टूटे सपने
किशोरावस्था में मुझे गर्भावस्था सम्बंधित किताबें पढ़ने का बहुत शौक थाI एक रात ऐसी ही एक किताब पढ़ते हुए पेट पर अपनी उंगलिया सहलाते हुए मेरे मन में ख्याल आया कि मुझे कैसा लगेगा जब मैं माँ बनूंगी? उस समय मैं सिर्फ़ 13 साल की थी और उस ख्याल ने ही मुझे रोंमांचित कर दिया थाI
किसने सोचा था कि छह साल बाद मेरा वो सपना पूरा तो ज़रूर होगा लेकिन जल्द ही टूटने के लिएI
शुरुआत
मैं सिर्फ़ 14 साल की थी जब मैंने राहुल को डेट करना शुरू किया थाI बाकी जोड़ो की तरह हम भी जल्द ही काफ़ी करीब आ गए थेI मानसिक और शारीरिक दोनों रूप सेI अन्य जोड़ो की तरह हमारा रिश्ता भी उतार चढ़ावो से भरा थाI लेकिन राहुल के साथ मेरा रिश्ता बराबरी का नहीं था। राहुल मुझसे आठ साल बड़ा था और हमारे बीच उम्र का यह अंतर tab ज़्यदा नज़र आता था जब वो अपनी मनमानी करता थाI उसकी मनमानियों में शारीरिक ज़बरदस्ती भी शामिल थीI
कुछ दिन अच्छे गुज़रते थे जब वो मेरी तरफ़ प्यार और देखभाल का रवैया रखता था लेकिन उस रवैये में भी अनादर का भाव साफ़ नज़र आता थाI वैसे तो ज़्यादातर दिनों में मैं उसके व्यवहार की वजह से बेचैनी ही महसूस कर रही होती थीI
पहला झटका
हमारे रिश्ते को पांच वर्ष हो चुके थे जब मुझे पहली बार पता चला कि मैं गर्भवती हूँI दहशत, घबराहट और अविश्वास के भावों ने एक साथ मुझे आ घेरा थाI गर्भावस्था का मेरा सपना तो सच हो रहा था लेकिन 13 साल के मेरे हसीन सपने की तरह इसमें कुछ भी रोमांचक नहीं थाI हमारे रिश्ते और परिस्थितियों की वास्तविकताओं को देखते हुए, मेरे पास गर्भपात ही एकमात्र विकल्प था।
सँभलने का भी मौक़ा नहीं मिला
इससे पहले की मेरा शरीर मेरे पहले गर्भपात से उबार पाता, मैं फ़िर गर्भवती हो गयी थी - चार महीनों में दूसरी बार। ऐसा नहीं था कि हमने पहले सुरक्षा का इस्तेमाल नहीं किया था या यह मेरा पहला संभोग थाI बस मैं अपने अपमानजनक रिश्ते से इतनी हताश हो चुकी थी कि मैंने अपने या अपने शरीर के बारे में सोचना बिलकुल बंद कर दिया थाI गर्भपात का निर्णय भी मैंने जन्म के लगभग आठ हफ़्ते पहले ही लिया थाI
मैं एक झूठे नाम और उम्र के साथ स्त्री रोग विशेषज्ञ के क्लिनिक में पहुँचीI दिखाया। हालांकि, मैंने उनसे यह सच नहीं छिपाया था कि मैं अविवाहित हूँI डॉक्टरों ने मुझे बता दिया था कि मेरा गर्भपात शल्य चिकित्सा यानी कि सर्जरी से किया जाएगा और इसमें जटिलताएं भी हो सकती हैंI इस बार मैं जब घर पहुँची तो मेरा शरीर और दिमाग दोनों सुन्न थेI
एक बार फ़िर
मेरे रिश्ते में मेरे साथ इतना खराब व्यवहार किया जाता था कि मुझे भी अपने आप से नफ़रत हो चुकी थीI मैंने अपने शरीर की देखभाल करना बंद कर दिया और जल्द ही मैं तीसरी बार गर्भवती हो चुकी थीI मुझे ज़्यादा तो नहीं आता था लेकिन इस बात का एहसास हो चुका था कि मैं जो भी अपने शरीर के साथ कर रही हूँ वो सही नहीं हैI
मैंने इस परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए कुछ क्यों नहीं किया? सच कहूँ तो मुझे इस विचार से बेहद सुकून मिलता था कि मैं ऐसी हताश परिस्तिथियों में भी जी रही हूँI शायद मैं जानबूझ कर यह अपने साथ होने दे रही थीI मैं खुद के प्रति उदासीन और बद्तमीज़ हो चुकी थीI बुरा व्यवहार आपके अंदर एक नयी पहचान पैदा कर देता है, एक ऐसी पहचान जिसे आप खुद भी नहीं पहचान पातेI दुरुपयोग आप में से एक अलग व्यक्ति बना सकते हैं एक व्यक्ति जो कि आप खुद को पहचानने में असफल होते हैं
अंतिम झटका
इतनी जल्दी तीन गर्भपात होने के बाद राहुल और मेरे रिश्ते में खटास तो बढ़ ही चुकी थी लेकिन इस अपमानजनक रिश्ते से मुझे बाहर निकालने में अभी भी एक गर्भपात बाकी थाI
चौथी बार के बाद मुझे एक अजीब सी उदासी और बेचैनी ने घेर लिया थाI मैंने पाया कि मैं खुद पर और अपनी प्रतिक्रियाओं पर ही सवाल उठा रही थीI सच्चाई यह थी कि, मैं यह स्वीकार करने के लिए तैयार ही नहीं थी कि मेरे साथ कभी गर्भपात भी हो सकता हैI वो भी चार बार और अपने इक्कीसवें जन्मदिन से पहलेI उस दिन मुझे पहली बार एहसास हुआ कि मुझे यह सब खत्म करना होगाI
कोई पछतावा नहीं
शायद लाखों लोग गर्भवती होने के लिए भगवान् से प्रार्थना करते होंगे और सपने देखते होंगे लेकिन शायद ही कोई गर्भपात के लिए कामना करता होगाI आप इस बात को तभी समझ सकते हैं जब आप खुद इस परिस्थिति में होंगेI
गर्भपात महिलाओं के लिए एक ऐसा विकल्प है जो पूरी तरह से कलंकित है और शर्म के महासागर पर तैरता है। लेकिन मुझे अपने किसी भी गर्भपात का कोई पछतावा नहीं है। यदि मेरे पास यह विकल्प नहीं होता तो शायद मेरे अंदर उस व्यक्ति का जन्म नहीं होता जिसके अंदर अपने छह साल लंबे भावनात्मक और मानसिक रूप से अपमानजनक रिश्ते को ख़त्म करने की शक्ति होतीI वो व्यक्ति जो आअज अपनी और अपने शरीर का सम्मान करता है इस बात का शुक्रगुज़ार है कि इतना सब कुछ होने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारीI वो व्यक्ति जो आज इतना समझदार हो गया है कि जान चुका है कि उसे कब माँ बनना है, फ़िर चाहे वो शादीशुदा हो या नहींI
28 सितम्बर को सुरक्षित और कानूनी गर्भपात के लिए विश्व दिवस था और इसी उपलक्ष्य में सुप्रिया ने (बदला हुआ नाम बदलकर) ने हमारे #ChoiceOverStigma ब्लोगाथन के लिए अपनी गर्भपात की कहानी साझा की हैी
हम उन भारतीय महिलाओं की कहानियों को अपने पाठकों के लिए लाये हैं जिन्होंने गर्भपात करवा कर अपने प्रजनन अधिकारों पर हक़ जतायाI
लव मैटर्स सुरक्षित, कानूनी और आसानी से उपलब्ध गर्भपात के लिए महिलाओं के अधिकार का समर्थन करता हैI।
तस्वीर के लिए एक मॉडल का इस्तेमाल किया गया है.
यह लेख पहली बार 27 सितंबर, 2017 को प्रकाशित हुआ था।
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