आंटी जी कहती हैं...रब्बा मेरे रब्बा, तुम जवान लोग! शालिनी पुत्तर, 16 साल की उम्र में तो मेरे पास चिंता करने के लिए बहुत सारी चीज़ें थी। मेरी तो कपड़ो को लेकर चिंता कम ही नहीं होती थी, और साथ मैं बहुत सारी पार्टिज़ के न्योते और ज़्यादा 'रूह अफज़ा' पीने की चिंता।
हाँ, लड़के भी थे मेरी लिस्ट में लेकिन मैं इस बात की चिंता नहीं करती थी की वो मेरे बारे में क्या सोचते हैं। समय बदल गया है लेकिन फिर भी मुझे नहीं लगता की तुझे इन लड़कों की बेवकूफी वाली हरकतों पर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है। और सच्ची कहूँ तो तुझे शर्मिंदा होने की तो बिलकुल ज़रूरत नहीं।
तुलना मत कर
चल तो अच्छी खबर से शुरू करते हैं। अपने फिगर की चिंता करने की तुझे ज़रूरत नहीं, क्यूंकि तेरे स्तन और बाकी का शरीर भी 21 साल की उम्र तक बढ़ेगें। कभी कभार तो 21 साल के होने के बाद भी। और 5 साल तो अच्छा खासा लम्बा टाइम है ना, तुझे पता है न मैं क्या कहना चाह रही हूँ।
और इससे भी ज़्यादा अच्छी खबर यह है की बहुत सारी लड़कियों में यह शरीर का बदलाव 16 - 17 साल की उम्र के आस पास ही आता है। तो तू ना अपनी तुलना किसी और से प्लीज मत कर। और फिर क्या पता पुत्तर जी, तू ही दो साल बाद मुझे चिट्ठी लिख रही हो की तू अपने कुछ 'ज़्यादा बड़े स्तनों' से परेशान है।
स्तनों को बढ़वाना
तो यह एक आशावादी स्तिथि है। बस बुरी खबर यह है की तेरा स्तन का साइज़ तेरी चिंता से तो बढ़ नहीं जायेगा। पुत्तर जी, वो सुना है न की वही होता है जो मंज़ूरे खुदा होता है। प्रकृति खुद अपने आप ये निर्णय लेती है की हमारे पास क्या होगा, तो फिर हम इस बारे में झगड़ा क्यूँ करें?
हाँ, स्तनों को बढ़वाना आजकल बहुत आम बात हो गयी है, लेकिन देख मेरी सलाह में तो मैं तुझे ऐसा करने के लिए बिलकुल मन करुँगी, कम से कम अगले दस सालों के लिए तो ज़रूर। देख, ये तो सच ही है न की बच्चे पैदा करने के लिए तो कम से कम स्तन के साइज़ का कोई सम्बन्ध नहीं।
छोटे लेकिन मज़ेदार
वैसे मैं तो येही कहूँगी की, अपने छोटे स्तनों का मज़ा ले जब तक ले सकती है। मुझे ना सच कहूँ तो तुझसे जलन हो रही है। ना कमर में दर्द, ना गर्दन का दर्द, न स्तनों का लटकना और सबसे बढ़िया बात जब मन चाहे तब ब्रा उतार देना।
और यह तो सब जानते हैं न की छोटे आम सबसे ज़्यादा मज़ेदार और ज़ायकेदार होते है। पुत्तर, देख मैं तेरी तकलीफ भी समझती हूँ - ये घटिया लड़के जिनकी वजह से तू इतना दबाव महसूस कर रही है, थोड़े समय में इन्हें भी पता चल जायेगा की ज़रूरत से ज़्यादा भी परेशानी बन जाती है। और फिर क्या पता, यह खुद अपने 'छोटे साइज़' को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं। माफ़ करना, ज़रा गुस्सा आ गया मुझे।
और यह भी याद रखना की कुछ लड़के तेरा मज़ाक ज़रूर बनाते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं की सारे लड़के बड़े स्तन ही पसंद करते हैं। ऐसे बहुत सारे लड़के हैं जो की तेरे जैसे स्तनों के साइज़ और आकार से ज़्यादा उतेजित महसूस करते हैं।
दुसरे के पास हमेशा ज़्यादा लगता है
मेरी प्यारी शालिनी पुत्तर, सबसे ज़रूरी बात यह है की चाहे साइज़ कोई भी हो, यह तेरे स्तन हैं। और तुझे खुद इनपर गर्व महसूस होना चाहिए। देख, मेरे जैसी बड़े स्तन वाली औरतों को छोटे स्तन चाहिए होते हैं और तेरे जैसी छोटे स्तन वाली लड़कियों को मेरे जैसे बड़े बड़े स्तन चाहिए होते है।
दूसरे की चीज़ हमेशा ज़्यादा अच्छी लगती है हम इंसानों को। तुम छोटे स्तन वाले तो सही में बहुत लक्की हो यार क्यूंकि तुम लोग इन्हें अपने हिसाब से बड़ा दिखाने के लिए बहुत तरह की ब्रा तो पेहें सकते हो - मेरे जैसो के बारे में सोच!
प्यार कर
प्रकृति जो हमें देती है उसके पीछे बहुत सारे कारण होते हैं और इसे हमें खुलें दिल से अपनाना चाहिए। अपने शरीर के हर हिस्से के बारे में सोच कर परेशान होने से कुछ नहीं होगा। और फिर सच तो यह है की समाज ने पर्फक्ट त्वचा, त्वचा का रंग, कद, काठी, आख, स्तन, पैर...हर चीज़ को लेकर एक अलग ही सोच बना रखी है। और ऐसी पर्फक्ट लड़की तो सिर्फ खिलौनों में या फिर पोर्न फिल्मों में ही देखने को मिलती हैं - असल ज़िन्दगी मैं नहीं।
तो चिंता छोड़ और अपने स्तनों से प्यार कर। अगर तुझे सच में बड़े स्तन चाहिए तो अभी उम्र पड़ी है तेरी - इंतज़ार कर, सब्र कर और आशा बनाये रख। लेकिन तेरी आंटी जी के हिसाब से तो तेरी खेलने कूदने की उम्र है अभी। बाहर जा और खेल कूद कर, मस्ती कर। शर्मा मत! कोई कुछ भी कहे, ध्यान मत दे पुत्तर और खूब रूह अफज़ा पी।