ये उसके पिछले अर्ध वार्षिक परीक्षा से पहले की बात है जब वो बरान्दे में खड़ी होकर एक आखिरी बार रिविश़न कर रही थी। "चूंटी के लगते ही मैं तेजी से घूमी और मैंने उस लड़के से पुछा "ये क्या था?" उस लड़के ने ऐसी प्रतिक्रिया दी जैसे की उसने कुछ किया ही ना हो। "उसने कहा की उसे समझ ही नहीं आ रहा था की मैं क्या कह रही हूँ"।
प्राची (नाम बदला हुआ) दिल्ली में रहने वाली एक प्रकाशन प्रोफेशनल हैं।
उस लड़के ने फिर ये भी कहा 'सिर्फ इसलिए की तुम अंग्रेजी बोल सकती हो, तो इतना स्टाइल ना दिखाओ"।मुझे समझ नहीं आया की अंग्रेजी और नितम्ब पर चूंटी काटने के बीच क्या सम्बन्ध है, और तभी मुझे याद आया की परीक्षा शुरू होने का समय हो गया था और मैं अपनी कक्षा की तरफ भागी।
लेकिन मैंने ये तो ठान लिया था की मैं स लड़के को छोडूंगी नहीं। और एक बार के लिए ऐसा लगा की जैसे साड़ी कायनाथ भी मुझे इस काम में सहयोग दे रही थी ताकि मैं उसे सबक सिख सकूँ।
असर
मैं उसकी बाजु वाली कक्षा में ही थी। मैं अधिकतर इतनी निर्माण कुशल नहीं होती और मुझे अपने ऊपर ज़्यादा अटेन्शन लाना भी अच्छा नहीं लगता। लेकिन उस दिन मुझे पता नहीं कौन सी शक्ति मिल गयी कहाँ से, या पता नहीं क्या असर हुआ मुझपर की मैं उसकी कक्षा में गयी और मैंने यह घोषणा कर दी:
साथियों,
हमारे बीच एक ऐसा लड़का है जो की यहाँ लड़कियों के नितम्ब पर चूंटी काटने आया है और परीक्षा में भाग लेने नहीं। उसको इस बात की चिंता नहीं की परीक्षा में उसे कितने नंबर मिलेंगे लेकिन इस बात की चिंता है की वो कितनी लड़कियों के नितम्बों पर चूंटी काट पायेगा। इसलिए, आप सभी सावधान हो जाइये! इसकी लड़कियों के नितम्बों पर चूंटीयों की गिनती को बढ़ने मत दीजिये। बल्कि यहाँ बैठे सभी लड़के भी अपने नितम्ब इसके सामने कर दीजिये।
अचानक पूरे कमरे में सनाटा सा छा गया और जैसे ही मैंने सोचा की शायद मैंने ठीक नहीं किया, एक लड़का उठा और उस चूंटी काटने वाले लड़के के पास जाकर उसने अपना नितम्ब उसके सामने कर दिया। और उसके बाद बाकी के लडको ने भी यही किया।
जो परीक्षक कक्षा में आये उन्होंने ये सारा हंगामा देखा लेकिन जब उन्हें इस पूरे किस्से के बारे में पता चला, तो वो यह कह कर बाहर चली गयी की वो हमें ये पूरा किस्सा ख़त्म करने के लिए 10 मिनट और दे रही हैं और परीक्षा के लिए वो 10 मिनट अलग से और दे देंगी।
और ज़्यादा प्रतिशोध
इस किस्से से मैंने यह जाना की प्रतिशोध आराम से भी हो सकता है जैसे मैंने किया, और एक ताकतवर लड़ाई लड़ी जा सकती है ऐसे लोगों के खिलाफ ताकि यह ऐसी करतूत करने की दोबारा कोशिश भी ना करें।
मुझे ख़ुशी है की मैं उसको सबक सिख पाई। मैंने ऐसे पहले कभी नहीं किया था लेकिन यह पहली बार था की प्रतिशोध की भावना मेरे मन में इस तरह असर कर गयी थी की मैंने यह कदम उठाया, और बाकी सभी ने इसमें मेरा सहयोग दिया। मैं अब भी कई बार सोचती हूँ की अगर मेरे लिए गए कदम में किसी ने मेरा साथ ना दिया होता तो क्या होता? क्या मुझे एक बार और ज़िल्लत महसूस करनी पड़ती। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
मुझे हमेशा यही सिखाया गया की ऐसी किसी भी स्तिथि में हमेशा कोई भी प्रतिक्रिया देने से पहले स्तिथि को अच्छे से समझ लेना चाहिए - लेकिन इस किस्से के बाद मुझे लगने लगा की काश ऐसे और किस्से होते जहाँ मैं ये कदम उठा पाती और तब तक उठती रहती जब तक ऐसा कुछ होना बिलकुल ख़त्म नहीं हो जाता।
फोटो:Aukasz Simonowicz
अगर आपके साथ ऐसा हुआ होता तो आप क्या करती? और लड़के इस तरह की हरकत क्यूँ करते हैं? यहाँ लिखिए या फेसबुक पर हो रही चर्चा में भाग लीजिये।