मुझे ये सब पसंद नहीं लेकिन डरती हूँ कि कुछ कह देने पर कहीं नौकरी से हाथ न धोना पड़ जाये। शायद अब ये सब अब ऑफिस के बाकी लोगों को भी नज़र आने लगा है, हालाँकि किसी ने अब तक मुझसे इस बारे में कुछ कहा नहीं है। अदिबा (24), गुडगाँव
आंटीजी कहती हैं...अरे वाह वाह वाह...कहाँ से निकलते हैं भाई ऐसे बॉस? ये टीवी नहीं देखते, अख़बार नहीं पढ़ते क्या..? या आज भी बाबा आदम के ज़माने में जी रहे हैं?
सबसे पहले मैं तेरी कही बात के बारे में पूछना चाहती हूँ, "मुझे ये सब पसंद नहीं है।" तो अब क्या? पसंद भी नहीं है और इस बारे में अब तक कुछ किया भी नहीं है? क्यों भाई? ज़रा खुद से ये सवाल पूछ?
एक संभावित कारण ये है: तुझे उसकी प्रतिक्रिया का खौफ है। अगर तूने उससे कुछ कहा और उसने बात का बतंगड़ बना दिया तो, कहीं तुझ पर ही इलज़ाम लगा दिया तो, सबके सामने तेरा तमाशा बना दिया तो? है न!
अगर ऐसा हो गया तो तू सोचती होगी कि तूफ़ान आ जायेगा और ऑफिस में सब लोग सोचेंगे कि तूने ये क्यों किया।
अगर....
एक और कारण हो सकता है: अगर मैंने आवाज़ उठाई तो लोग क्या सोचेंगे? अगर सबने मुझे किनारे कर दिया तो? और अंत में सबसे बड़ा अगर- अगर मेरी नौकरी चली गयी तो?
मुझे अंत से शुरू करने दे। तुझे बेवजह बाहर निकलने के लिए किसी ठोस कारण की ज़रूरत तो पड़ेगी, ऐसे कैसे बाहर निकाल सकता है कोई किसी को?
लेकिन मुझे ये भी पता है कि कहानी इतनी सरल भी नहीं है। वो तुझे बाहर न भी निकाल सके तो तेरी ज़िन्दगी मुश्किल बनाने का हर संभव प्रयास तो कर ही सकता है।काम में नुक्स निकलना, तेरे बारे में अनाप शनाप बातें कहना इत्यादि। ये सब करके वो तुझे परेशान कर सकता है।और एक दिन तंग आकर तू नौकरी छोड़ने के बारे में सोचेगी। और अगर तूने तंग आकर नौकरी छोड़ी, तो हार किसकी होगी? तेरी मैडम तेरी!
सीधी बात, सबूत के साथ
तो अब क्या करना चाहिए? क्या तुझे पक्का यकीन है कि वो तुझ पर लाइन मार रहा है? कैसे? एक लिस्ट बना। उसने कब और क्या ऐसा किया जिससे तुझे ऐसा महसूस हुआ। तेरे साथ ज़रूरत से ज़्यादा अच्छा बर्ताव, तारीफ या व्यक्तिगत टिपण्णी जो तुझे लगता है तेरी तरफ केंद्रित थीं।
फिर उसके साथ समय तय कर ले। मेरे विचार में अभी 'प्रताड़ना' शब्द का इस्तेमाल मत कर क्योंकि तू ये मुद्दा पहली बार उठा रही है, बातचीत के ज़रिये। तुझे एक सीमा निर्धारित करनी है, जोकि तुझे अब तक कर देनी चाहिए थी।पर कोई नहीं, देर आए दुरुस्त आए!
अब ज़रा उसे बता कि कौनसी बातों से तुझे आपत्ति है...बेवजह की तारीफ, ज़रुरत से ज़्यादा ध्यान इत्यादि। साफ़ शब्दों में बता दे कि तुझे ये थोडा व्यक्तिगत लगता है और ऑफिस के बाकी लोगों ने भी इस बात पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। और तू ये नहीं चाहती कि लोग बिना वजह तेरा नाम उछालें।
उसे अपनी हरकतें सुधारने का एक मौका दे। संभव है कि इस बातचीत के बाद उसका ये बर्ताव बदल जाये, लेकिन एक नए तरह के बर्ताव को झेलने के लिए भी तैयार रहना। रूखापन, बदतमीज़ी, काम में निरंतर नुक्स या फिर अवेहलना। लेकिन अपने दिमाग को ठिकाने पर रख, और नौकरी छोड़ने के बारे में सोचना भी मत!
दखल दे- अभी के अभी!
बात ये है अदिबा पुत्तर, जब तक तू चुपचाप रहकर सहेगी, ये सब चलता रहेगा। और ये सब झेलते रहना कोई अच्छी बात तो है नहीं, है ना? लोग जल्द ही सुनी सुनाई बातों के आधार पर तेरे बारे में कानाफूसी शुरू कर देंगे। मेरे ख्याल सइ ये भी कोई अच्छी बात नहीं है।
ज़रूरत पड़ने पर कोई तेरे समर्थन में शायद ही आगे आएगा, इसलिए सही यही है कि तू आज ही इस बर्ताव में दखल दे। आज के युग में किसी भी औरत को ये सब बकवास झेलने की कोई ज़रूरत नहीं है, तो तू क्यों झेल रही है बेटी?
मैं जानती हूँ कि ये नौकरी तेरे लिए बहुत मायने रखती है, और मान लिया कि तेरे आवाज़ उठाने से वो ये सब बंद कर देगा। लेकिन देर सवेर तुझे इस नकारत्मक माहौल से बचने के लिए नया बॉस ढूंढना पड़ेगा। इसलिए ध्यान आत्म सम्मान पर दे, और साथ में काम पर भी।
ऐसे या वैसे
जैसा मैंने पहले भी कहा, चीज़ें बदल सकती हैं और वो सुधर सकता है। लेकिन अगर मामला आगे बढ़ा तो एक शब्द के लिए अपने आप को तैयार कर लेना- 'शारीरिक प्रताड़ना'।
इसके खिलाफ आवाज़ उठाना तेरा अधिकार है और तुझे किसी भी हालात में अपने आत्मसम्मान से समझौता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। इस संघर्ष में तुझे कुछ दोस्तों की ज़रूरत पड़ेगी, उनका विश्वास जीत ले। उन्हें बता कि तेरे साथ क्या हो रहा है और तू ये सब सहन नहीं करने वाली। वो तेरी बात समझेंगे क्योंकि कल ऐसा उनके साथ भी हो सकता है।
ये कदम उठाना मुश्किल ज़रूर है लेकिन मंज़िल इसी दिशा में है। साफ़ बात कर और अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख। तू यह कर सकती है! क्योंकि तुझे ये पसंद नहीं है और तू इसके खिलाफ चुप बैठने वाली लड़कियों में से एक नहीं है।