अच्छा सेक्स स्वस्थ जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है- इसका असर एक महिला के आत्मविश्वास और संबंधों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। यह एक मान्य तथ्य है जो गर्भावस्था या उसके अलावा भी लागू होता है।
किन्तु सेक्स और गर्भ के पूरी तरह प्राकृतिक होने के बावजूद, इस सन्दर्भ में महिला और पुरुष दोनों ही अक्सर उलझन में रहते हैं। और अक्सर डॉक्टर से पूछते हुए भी झिझकते हैं।
इन्ही कारणों के चलते भारतीय गायनीकोलॉजिस्ट डॉ पद्मिनी प्रसाद ने महिलाओं से गर्भावस्था के दौरान सेक्स के बारे में उनसे उनकी राय जानने का निर्णय लिया। उन्होंने इस सन्दर्भ में 19 से 39 वर्ष की आयु की 50 महिलाओं का साक्षात्कार किया जो कि गर्भावस्था के अलग अलग चरणों पर थीं।
शारीरक अलगाव
इनमे से 30 महिलाएं ऐसी थी जो गर्भवती होने के बाद सेक्स कर रही थीं, हालाँकि केवल 2 महिलाएं ही ऐसी थी जो शिशु होने तक सेक्स के मामले में ऐक्टिव रहीं। वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाओं ने बताया कि वो केवल अपने साथी के साथ आलिंगन और चुम्बन के साथ ही ख़ुश थीं। कुल 15 महिलाएँ ऐसी थीं जिन्होंने इस दौरान बिलकुल सेक्स नहीं किया।
हर कोई एक दूसरे से अलग होता है, और महिला के शरीर के भीतर निरंतर हार्मोन सम्बंधी बदलाव आ रहे होते हैं जिनके असर से कुछ महिलाओं की सेक्स इच्छा बढ़ सकती है जबकि कुछ के साथ उलटा असर हो सकता है। शारीरिक अंतरंगता के सेक्स के अलावा और भी तरीक़े हैं जैसे कि मुख मैथून, चुम्बन, आलिंगन या हस्तमैथून इत्यादि।
सेक्स इच्छा
डा प्रसाद का कहना है कि कुछ महिलाएँ गर्भ के दौरान जननांगों में बढ़े हुए रक्त प्रवाह के चलते सेक्स का आनंद सामान्य दिनों की तुलना में अधिक महसूस कर पाती हैं जबकि कुछ के लिए यह असहज और तकलीफ़देह भी हो सकता है। इस दौरान महिलाओं के स्तन काफ़ी संवेदनशील हो जाते हैं।
जब सेक्स इच्छा की बात आयी तो 18 महिलाओं ने सेक्स इच्छा में कमी की बात बतायी,और 20 ने कहा कि गर्भ के दौरान उनके लिए सेक्स के चरम तक पहुँचना मुश्किल था। इसके अलावा क़रीब 20 महिलाओं ने कहा कि उनके गर्भ के दौरान उनके साथी को लिंग उत्तेजन, या सेक्स इच्छा में कमी जैसी मुश्किलें आ रही थीं।
जिन महिलाओं को ऑर्गैज़म हुआ, उन्होंने इसके बाद बच्चादानी में कठोरता और खिंचाव महसूस होने के बात कही। लेकिन यह बिलकुल सामान्य है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। सेक्स के बाद शिशु का गर्भ में हिलना डुलना भी सामान्य है। इतनी सब हलचल देख शिशु का उत्साहित होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है और ना ही चिंता की।
सेक्स मुद्राएँ
सेक्स इच्छा और उत्तेजना का तीनों तिमहाइयों के दौरान बदलते रहना एक आम स्थिति है और पहली तिमाही के दौरान सेक्स की इच्छा कम होना भी सामान्य पाया गया। इस दौरान जी मिचलाने और थकान रहने की समस्याओं के चलते सेक्स की इच्छा में कमी आना स्वाभाविक है।
दूसरी तिमाही के दौरान महिलाएँ एक बार फिर सेक्स के मूड में थीं, और आठवें माह से फिर एक बार गिरावट देखी गयी जिसकी वजह शायद थकान, कमज़ोरी और पेट का बढ़ा हुआ आकार था।
बढ़े हुए पेट के आकार की बात आयी तो इनसे पूछा गया कि इस अवस्था में इन्होंने और इनके साथी ने कौनसी मुद्रा में सेक्स किया? बैठ कर सेक्स सबसे आम मुद्रा देखी गयी लेकिन साइड क्रिया और मिशनेरी मुद्रा भी असामान्य नहीं थी।
शारीरिक संतुष्टि
डॉ. प्रसाद के अनुसार गर्भावस्था के दौरान अधिकतर महलाएँ सामान्य रूप से सेक्स कर सकती हैं बशर्ते कि उनकी स्थिति जोखिमभरी ना हो ओर उसमें किसी तरह कि जटिलताएं ना होI महिलाओं को उनके बच्चे के बारे में फ़िक्र करने कि भी ज़रूरत नहीं है क्यूंकि उल्बीय द्रव्य ओर गर्भाशय की शक्तिशाली मांसपेशियां सेक्स के दौरान बच्चे की सुरक्षा करने में पूरी तरह सक्षम हैंI
बच्चे के जन्म के पश्चात चार महिलाओं ने तो एक महीने के भीतर ही सेक्स कर लिया थाI लेकिन औरों को कुछ समय लगा - करीब करीब 6 महीने या उससे ज़्यादाI एक महिला के शरीर को पूरी तरह ठीक होने में कुछ समय लगता है ओर सम्भोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना ठीक रहता हैI
डॉ प्रसाद मानते हैं कि अपनी गर्भावस्था के दौरान सकारात्मक और खुश रहना और अपने आपको खूबसूरत महसूस करना एक महिला के सेक्स जीवन में महत्त्वपूर्ण असर डाल सकता हैI और गर्भावस्था के दौरान सेक्स में संतुष्ट कैसे रहें? "संवाद, खुलापन और थोड़े सा प्रयोग (experimentation)"
स्त्रोत: पोस्टर एंड एब्सट्रैक्ट : सेक्स एंड प्रेगनेंसी , पद्मिनी प्रसाद