25 वर्षीय सबा (परिवर्तित नाम) मुम्बई में रहती हैं और पेशे से मानवाधिकारों की वकील हैंI
परम्पराओ की बेड़ियाँ
मेरी पढाई-लिखाई काफी आधुनिक रही थीI मेरे माता-पिता ने मुझे शहर के सबसे अच्छे स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाया था और हमेशा ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया थाI बचपन से लेकर आज तक मैं अपने माँ-बाप पर आँख बंदकर विश्वास करती हूँI मेरी माँ ने बड़े अच्छे स्तर की शिक्षा पायी थी और अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल की थीI मैंने कभी नहीं सोचा था कि अपने खुद के बच्चों को लेकर वो कोई गलत फैसला ले सकती हैंI
वो एक बेहद कामयाब फैशन डिज़ाइनर थी और अपनी बेटी के लिए एक शानदार प्रेरणास्त्रोतI मेरा मानना था कि वो कभी कुछ गलत नहीं कर सकती हैंI लेकिन एक दिन मुझे पता चला कि कैसे उन्होंने मुझे महिला परिच्छेदन की तरफ़ धकेल दियाI
क्रोधित, आहत और दूषित
मैंने 5 साल वकालत पढी और फ़िर मानवाधिकार क़ानून पढ़ने का निर्णय किया- खासकर महिलाओं के अधिकार पढ़ने काI मेरे लिए यह चुनना आसान नहीं थाI मुझे पता था कि इस दौरान मेरा कई तक़लीफ़देह वास्तविकताओं से आमना सामना होगाI हर दिन किसी नए अपराध और विश्व की किसी नयी समस्या के बारे में पता चलेगा और पता चलेगा उस के समाधान के बारे मेंI
ठीक इसी तरीके से मुझे महिला परिच्छेदन के बारे में पता चलाI और जब से पता चला है मेरा गुस्सा ठंडा होने का नाम ही नहीं ले रहा हैI मैंने कभी अपने आपको इतना दूषित नहीं महसूस किया थाI मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि इसकी ज़रुरत क्या हैI
उदास अतीत
करीब दो साल पहले मुझे अपने ऑफिस में किसी सामाजिक चिंता के विषय के बारे में बात करने और एक प्रस्तुति करने को कहा गयाI काफी शोध करने के बाद मुझे अचानक ही महिला परिच्छेदन के बारे में पढ़ने का मौका मिलाI उस समय कोई भी इस बारे में बात भी नहीं करता थाI लेकिन मैंने ठान लिया था कि इस बर्बर प्रक्रिया के बारे में हर संभव जानकारी इकट्ठी कर के रहूंगीI अपनी शोध के उन्ही दिनों में एक दिन मुझे एहसास हुआ कि मैं तो खुद महिला परिच्छेदन की शिकार रह चुकी हूँ! बचपन में मेरे अधिकारों के साथ खिलवाड़ किया गया था और मैं आज तक इस बारे में नहीं जानतीI
मुझे तुरंत ही वो दिन याद आ गया थाI मुझे उस दिन की हर एक बात याद हैI मैंने क्या पहना था, हम कहाँ गए थे, कौन मुझे ले गया थाI घाव की यादें अब कुछ धुंधली ज़रूर हो गयी हैं लेकिन मैं शायद ही इन्हें कभी भूल पाऊंI
एक गन्दा रहस्य
मुझे मुम्बई के पूर्वी उपनगर के एक छोटे से क्लिनिक में ले जाया गया थाI मैंने भूरे रंग की नेकर और मटमैली टी-शर्ट पहनी हुई थीI मैं शायद आठ साल की रही होंगीI मैं एक कमरे के अंदर गयी जहाँ पर एक दाढ़ी वाले व्यक्ति ने ब्लेड से मेरा खतना कियाI उसके बाद मुझे खूब सारा नारियल पानी भी पीने को मिलाI शायद उन्हें लगा होगा कि उससे मुझे उस दिन की घटना को भूलने में मदद मिलेगीI
मेरे कई दोस्तों के साथ भी ऐसा हुआ थाI मेरे परिवार में से किसी ने भी मुझे इसके बारे में बताने की ज़रूरत नहीं समझी, तब भी नहीं जब मैं बड़ी हो गयीI मुझे सिर्फ़ अपना नेकर नीचे करने को कहा गया और उस बुज़ुर्ग व्यक्ति ने मेरे जननांग में से कुछ हिस्सा काट लियाI उसके बाद हर एक व्यक्ति जिसमें मेरा परिवार भी शामिल है, ऐसे पेश आ रहा था जैसे इसमें कुछ भी असामान्य नहीं हैI
भारत में महिला परिच्छेदन के बारे में और जानने के लिए, राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित इस डाक्यूमेंट्री को देखियेI
अपनी यौन इच्छाओं को काबू में रखना
कई सालों बाद जब मुझे इस प्रथा के बारे में पता चला तो मेरे मन में कई सवाल उठ खड़े हुएI उनके जवाब मेरे पास नहीं थे और जब मैंने अपनी माँ से इस बारे में पुछा तो उनके पास भी मुझसे माफ़ी मांगने के अलावा कुछ नहीं थाI उन्होंने मुझे बताया था कि वो खुद इतनी परिपक्व नहीं थी कि समझ सके कि यह क्या हो रहा है और ना ही उनमें इतनी हिम्मत थी कि इसके खिलाफ आवाज़ उठा पातीI
उनसे झूठ बोला गया था कि खतना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इससे प्रसव में मदद मिलती हैI उन्हें यह भी बताया गया था कि इसके पीछे कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक कारण भी होते हैंI जबकि सच्चाई यह है कि इसका मकसद महिलाओं की काम वासना पर अंकुश लगाना होता हैI मुझे अपनी दिवंगत माँ से केवल यही एक शिकायत रही हैI
जवाब चाहिए
मेरी माँ को मेरी सुरक्षा करनी चाहिए थीI आखिरकार मैं उनकी संतान थीI मेरे पिता तो ना इस बात को स्वीकारते हैं और ना ही उन्हें इस बारे में बात करना पसंद हैI मेरी दादी को लगता है कि मैं एक बदतमीज़ लड़की हूँ जिसे हर बात से परेशानी हैI मेरे परिवार वालो को लगता है कि जो पेशा मैंने अपने लिए चुना है उसने मुझे ज़िद्दी बना दिया हैI उन्हें इस बात का बिलकुल अंदाजा नहीं है कि मैं अपने इस चुनाव से कितनी खुश हूँ!
सुशील और गुणी
यह बेहद निराशाजनक है कि अपने परिवार की वजह से ही आप इतनी बर्बर प्रक्रिया से गुज़रते हैंI उनके अनुसार यह एक महिला को गुणी बनाता है क्योंकि उसे यौन इच्छाएं महसूस नहीं होतीI मुझे नहीं लगता कि खतना होने की वजह से किसी की काम वासना में कोई फ़र्क़ पड़ता हैI मुझे अपना शरीर,सेक्स और पुरुष बेहद पसंद हैंI हो सकता है कि इससे आपकी संवेदनशीलता और ओर्गास्म प्राप्त करने की क्षमता पर असर पड़ता होI
मुझे पता है कि सेक्स का एहसास मेरे लिए अलग है, और अगर नहीं भी है तो मैं इस पर विश्वास नहीं करना चाहतीI मैं अपने अंदर एक अधूरापन महसूस करती हूँ और इस बात से मुझे बेहद दुःख पहुँचता हैI मुझे लगता है जैसे मेरे शरीर का एक हिस्सा मुझसे छीन लिया गया - बिना मुझसे पूछे, बिना मुझे समझाएI मेरे लिए महिला परिच्छेदन औरतों की मर्यादा के ख़िलाफ़ हो रहे बाकी उल्लंघनों के सामान ही है- फिर चाहे वो रेप हो, घरेलु हिंसा हो, यौन उत्पीड़न हो या फ़िर उसका पीछा किया जाना होI
यह लेख सबसे पहले साहियो में प्रकाशित हुआ थाI साहियो एक संस्था है जो दावूदी बोहरा महिलाओं को महिला परिच्छेदन के ख़िलाफ़ सशक्त बनाने के प्रति समर्पित हैI
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