किरण राय लव मैटर्स इंडिया के चर्चा बोर्ड की मॉडरेटर हैंI
मैं यही सोच और सुन कर बड़ी हुई कि एक औरत का जीवन तब तक पूरा नहीं होता जब तक वो माँ नहीं बन जातीI लेकिन अपने और अपने शरीर के साथ हुए इस अनुभव के बाद तो मैं यही कहूँगी कि माँ बनना है या नहीं, यह निर्णय पूरी तरह एक औरत का होना चाहिएI
मैंने और मेरे पति ने शादी से पहले ही यह फैसला कर लिया था कि हम बच्चा तभी करेंगे जब हम दोनों एक दुसरे को अच्छी तरह से समझ चुके होंगे और अपने अपने कैरियर में पूरी तरह स्थापितI लेकिन शायद शादी के जोश और रोमांच क चलते हम परिवार-नियोजन के बारे में भूल गए और असुरक्षित सेक्स कर बैठे I
सदमा
मेरे लिए यह अनचाहा गर्भधारण किसी बुरी खबर से कम नहीं थाI मेरी एक दोस्त अभी अभी माँ बनी थी तो मैंने सोचा कि क्यों ना इस बारे में उसकी राय ली जाये? उसे लगा कि यह अच्छी खबर है लेकिन जब मैंने उसे बताया कि हम दोनों एक बच्चे को जन्म देने के लिए आर्थिक और मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं तो उसे लगा कि मेरा दिमाग खराब हो गया है I
"क्या मतलब कि तू मानसिक रूप से तैयार नहीं है? एक बार बच्चा हो जाने दे सब ठीक हो जायेगा"I उसका यह मानना था कि अपने पति और अपने सास-ससुर से अपना रिश्ता और मज़बूत करने के लिए मुझे इस बच्चे को ज़रूर जन्म देना चाहिएI
यह कहानी पहली बार 28 सितंबर, 2015 को प्रकाशित हुई थी।
यह लेख लव मैटर्स के उस अभियान का हिस्सा है जो कि गर्भपात से जुडी गलत धारणाओं को अंत करने के बारे में हैI #BustTheMyths अभियान 28th September WGNRR के साथ चलेगा