरी से निकाल दियाI
कविता को ख़ुशी थी कि वो दोबारा से अपनी ज़िन्दगी और कैरियर पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकती थीI एक घिनौने बॉस के नीचे काम करने का उसका बुरा समय समाप्त हो गया थाI वो आरती की भी तहे दिल से शुक्रगुज़ार थी जिसने उसे इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत दी थीI
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