उसने मुझे एक पतली लड़की के लिए छोड़ दिया!
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उसने मुझे एक पतली लड़की के लिए छोड़ दिया!

द्वारा Joanna Lobo अक्टूबर 9, 12:18 बजे
उसको मोटी, हृष्ट-पुष्ट और फूली हुई लड़की बुलाया गया है। लेकिन, अनिका उस दिन के इंतज़ार में है जब उसकी पहचान सिर्फ उसके शरीर के वज़न से होनी बंद हो जायेगी।

अनिका मेहता (नाम बदला हुआ है) एक वकील है और गोआ में रहती है ।

मुझे मेरे वज़न के बारे में सबसे बड़ा सबक उस व्यक्ति ने दिया जिसे मैंने अपना कौमार्य समर्पित किया था। हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे लेकिन अपने स्थूलकाय शरीर की वज़ह से मुझे सम्भोग करने में शर्म महसूस होती थी। जब उसे इस बात का पता चला तो वो काफी स्तंभित हुआ। उसने मुझे यह विश्वास दिलाया कि में बहुत सुन्दर हूँ और वो मुझे बेहद प्यार करता है। उसे मेरे वज़न से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वो मेरे पूरे व्यक्तित्व से आकर्षित है, ना कि सिर्फ मेरे जिस्म से।

वो एक जादुई की रात थी। मेरे लिए अपना खोया हुआ आत्म-सम्मान पाने की ओर पहला कदम था। वो आत्म सम्मान जो काफी समय से उन बेड़ियों में जकड़ा हुआ था जो एक स्थूलकाय व्यक्ति खुद ही अपने लिए बना लेता है।

मैं = मेरा शारीरिक भार

मेरे परिवार में अधिकाँश लोग मोटे है। हम खाने पीने में बहुत लापरवाह है। जब मैं बड़ी हो रही थी तो मेरा जो मन करता था, जब करता था मैं खा लेती थी। चूंकि मैं बहुत आलसी भी थी तो मुझे गोल मटोल होने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगा।

मुझे लगता था इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। लेकिन कॉलेज में दाखिला होते ही मेरी यह ग़लतफहमी दूर हो गयी। वो एक अलग ही दुनिया थी। दो तरह की लड़कियो में बंटी हुई  - पतली लड़किया लड़को में लोकप्रिय थी जबकि मोटी लड़कियो को या तो नज़रअंदाज़ कर दिया जाता था या वो सिर्फ एक "अच्छी दोस्त" बन के रह जाती थी। लड़के मेरी तरफ देखते तक नहीं थे और लड़कियो को मुझ पर तरस आता था। हर एक समूह के अंदर मुझे वो "मोटी वाली" लडक़ी का नाम मिला हुआ था। ऐसा लगता था कि मेरे व्यक्तित्व का कोई अस्तित्व ही नहीं है, सिर्फ मेरे भीमकाय शरीर का है ।

मेरे वज़न की वजह से मुझे नकारा गया

अपना मोटापा छुपाने के लिए मैं ढीले-ढाले कपडे पहनती थी। नए कपडे खरीदना एक कटु अनुभव होता था क्यूंकि जो भी मुझे पसंद आता था वो मेरे नाप का नही होता था। यहां तक की अंदरूनी वस्त्र भी मुश्किल से मिलते थे। जो भी कुछ मैं पहनती वो शरीर पर तन सा जाता था और बहुत ही बेढंगा लगता था। मुझे अपने सारे कपड़े दर्ज़ी से सिलवाने पड़ते थे। आप खुद ही अंदाजा लगा सकते है कि एक दर्ज़ी की नज़र में "आधुनिक" क्या रहा होगा।

मेरा पहला बॉयफ़्रेंड मोटा था। उसकी कमर पर चर्बी की खूब सारी परते थी जो उसकी चाल को हास्यपद बनती थी। मेरे साथ एक साल व्यतीत करने के बाद उसने मुझे छोड़ दिया और एक पतली और सुन्दर लड़की को डेट करना शुरू कर दिया। सबसे बुरी बात यह थी की उसने मुझे बताना तक मुनासिब नहीं समझा। बस बात करना बंद कर दिया। काफी दिनों के बाद पता चला कि उसे कोई और मिल गयी है।

मेरे सबसे अच्छे दोस्त के बहुत प्रताड़ित करने के बाद उसने बताया की उसने मुझे क्यों छोड़ा। मेरे बॉयफ्रैंड के दोस्त उसको चिढ़ाते थे - उन सबकी गर्लफ्रैंड की तुलना में, मैं सबसे मोटी थी। मेरी दुनिया उजड़ गयी थी। मैंने अपने कॉलेज का दूसरा साल उसके पीछे भागने और उल्टा सीधा खाने में बर्बाद कर दिया। मुझे लगता था कि जब मैं मोटी ही हूँ तो इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि मैं कितनी मोटी हूँ।

क्यों पुरुषो को लगता है कि उनकी तौंद हो या स्तन निकले हो तो सब चलता है, लेकिन अगर कोई स्त्री मोटी हो तो उन्हें दिक्कत होती है।

कुछ और मुश्किलें

ऐसा नहीं है कि मैंने कोशिश नहीं क़ी। मैंने सब करके देख लिया फिर चाहे वो खाने से परहेज़ करना हो, कसरत करना हो या लंबी दौड़ लगाना हो, सब फ़िज़ूल रहा। जब कोई फायदा नहीं होता तो मैं हार मान लेती हूँ और अपने मन को बेहतर महसूस करवाने के लिए दोबारा खाना शुरू कर देती हूँ। ऐसा करने से में और मोटी हो जाती हूँ और फिर मुझे एक दिन एहसास होता की ऐसे नहीं चलेगा और मुझे कुछ करना चाहिए। और मैं फिर से कसरत करना और खाने से परहेज़ शुरू कर देती हूँ, यह एक अंतहीन चक्र है।

मेरा वज़न मेरे जीवन में एक अतिरिक्त शख्स है। अगर कोई मुझे सड़क पर देखता है तो मुझे लगता है कि ज़रूर यह मेरे कपड़ो को देखकर मुझे आंक रहा होगा या फिर यह सोच रहा होगा कि मेरी जांघे कितनी बड़ी है। किसी पार्टी में जाने के लिए में ऐसे कपडे पहनती हूँ जिससे किसी को भी मेरे शरीर की  अतिरिक्त चर्बी नहीं नज़र आये। मैं तैराकी की पोशाक या शॉर्ट्स नहीं पहन सकती क्योंकी जब कोई मेरी डांवाडोल जांघे या तौंद की तरफ देख रहा होता है तो मुझे समझ नहीं आता की क्या करू। मेरे दोस्त मुझे प्यार से मोटू बोलते है। शुरुआत में बहुत बुरा लगता था। मुझे लगता था कि वो मेरा आंकलन कर रहे है, लेकिन अब कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।

ऐसा नही है सब ठीक हो गया है। मुझे मेरे वज़न को लेकर अभी भी अजीब लगता है। मुझे अभी भी लगता है कि मैं मोटी हूँ। लेकिन अब इस बात का बुरा नहीं लगता और न ही इसकी वज़ह से मैं अपनी मनोदशा खराब होने देती हूँ। वो आदमी और मैं आज साथ नहीं है लेकिन उसने मुझे सबसे बड़ा उपहार दिया है - यह एहसास दिलाया कि मेरा वज़न मेरी पहचान नहीं है।

क्या आप भी वज़नी है और अपने शरीर को लेकर सचेत रहते है? अपने विचार, भय और अनुभव नीचे टिपण्णी छोड़ कर या फेसबुक के ज़रिये हमें बताएं।

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