Periods after having a baby
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प्रसव के बाद माहवारी - ज़रूरी जानकारी

राधिका ने कुछ समय पहले एक शिशु को जन्म दिया था और उसे जिज्ञासा है कि उसकी माहवारी फिर से सामान्य कब होगी? और वह यह भी जानने के लिए उत्सुक है कि लोचिया (प्रसव के बाद का योनि स्राव )और माहवारी में क्या अंतर है ? लव मैटर्स का यह आर्टिकल , प्रसव के बाद माहवारी से सम्बंधित प्रश्नों का उत्तर देने में सहायक होगा।

आपके अंदर पल रही एक नयी ज़िंदगी की ख़ुशी के अलावा , गर्भावस्था आपके लिए कांतिमान त्वचा, चमकते बाल और माहवारी से आज़ादी भी साथ लाती है। और एक बार जब आप जन्म दे देती हैं , तब आपका शरीर एक अलग प्रकार के बदलाव चक्र से गुज़रता है - अवसाद (depression) और मनोदशा बदलाव - मूड स्विंग से बाल झड़ने तक।  ऐसा ही एक परिवर्तन है, आपकी माहवारी का वापस आना। 

प्रसव के बाद की आपकी अधिकतर ज़िंदगी की ही तरह, आपकी प्रसवोत्तर अवधि भी कुछ कुछ बदली हुई होगी। क्या आप सोच रही हैं कि आपके पीरियड्स वापस कब आएंगे? दर्द और रक्त प्रवाह कैसा होगा? आइये एक नज़र डालते हैं इस पर कि प्रसव के बाद आप अपनी माहवारी से क्या अपेक्षा कर सकती हैं:

प्रसव के बाद अपने पहले मासिक धर्म से आप क्या अपेक्षा कर सकती हैं ?

प्रसव के कितने समय बाद आपका पहला मासिक धर्म होग , यह इस पर निर्भर करता है कि आप कितने लम्बे समय तक स्तनपान करवाती हैं। यदि आप पूर्ण रूप से स्तनपान नहीं करवा रही हैं, तो आप अपने मासिक धर्म की प्रसव के 6-8 हफ्ते बाद होने की अपेक्षा कर सकती हैं। और यदि आप करवा रही हैं , तो यह समय सीमा आपके हॉर्मोन्स की वजह से आपके शरीर में बदलाव पर निर्भर कर सकती है। 

'पूर्ण रूप' अर्थात - आपका दूध ही एकमात्र भोजन है जिसे आपका नवजात शिशु ले रहा है। किसी भी प्रकार के फार्मूला दूध, गाय के दूध, ठोस भोजन, यहाँ तक कि पानी भी अब तक शिशु को नहीं दिया गया है। 

कुछ नयी माँओं की माहवारी तब तक पुनः प्रारम्भ नहीं होती जब तक कि वे पूर्ण रूप से स्तनपान करवा रही होती हैं। अन्य के लिए , मासिक धर्म फिर भी कुछ महीनों के बाद पुनः प्रारंभ हो जाता है। परन्तु ये तब भी अनिश्चित और अनियमित हो सकता है ।  

लोचिया बनाम प्रसव के बाद की पहली माहवारी

इस बात पर निर्भर ना होते हुए कि आपका प्रसव सामान्य योनि द्वारा अथवा सी-सेक्शन द्वारा हुआ है , आपको बाद में कुछ रक्त स्नाव और अन्य स्नाव हो सकता है। लोचिया के नाम से जाना जाने वाला, यह रक्त, द्रव और टिश्यू का स्नाव, आपके शरीर द्वारा गर्भावस्था के दौरान निर्मित गर्भाशय की परत को गिराने का तरीका है। यह स्नाव जो आरम्भ में गाढ़ा और खून से भरा होता है और अंत तक हल्का और साफ़ हो जाता है , छह सप्ताह तक चल सकता है। यह वह समय भी है जब आपको प्रसव के बाद आपका पहला पीरियड हो सकता है। 

परिणामस्वरूप, बहुत सी नयी मांओं के लिए एक (लोचिया ) को दूसरे (पीरियड) से भिन्न कर पाना मुश्किल लगता है या फिर निश्चित रूप से यह बता पाना भी कि लोचिया रुक चुका है और प्रसव के बाद की पहली माहवारी शुरू हो चुकी है। यह कुछ स्पष्ट विभेदक हैं जिनसे आप उन्हें अलग कर सकती हैं :

  • लोचिया भारी रक्त स्नाव के साथ कुछ प्रत्याशित थक्कों के साथ आरम्भ होता है परन्तु समय के साथ साथ भूरा, साफ़ या गुलाबी-लाल रंग का हो जाता है। आपके मासिक स्नाव का रंग उजला या गहरा लाल होगा। 
  • यदि आपका रक्त स्नाव या फिर ऐसा कोई भी स्नाव जिसमें कि आपको सेनेटरी पैड या पैंटी लाइनर पहनना पड़े लगभग 6 सप्ताह के आस-पास, रुक चुका है और फिर आपको फिर से रक्त स्नाव होता है, तो यह आपका प्रसव के बाद का पहला पीरियड है। 
  • लोचिया अधिक शारीरिक क्रियाओं या परिश्रम से बढ़ता है, माहवारी का रक्त स्नाव नहीं बढ़ता है। 
  • लोचिया और माहवारी के रक्त की कुछ खास अलग अलग  तरह की गंध होती है।

इन अंतरों पर गौर करना आपको यह सुनिश्चित करने में सहायक होता है कि आपकी माहवारी पुनः आरंभ हो चुकी है, और किसी भी अनियोजित, अनचाहे गर्भधारण को रोकने में भी, जबकि आप और आपका साथी प्रसव के बाद यौन रूप से सक्रिय हों।

प्रसव के बाद का पीरियड सामान्य पीरियड से किस प्रकार भिन्न है ?

प्रसव के बाद आपका शरीर फिर से मासिक धर्म के साथ अनुकूलित होता है। अर्थात आपकी पहली माहवारी -या शुरुआत के कुछ पीरियड -पहले जैसे नहीं होंगे। कुछ विशेष बदलाव जो आप अनुभव करेंगी :

  • भारी रक्तस्राव थक्कों के साथ 
  • बढ़ा हुआ दर्द 
  • अनियमित माहवारी चक्र 
  • अनियमित रक्त प्रवाह 
  • बढ़ी हुई ऐंठन /मरोड़ 

ये बदलाव शरीर के अस्थिर हॉर्मोन और गर्भाशय की कैविटी के विस्तार जो कि गर्भाशय की परत के गिरने की मात्रा बढाती है, उनकी वजह से ज़्यादा सक्रिय होते हैं। 

यदि आप एंडोमेट्रिओसिस से ग्रसित हैं , तो आपको प्रसव के तुरंत बाद ही हलके पीरियड होने लगेंगे। दर्द की तीव्रता भी काफी हद तक कम हो सकती है। हालाँकि , अधिकतर स्थितियों में दर्द और असुविधा समय के साथ अधिक होती जाती है। इसी तरह , अडेनोमोसिस या थायरॉइड जैसी जटिलताएं प्रसव के बाद रक्तस्राव को अत्यधिक भारी बना देती हैं।

क्या स्तनपान करवाना प्रसव के बाद माहवारी को प्रभावित करता है ?

जी हाँ, स्तनपान निश्चित रूप से प्रसव के बाद माहवारी को प्रभावित करता है , उन हॉर्मोनल बदलावों की वजह से जो कि इस प्रक्रिया में सक्रिय हो जाते हैं। आपके शरीर को स्तन का दूध बनाने के लिए प्रोलैक्टिन नामक हॉर्मोन की आवश्यकता होती है जो कि प्रजनन के हॉर्मोन्स को बनने से रोकता है।  इसकी वजह से ओवुलेशन नहीं होता। अंडाशय से अंडे ना निकल पाने की स्थिति में, गर्भाशय की परत गाढ़ी नहीं होती। और जब गर्भाशय की परत गिरने के लिए बन ही नहीं पायी, तो आपको माहवारी नहीं होगी। 

क्या आप प्रसव के बाद अपना पहला पीरियड होने से पहले ही गर्भवती हो सकती हैं ?

पूर्ण स्तनपान को कई लोगों द्वारा प्राकृतिक गर्भ निरोधक भी माना जाता है। हालाँकि, 100 में से 1 महिला हर साल पूर्ण स्तनपान करवाते हुए भी विश्वसनीय गर्भ निरोधक उपाय के अभाव में गर्भवती हो सकती है। अतः, जबकि स्तनपान प्रसव के बाद की माहवारी को प्रभावित कर सकता है, फिर भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि यह गर्भधारण को रोक सकता है।

नज़र रखने के लिए कुछ असाधारण संकेत क्या हैं ?

प्रत्येक स्त्री का प्रसव के बाद का माहवारी का अनुभव भिन्न हो सकता है। मासिक धर्म पुनः आरंभ होने की समयसीमा, असुविधा का स्तर और रक्त प्रवाह सब के लिए अलग अलग हो सकता है। फिर भी कुछ स्पष्ट संकेत हैं कि आपकी माहवारी सामान्य नहीं है। 

नज़र रखने के लिए ऐसे कुछ संकेत इस प्रकार हैं :

  • माहवारी के दौरान अचानक और तीव्र दर्द उठना 
  • एक घंटे में एक से ज़्यादा सेनेटरी पैड के इस्तेमाल की आवश्यकता 
  • बुख़ार या तीव्र सर दर्द 
  • खून के भारी थक्के 
  • एक सप्ताह से ज़्यादा रक्त प्रवाह होना 
  • मूत्रत्याग के समय दर्द 
  • सांस रुकना या सांस लेने में तकलीफ़ 

इनमें से कोई भी एक या अधिक संकेतों के होने पर तत्काल चिकित्सकीय सहायता लें, क्योंकि यह किसी संक्रमण का सूचक हो सकता है। यदि आप इनमें से कुछ भी अनुभव करें तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। 

प्रसव के बाद माहवारी इस बात का संकेत है कि आपका शरीर प्रसव के बाद ठीक हो रहा है और प्रसव से पूर्ण वाली स्थिति में वापस रहा है। हालाँकि ज़रूरी नहीं कि यह अनुभव सुखद ही हो, मगर यह समय साथ बेहतर हो जाता है।

पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।

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आरुषि चौधरी एक फ्रीलैंस पत्रकार और लेखिका हैं, जिन्हें पुणे मिरर और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे प्रिंट प्रकाशनों में 5 साल का अनुभव है, और उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रिंट प्रकाशनों के लिए लगभग एक दशक का लेखन किया है - द ट्रिब्यून, बीआर इंटरनेशनल पत्रिका, मेक माय ट्रिप , किलर फीचर्स, द मनी टाइम्स, और होम रिव्यू, कुछ नाम हैं। इतने सालों में उन्होंने जिन चीजों के बारे में लिखा है, उनमें से मनोविज्ञान के प्रिज्म के माध्यम से प्यार और रिश्तों की खोज करना उन्हें सबसे ज्यादा उत्साहित करता है। लेखन उनका पहला है। आप आरुषि को यहां ट्विटर पर पा सकते हैं।

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