नैना नाम की एक दिव्यांग लड़की सेक्स टॉय खरीदना चाहती थी। लेकिन क्या उसके लिए यह आसान था? क्या उसकी माँ इसके लिए कभी तैयार होंगी? क्या वह इसका सही इस्तेमाल कर पाएगी? उसके पास बहुत सारे सवाल हैं। लेकिन इसका पता लगाने का एक ही तरीका था - इसे इस्तेमाल करके देखना। उसने लव मैटर्स इंडिया के साथ अपना अनुभव शेयर किया।
मैं अपनी सहेलियों के साथ थी, हमने एक खेल खेलना शुरू किया। एक एक करके, सब लड़कियों को अपनी यौन कल्पनाओं के बारे में बताना था। मुझे नहीं पता कब और क्यों मेरी बारी रह गयी?
'हमें अपने चारों ओर एक ही तरह के रिश्तें नज़र आते हैं। नियमित रूमानी रात वाली डेट्स, जो अक्सर बाहर होती है...एक साथ ट्रिप्स, वक़्त-वक़्त पर सेक्स और बहुत सी ऐसी युगल जोड़ो वाली बातें। ऐसी कई चीज़ें हमारे लिए फिट नहीं बैठती और मेरी विकलांगता ने इन्हे और भी मुश्किल बना दिया था। ऐसे ‘तौर तरीकों’ को चुनौती देना आसान नहीं, जिन्हे समाज ना केवल स्वीकृति देता है, बल्कि पुरस्कृत भी करता है’ श्रीनिधि राघवन ने राइज़िंग फ्लेम को अपनी कहानी बताते हुए कहा।
कभी-कभी साधारण चीज़ों की चाह सबसे ज्यादा होती है, और मैं चाहती थी कि उसका ध्यान मेरी ओर हो। मैंने उसे या किसी और को कभी नहीं बताया कि मुझे कैसा महसूस होता है पर मैं मन ही मन उससे प्यार करती थी। मेरी ज़िन्दगी उस तमिल गाने ‘कनाबाथेलम ... कधालाड़ी’ (मैं जो भी आस-पास देखती हूँ, सब प्यार जैसा लगता है) के जैसी लगने लगी थी। डॉक्टर दीपा वी. राइजिंग फ्लेम से अपनी कहानी बताते हुए कहती हैं।
‘कुछ दिन अच्छे, तो कुछ दिन बुरे होते थे। कभी तो हम दिन भर बातें किया करते थे, और फिर कभी कभी तो बिलकुल ही नहीं। लेकिन मुझे सचमुच लगता है के कोविड का समय एक ऐसी परीक्षा की घड़ी थी जो हमें पास ले आयी, और अब हम एक दूसरे की विभिन्नता और इच्छाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए हैं’, निधि गोयल ने अपनी कहानी लव मैटर्स के साथ शेयर की।
सोनाली विकलांग है। उषा आंटी उसकी सभी शारीरिक ज़रूरतों को पूरा करने में उसकी मदद करती हैं। लेकिन लॉकडाउन होने के बाद उषा आंटी अब उसके घर नहीं आ पा रही हैं। फिर सोनाली ने अपनी लाइफ कैसे मैनेज की? उसने लव मैटर्स इंडिया के साथ अपनी कहानी शेयर की।
मुझे अपने बॉयफ्रेंड के रूप में कोई केयरटेकर नहीं चाहिए। जिस आदमी को मैं अपने लिए चुनूँ, वह मुझे प्यार और आदर दे , मेरी यही चाहत है। मुझे रूमानी डेट्स पर जाना, फूल, मूवी, हाथों में हाथ डाले घूमना, एक दूसरे से लिपटना, चूमना प्यार में ये सब चाहिए था। यह समझना लोगों के लिए इतना मुश्किल क्यों है कि जो भी उन्हें चाहिए हो सकता, वही मैं भी चाहती हूँ। उसी तरह प्यार में पड़ना और प्यार पाना। ये बातें सृष्टि ने राइज़िंग फ्लेम से कहीं।
हम एक विकलांग, क्वियर और ट्रांस कपल हैं। हमें अपने अस्तित्व के लिए रोज़ समाज से लड़ना पड़ता है। हमें मालूम है कि न्यूक्लियर फेमिली (एकल परिवार) की मान्यता को मानने वाला यह समाज हमारे रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं करेगा। हमारी कहानी वैसी नहीं है जैसा आप बॉलीवुड फिल्मों में देखते हैं। हमारी पहली डेट पर सबसे अच्छी चीज़ ये थी कि हमने एक दूसरे के संघर्षों और अनुभवों का बहुत सम्मान किया। शिवांगी ने राइजिंग फ्लेम के साथ अपनी कहानी साझा की।