प्रसव के बाद उदासी: 5 मुख्य तथ्य
Shutterstock/greenaperture/Person in the photo is a model

प्रसव के बाद उदासी: 5 मुख्य तथ्य

द्वारा Stephanie Haase अप्रैल 6, 11:28 पूर्वान्ह
कई माताओं के लिए बच्चे के जन्म के बाद का समय आनंदपूर्ण नहीं होताI वो पी.पी.डी. या प्रसवोत्तर निराशा से ग्रसित हो जाती हैंI आइये इस बारे में और जानें!

इस हफ्ते लव मैटर्स इंडिया विश्व स्वास्थ्य दिवस मना रहा है जो 7 अप्रैल को हैI इस साल विश्व स्वास्थ्य दिवस पर डिप्रेशन (निराशा) और इस बारे में और बात करने को एक अहम् मुद्दा बनाया गया हैI हम भी इस हफ्ते की शुरुआत प्रसव के बाद आने वाली निराशा के बारे में बात करके करने जा रहे हैंI

लगभग 11 से 20 प्रतिशत महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद पी.पी.डी. होता हैI इससे ना सिर्फ़ उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है बल्कि उनके लिए अपने बच्चे का ध्यान रखना भी मुश्किल हो जाता हैI

  1. पी.पी.डी. क्या है
    पी.पी.डी. आमतौर पर 'बेबी ब्लूज़' के नाम से मशहूर है और यह विश्व की करीब 5 से 25 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है, जो पहली बार मां बनती हैंI इससे प्रभावित महिला को प्रसव के कुछ हफ़्तों बाद उदासीनता घेर लेती हैI निराशा, थकान और सोने और खाने के समय में फ़ेरबदल होना इसके कुछ आम लक्षण हैंI वैसे तो यह सब आमतौर पर हर उस महिला के साथ कभी ना कभी ज़रूर होता है जो पहली बार माँ बन रही होती हैं, लेकिन पी.पी.डी. से ग्रसित महिला के अंदर चिड़चिड़ापन और बैचैनी ज़्यादा होती हैI ऐसी महिला को बार-बार रोना भी आता है और इन माताओं के लिए अपने बच्चे का ध्यान रख पाना भी मुश्किल हो जाता हैI
    पी.पी.डी. के पीछे छिपे कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाए हैं लेकिन कुछ वजह हैं जो पी.पी.डी. का ख़तरा बढ़ा देती हैं जैसे, प्रसव के दौरान सदमा पहुँचना, आत्मविश्वास की कमी, अपने साथी के साथ रिश्ते में खटास और माँ बनने को लेकर बेहद चिंता करनाI
    पी.पी.डी. से ग्रसित महिला को किसी सलाहकार से या सहायता मंडली से मदद लेनी चाहिए लेकिन इससे पूरी तरह उबरने में उसे कुछ महीने या उससे ज़्यादा समय भी लग सकता हैI कुछ महिलाओं को दवाओं की मदद भी लेनी पड़ती हैI

    पी.पी.डी. पुरुषओं में भी हो सकता है!

     
  2. लक्षण
    जितना जल्दी पी.पी.डी. के बारे में पता चल जाए, इसका इलाज और इससे उबरना भी उतना ही आसान होता हैI इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है कि पहली बार माँ बनने वाली महिला का ख़ास ध्यान रखा जाए और ऐसी कोई भी बात जो असामान्य नज़र आये उसके बारे में तुरंत किसी अच्छे सलाहकार से पता लगाया जायेI
    अगर आपका साथी या कोई करीबी पी.पी.डी. से ग्रसित हो तो इस बारे में आराम से उनसे बात करेंI उन्हें इस बात का विश्वास दिलाये कि इसकी वजह वो नहीं हैI पी.पी.डी. के लिए किसी को भी दोष देना ठीक नहीं हैI
    समस्या यह है कि पी.पी.डी. से ग्रसित कई महिलाओं को यह पता ही नहीं होता कि उनकी स्थिति इलाज योग्य हैI उन्हें लगता है कि उनके साथ जो भी हो रहा है वो सब माँ बनने के अनुभव का हिस्सा हैI बाकियों को यह स्वीकार करने में और दूसरो को बताने में शर्म आती है कि वो डरी हुई है, क्योंकि हर कोई यह उम्मीद कर रहा होता है कि वो बेहद खुश हैंI यह ज़रूरी है कि आप पहली बार माँ बनी महिला को हर संभव सहायता दें और उनके साथ कोमलता से पेश आएंI
     
  3. बेबी ब्लूज़ और बेबी पिंक्स
    आमतौर पर पी.पी.डी. और बेबी ब्लूज़ को एक ही माना जाता जबकि दोनों में बहुत अंतर हैI बेबी ब्लूज़ प्रसव के कुछ हफ़्तों के दौरान होने वाली एक सामान्य प्रतिक्रया है जिसमे एक महिला का चिड़चिड़ा होना और उसे बैचैनी होना संभव है क्योंकि उसके हार्मोन्स का स्तर बिगड़ा होता है और माँ को उसकी ज़िंदगी में हो रहे नए-नए बदलावों के साथ अपना तालमेल बिठाने में परेशानी हो रही होती हैI
    यह लक्षण कुछ हफ़्तों बाद बिना किसी चिकित्सा के सामान्य हो जाते हैंI लेकिन अगर ऐसी प्रतिकूल भावनाएं लंबे समय तक रहती हैं तो आपको पी.पी.डी. हो सकता हैI
    दूसरी ओर बेबी पिंक की अवस्था में एक महिला बच्चे के जन्म के बाद अति-उत्साहित हो जाती हैI यह भी ध्यान रहे कि कई बार बेबी पिंक, पी.पी.डी. का पहला लक्षण हो सकता हैI
     
  4. प्रसवोत्तर मनोविकार
    कई बार प्रसवोत्तर मनोविकार (पी.पी.पी) और पी.पी.डी. को लोग एक ही मान लेते हैं लेकिन यह एक अलग स्थिति है जो पी.पी.डी. की तुलना में बेहद दुर्लभ लेकिन खतरनाक हैI ऐसा 1000 में से किसी एक प्रसव में होता हैI
    प्रभावित माताओं को भ्रम और मतिभ्रम हो जाता है। उन नयी माताओं में पीपीपी सबसे आम है, जो बच्चे के जन्म से पहले से ही द्विध्रुवी विकार या किसी अन्य मानसिक समस्या की शिकार होती हैं। यदि आपको संदेह है कि किसी को पी.पी.पी है तो उनका तुरंत इलाज करवाएं क्योंकि बिना इलाज के इससे उबरना नामुमकिन हैI
     
  5. विश्व में पी.पी.डी.
    पीपीडी दुनिया भर की महिलाओं को प्रभावित कर सकता है लेकिन अलग-अलग संस्कृतियों में इससे निपटने के अलग-अलग तरीके हैं। मलय संस्कृति में, लोगों का मानना ​​है कि नाल के अंदर प्रेतात्मा का निवास होता है और यदि वो नाखुश हो जाए तो मां में पीपीडी पैदा कर सकती हैI इन लोगो का यह भी  मानना है कि इस आत्मा को एक जादूगर की मदद से ही भगाया जा सकता हैI
    अन्य संस्कृतियों में, लोग मानते हैं कि जन्म के बाद नयी माँ को संरक्षण देने की जरूरत है जिससे उसे पीपीडी ना होI उदाहरण के लिए, चीन में, प्रसव के बाद एक माँ अपनी माँ और सास की देखरेख में पूरा एक महीना बिस्तर पर ही बिताती हैI हालांकि यह सुनने में आरामदायक प्रतीत होता है लेकिन उन्हें स्नान करने, बाल धोने या घर छोड़ने की भी अनुमति नहीं होतीI चलो, आशा करते हैं कि इससे उन्हें बेबी ब्लूज़ ना हो जाए!

क्या आपने कभी पी.पी.डी. का सामना किया है? अपने विचार और अनुभव नीचे टिप्पणी करके या फेसबुक के ज़रिये हम तक पहुंचाएI आप हमारे चर्चा मंच जस्ट पूछो का हिस्सा भी बन सकते हैंI

क्या आप इस जानकारी को उपयोगी पाते हैं?

Comments
नई टिप्पणी जोड़ें

Comment

  • अनुमति रखने वाले HTML टैगस: <a href hreflang>