आंटी जी कहती हैं...हेमन्त, की बात है पुत्तर, तूने तो आंटी को खुश कर दित्ता। आज कल तो बच्चे सिर्फ बिना शादी के साथ रहने की या ब्रेक-अप की ही बात करते हैं। चल कम से कम तेरी उम्र के किसी ने तो मुझसे इस तरह का सवाल पुछा।
आजकल तो ज़्यादातर लोग यहीं बोलते हैं की वो शादी के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए तेरा सवाल पढ़कर मुझे हंसी तो बहुत हुई - लेकिन हाँ, तेरा सवाल न बहुत पेचीदा भी है।
सबके लिए अलग
काश के अरैन्ज मैरिज और लव मैरिज में से कोई एक चुनना इतना आसान होता। तो फिर तो सभी सही चुनाव कर बेठे और हमेशा सुख से रहते। लेकिन सचाई बहुत अलग है पुत्तर जी। चाहे अरैन्ज मैरिज हो या लव मैरिज, यह चुनाव हर इंसान के लिए अलग है, क्यूंकि हम सब की सोच और चाह भी अलग है। तो यह तो साफ़ है की इस चुनाव में कोई एक सही या कोई एक गलत नहीं।
बेटाजी, तुझे तो पता ही होगा की मैं दिल से कितनी रोमांटिक हूँ। यह सुनाने में थोडा अजीब और रूढ़ोक्ति लगे लेकिन यह सच है की प्यार तब होता है जब शायद आप प्यार में पड़ने के बारे में सोच भी न पा रहें हों। तो अगर तू अरैन्ज मैरिज भी करना चाहे, तो उसके बाद भी तो तुझे प्यार हो सकता है ना।
उम्मीदें
लेकिन मैं यह भी जानती हूँ की अरैन्ज मैरिज और लव मैरिज दोनों के फायदे भी हैं और नुकसान भी। लव मैरिज का सबसे बड़ा फायदा यह है की आप शादी के पहले से एक दुसरे को जानते हो, और किसी भी तरह के 'सस्पेंस' की उम्मीद कम होती है। लेकिन अरैन्ज मैरिज बहुत ही डरा देने वाली शादी हो सकती है क्यूंकि किसी ऐसे इंसान को जिसको की हम जानते भी नहीं है, उसके साथ पूरी ज़िन्दगी साथ रहने का वादा करना काफी मुश्किल हो सकता है।
यह भी बता दूँ की लव मैरिज असल में एक दुगनी बाधा भी बन सकती है। क्यूंकि लव मैरिज की नींव उमीदों पर टिकी होती है, इसलिए अगर उमीदें पूरी ना हूँ, तो शादी टूटने का खतरा रहता है। और अगर अरैन्ज मैरिज की बात करें तो दोनों साथियों को उम्मीदें तो होती हैं लेकिन बहुत कम या शायद कोई उमीदें होती ही नहीं। कई बार तो शायद इन्ही कारणों की वजह से अरैन्ज मैरिज ज़्यादा कामयाब होती हैं।
ज़िम्मेदारी और आरोप
लव मैरिज के एक फायदा यह है की लोग अपने आप के लिए वचनबद्ध हो जाते हैं। और इसलिए वो अपनी करतूतों के लिए खुद अपने आप को ही ज़िम्मेदार मानते हैं।वो बार-बार अपनी गलतियाँ सुधारना चाहते हैं क्यूंकि वो चाहते है की उनकी शादी ना टूटे। अगर अरैन्ज मैरिज की बात करें तो, लोग इसमें अपनी करतूतों के लिए खुद ज़िम्मेदारी नहीं उठाना चाहते। अगर शादी ना चले, तो वो शादी की ज़िम्मेदारी दूसरों पर डाल देते हैं और शादी से बाहर निकल जाते हैं। अधिकतर केस में, लोग अरैन्ज मैरिज में खुद को आरोपी ना मानते हुए, अपने परिवार वालों और दोस्तों को आरोपी मानने लगते हैं।
दिमाग खुला रखिये
हेमंत पुत्तर, मैं तो तुझे यही सलाह दूंगी की तुझे किसी भी तरह की रुढ़िवादी सोच में नहीं पड़ना चाहिए। मैंने रोमांस से भरपूर लव मैरिज भी टूटते देखी हैं, और दो अजनबियों को शाजीवनसाथी दी करके प्यार करके भी शादी को टूटते देखा है। और हाँ, मैंने बहुत सारी सफल अरैन्ज मैरिज और लव मैरिज भी देखी हैं।
तू जवान है और हाँ तेरे पास अभी शादी का निर्णय लेने का बहुत समय है। अपना दिमाग खुला रख और तुझे सही जीवनसाथी ज़रूर मिलेगा। अलग अलग और नए नए लोगों से मिल...मैं यह कहूँगी की तू सही इंसान को पहचानने और समझने में अपना समय लगा। चाहे तू उन्हें अपने आप मिले, या तेरे परिवार के ज़रिये, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता - ज़रूरी है की तुझे सही मिले।
और विश्वास कर जब मैं यह कहूँ की हर चीज़ का एक सही समय होता है। और हाँ इस गर्मी में अपना दिमाग ठंडा रखने के लिए मस्त ठंडा रूह अफज़ा पी ले!
फोटो: आंटी जी, thinqkreations
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