किसी चाहने वाले द्वारा की गयी हिंसा को ना सिर्फ़ शारीरिक बल्कि मानसिक और यौन उत्पीड़न का भी दर्ज़ा दिया गया हैI कई बार हम जिन चीज़ो को हमारे आस पास, मीडिया में और हमारे परिवारो में घटता हुआ देखकर बड़े होते है, उन्हें सामान्य मान लेते हैI
कई बॉलीवुड की फ़िल्मो और कई किताबों में, रिश्तो में हो रही हिंसा को न्यायोचित दिखाया गया है, कई लोग तो इसे प्यार का जूनून मान लेते है (आपको याद होगा कि कैसे देवदास फ़िल्म में अभिनेता शाहरुख़ खान ने ऐश्वर्या राय के माथे को फोड़ दिया था और उनकी बेदाग़ सुंदरता पर दाग लगा दिया था)I
पर क्या ऐसा ही होता है?!
चूंकि यह हमारे आसपास काफ़ी होता है, शायद इसलिए अधिकतर लोग एक हिंसात्मक रिश्ते से समझौता कर लेते हैI शायद यही वजह है कि इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना तो दूर वो चुपचाप सारे जुर्म सहते रहते हैI रिश्तो में होने वाली ऐसी कुछ कड़वी और हिंसात्मक सच्चाईयां इस प्रकार है:
हिंसा किसी भी रिश्ते का अभिन्न अंग है
दुर्भाग्य से हमारा समाज हमें यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता है की मार-पीट होना किसी भी रिश्ते में एक आम बात हैI इसलिए वो रिश्ता तोड़ने के बजाय हमें उससे समझौता कर लेना चाहिएI इसका तो यही मतलब हुआ कि हम दुर्व्यवहार को खराब समझते ही नही हैI
सिंगल रहना 'कूल' नही है
कई लोग केवल इस वजह से एक हानिकारक रिश्ता नही छोड़ पाते क्यूंकि उन्हें एकाकी जीवन व्यतीत करने में बेइज़्ज़ती महसूस होती हैI
दोबारा प्यार ढूंढना आसान नही
'पहले प्यार जैसा कुछ नही' अगर इस बात पर अँधा विश्वास है तो रिश्ता कितना भी दुश्वार क्यों ना हो उसे छोड़ना असंभव है, खासकर तब 'जब अकेले रहना है' सोच कर ही घबराहट होती हैI
एक रिश्ते का अंकुश आदमियो के हाथ में होना चाहिए
एक रिश्ता बुनियादी रूप से कितना भी गलत क्यों न हो लेकिन कुछ घिसी पिटी मान मर्यादाओं को निभाने के चक्कर में हमें इस बात का आभास ही नहीं हो पाताI
यह लेख अंतरंग साथी के द्वारा की गयी बदसलूकी के खिलाफ हमारे आंदोलन का हिस्सा है #BearNoMore