यह बहुत आम है
विश्व भर में करीब 14 करोड़ औरतो के साथ यह होता है; इनमे से 10 करोड़ से ज़्यादा अफ्रीका में रहती हैI भारत में दावुदी बोहरा समुदाय, जो कि शिया मुस्लिम मज़हब से सम्बंधित है, इस प्रथा के अनुयायी हैI हर साल करीब ४० लाख लड़कियों के गुप्तांगो को काटा जाता है, लेकिन इन ज़ख्मो से हुई पेचीदगी के चलते मरने वाली लड़कियों की संख्या का किसी को अंदाजा नहीं हैI आमतौर पर यह चार साल से लेकर यौवन पहुँचने की अवस्था से पहले किया जाता है लेकिन कई बार यह उसके बाद या फ़िर जन्म के कुछ दिनों के बाद भी किया जाता हैI
यह लड़कियों को शुद्ध रखता है
अभिभावक अपनी बेटियो के शरीर पर ज़ख्म क्यों करवाते है? इसके पीछे कारण ज़्यादातर सांस्कृतिक ही होते हैI पूर्वी, दक्षिणी और उत्तरी अफ्रीका की कईे संस्कृतियों में जिस दिन लड़कियों के गुप्तांगो को काटा जा रहा होता है उस दिन को एक यादगार उत्सव की तरह मनाया जाता है और यह माना जाता है कि ऐसा करने से उनकी शादीे आसानी से हो जाएगीI कुछ और लोग इसे सफाई सम्बंधित मानते है और उनकी नज़र में एक लड़की या महिला चपटी, कठोर और रूखी होनी चाहिएI आप अपने धर्म में कितना विश्वास रखते है इसकी भी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका हैI कईे ईसाई और मुस्लिम समुदाय के लोगो का यह मानना है कि यह प्रथा उनके धर्म में कही गयी बातो के अनुरूप हैI
सारे ज़ख्म एक सामान नहीं होते
चार प्रकार के ऍफ़ जी सी होते हैI पहले दो प्रकार में पूरे भगांकुर या उसके कुछ हिस्से को काटकर हटा दिया जाता हैI तीसरे प्रकार में, जिसे 'इन्फीबुलेशन' भी कहा जाता है, भगांकुर का पूरा हिस्सा तथा अंदरूनी और बाहरी भगोष्ठ को काट दिया जाता हैI चौथे प्रकार में, जो कि तीसरे का ही रूपांतर है लेकिन उससे एक कदम आगे है, योनिमार्ग को सिल दिया जाता है या फ़िर रसायनो के द्वारा उसे बंद कर दिया जाता हैI ज़्यादातर 'कट' १ या २ प्रकार के होते है, ३ और ४ पूर्वी अफ्रीका में प्रचलित हैI
चीज़े खराब हो सकती है...
ऍफ़ जी सी एक खतनाक रूप ले सकता है और इससे होने वाले ज़ख्म एक महिला के लिए ज़िंदगी भर की मुसीबतो का सबब बन सकते हैI इस पूरी प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले चिकित्सीय उपकरण और आसपास का वातावरण साफ़ होना चाहिए अन्यथा संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो सकता है, जिससे उस महिला या लड़की की जान भी जा सकती हैI
...और लगातार खराब होती जाती है
एक बार अगर घाव भर भी गए तो भी दिक्कते हो सकती है। औरतो की योनि और मूत्रमार्ग में संक्रमण हो सकता है, माहवारी के समय कठिनाई हो सकती है, सेक्स के दौरान पीड़ा या फ़िर आमतौर पर भी भयंकर पीड़ा का एहसास हो सकता है। गुप्तांगो पर कट लगे होने से यौन संक्रमित रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है। व्यभिचार और पुटक भी सामान्य है। यहाँ तक कि यह एक महिला को बाँझ भी बना सकता है।
नासूर
असली खतरा होता है प्रसव के दौरान, और वो भी जच्चा-बच्चा दोनों को। अगर किसी महिला को 3 और 4 प्रकार के कट लगे हो तो योनि के बेहद संकीर्ण होने से बच्चे का बाहर निकलना बहुत पीड़ादायक होता है और अगर यह प्रक्रिया लंबी हो जाये तो यह फिस्टुला (नासव्रण) और बच्चे दोनों के लिए खतरा हो सकता है। फिस्टुला एक गड्ढा होता है जो योनि और ब्लैडर या योनि और मलद्वार के बीच में पाया जाता है। फिस्टुला व्यभिचार जैसे अन्य चिकित्सीय और सामाजिक दुष्परिणामो का सबब भी बन सकता है।
पीड़ा केवल प्रसव तक ही सीमित नहीं होती
पहली बार सेक्स करते वक़्त या प्रसव से पहले उन औरतो की योनि जिनको ३ और ४ प्रकार के ज़ख्म दिए गए थे, को दोबारा खोला जाता है जिससे शिश्न प्रवेश कर सके या फिर बच्चा बाहर आ सकेI उसके बाद योनि को दोबारा सिल दिया जाता है, इसे 'रीइन्फीबुलेशन' कहा जाता हैI
ऍफ़ जी सी का मतलब यह नही कि कोई चरमोऑनंद नहीं
एक बार योनि की सिलाई होने के बाद सेक्स का आनंद उठाना मुश्किल सा प्रतीत होता है। योनि का मुख संकीर्ण होने की वजह से शिश्न प्रवेश के समय अत्यधिक पीड़ा का अनुभव हो सकता है। इसके बावजूद कुछ महिलाओ का कहना था कि वो सेक्स के दौरान सामान्य रूप से आनंद उठाने में सफल रही थीं। इस तरह की महिलाओ के लिए चरम की प्राप्ति मुश्किल होता है उन महिलाओ की तुलना में जिन्हें कट नहीं लगे हो। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि काफ़ी सारी महिलाओ को केवल भंगाकुर मसलने भर से चरम की प्राप्ति हो जाती है, पर इसका यह मतलब कतई नहीं है कि यदि आपका बाहरी भंगाकुर क्षतिग्रस्त हो चूका है तो आपको कामोन्माद की प्राप्ति नहीं हो सकती।
बाहरी हिस्सा केवल एक बड़े अंग का छोटा सा टुकड़ा है। थोड़ी सी समझदारी और अपने साथी के साथ आपसी तालमेल हो तो इसका हल निकल सकता है। बस आपको पता होना चाहिए कि आपको क्या पसंद है और क्या करना अच्छा लगता है।
ज़ख्मो को भरा जा सकता है
'डेफिबुलेशन' नाम की एक शल्य चिकित्सा है जो योनि को फ़िर से पहले जैसा रूप दे सकती है। इससे ना सिर्फ दाग जा सकते है बल्कि मादा जननांग की मूड़ी हुई त्वचा भी ठीक हो सकती है।
अब तो नई नई तकनीको के द्वारा भंगाकुर का नवीनीकरण भी संभव है। योनि के अंदर से भंगाकुर के टिशू लेकर बाहर नए भंगाकुर का निर्माण किया जा सकता है। हालाँकि, यह अक्सर होता नहीं है।
कुछ मिथ्य भी है
कई गलत धारणाये भी प्रचलित है। जैसे कि कुछ लोगो को लगता है कि ऍफ़ जी सी से एक महिला की प्रजनन क्षमता बढ़ती है और गोनोरहेआ (प्रमेह) जैसे कई यौन संक्रमित रोगों का उपचार होता है। लोग यह भी मानता है कि यह एक लड़की को शादी से पहले सेक्स से दूर रखेगा और पुरुष के आनंद में बढ़ोतरी करेगा।