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मुख मैथुन: मज़ा महिलाओं को ज़्यादा आता है या पुरुषों को?

Submitted by Sarah Moses on बुध, 11/28/2018 - 01:01 बजे
तो मुख मैथुन देने या पाने में क्या फ़र्क़ है? महिलाओं और पुरुषों में से कौन ज़्यादा मज़े उठाता है? जवाब देगी नवीनतम रिसर्च।

ज़रा उस समय पर गौर कीजिये जब आप आख़री बार अपने साथी के साथ अंतरंग हुए थे। क्या आप दोनों के बीच मुख मैथुन हुआ था? अगर आपको उस क्रिया को अंक देने होंगे तो आप कितने अंक देंगे?

कैनेडियन शोधकर्ताओं का एक समूह इस बारे में और जानकारी की खोज में लगा हुआ था। वो खासकर यह जानना चाहते थे कि क्या इस सम्बन्ध में  महिलाओं और पुरुषों के जवाब अलग हो सकते हैं?

तो उन्होंने 900 ऐसे इतरलिंगी विद्यार्थी ढूंढ निकाले जिन्हें इस बारे में बात करने में कोइ संकोच नहीं थाI उनमें से अधिकतर विद्यार्थी 20 से 25 बरस के थे। उनसे उनकी आख़री कामुक क्रिया के बारे में पूछा गया और यह याद करने को कहा गया कि क्या उन्होंने उस दिन मुख मैथुन किया था।

उनका जवाब हाँ होने पर उनको उस क्रिया को 1 से लेकर 4 तक अंक देने को कहा गया। विद्यार्थियों ने शोधकर्ताओं को यह भी बताया कि उनका वो अनुभव एक प्रतिबद्ध साथी के साथ था या फ़िर उस समय वो एक अस्थायी रिश्ते में थे।

सर्वे से पता चला कि तीन में से दो लोगों ने अपनी आख़री कामुक क्रिया के दौरान मुख मैथुन किया था। जिन लोगों को मुख मैथुन मिला था उन्होंने अपने अनुभव को चार में से पूरे चार अंक दिए थे और शायद ही शोधकर्ताओं को यह आश्चर्य हुआ होगाI एक और बात जो सामने आई वो यह थी कि यह बात पुरुषों और महिलाओं दोनों ही के लिए एक सामान थी।

किसको मुख्य मैथुन करने में ज़्यादा मज़ा आता है?

लेकिन जब बात आई कि किस को अपने साथी को मुख मैथुन देने में ज़्यादा मज़ा आता है तो पुरुष और महिलाओं के जवाबों में काफ़ी अंतर निकला। जहाँ आधे से ज़्यादा पुरुषों ने अपने साथी को मुख मैथुन देने के अनुभव को भी पूरे चार अंक दिए, वही तीन में से केवल एक महिला ने ही ब्लोजॉब या अपने पुरुष साथी के साथ मुख मैथुन के अपने अनुभव को आनंददायक बताया

पुरुष और महिला दोनों ने ही माना कि एक अस्थायी साथी की तुलना में एक प्रतिबद्ध साथी के साथ मुख-मैथुन अधिक मज़ेदार होता है I महिलाओं ने यह भी माना कि अगर उनका पुरुष साथी भी उनके साथ मुख मैथुन करे तो उनके लिये उसे मुख मैथुन देना ज़्यादा मज़ेदार अमुभव बन जाता है। जबकि पुरुषों के सन्दर्भ में ऐसा नहीं था। उनके लिए अपने साथी को मुख मैथुन देते हुए मज़ा उठाना इस बात पर निर्भर नहीं था कि उनका साथी भी उनके साथ वही करे। कमाल कि बात यह है कि फ़िर भी दुनिया भर में पुरुषों को बिस्तर में स्वार्थी माना जाता है।

तो अगर पुरुषों को अपनी महिला साथी को ख़ुशी देने में इतना मज़ा आता है तो निस्संदेह वो ज़्यादा बार मख मैथुन देते होंगे? लेकिन ऐसा नहीं है क्यूंकि अध्ययन के दौरान पता चला कि पुरुषों की तुलना में लगभग उनसे दुगुनी महिलाओं ने आख़री कामुक क्रिया के दौरान अपने साथी को मुख मैथुन दिया था, जबकि इसके बदले उनको मिला कुछ भी नहीं थाI

शोधकर्त्ताओं ने बताया कि यह सब उन्हें एक महत्त्वपूर्ण सवाल की ओर ले गयाI और वो यह कि जब पुरुषों को मुख मैथुन देने में ज़्यादा मज़ा आता है और महिलाओं को नहीं तो फ़िर मुख मैथुन देने के मामले में महिलाओं की संख्या पुरुषों की संख्या से ज़्यादा क्यों है?

जुड़ाव महसूस होना

अध्ययन से निकले परिणामों से शोधकर्ताओं ने कुछ अर्थ निकाले। उनमे से एक यह था कि सेक्स के मामले भी सामाजिक मानदण्डों पर आधारित  होते हैं। जहाँ तक सेक्स की बात हो तो युवा वयस्क महिलाओं को एक दब्बू के रूप में देखते हैं जबकि पुरुषों की प्रवृत्ति इस मामले में काफी हावी समझी जाती है।

यह तथ्य कि इस बात की संभावना ज़्यादा है कि महिलाएं मुख मैथुन दे बल्कि इसके कि उन्हें इसकी प्राप्ति हो, इस पर आधारित है कि वो मुख मैथुन लेते हुए कितना सहज महसूस करती हैं। शोध से पता चला कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए मुख मैथुन का आनंद उठाना एक मुश्किल काम था और वो इसमें सहज नहीं हो पाती थी।

अपने साथी को ब्लोजॉब देने के पीछे महिलाओं के कारण भावात्मक निकले थे - जैसे यह उनके लिए अपने प्यार को दिखाने का एक तरीका था या फ़िर अपने साथी के साथ जुड़ाव महसूस करने पर भी उन्हें मुख मैथुन देना अच्छा लगता था। जबकि पुरुषों के लिए आमतौर पर यह एक शारीरिक ज़रुरत हेी थी।

अगर बात हो कि क्यों कुछ पुरुष मुख मैथुन देने को भी उतना ही आनंददायक मानते थी जितना कि उसे पाना तो इसकी वजह भी सामाजिक मानदंड ही थेI रिसर्च की माने तो पुरुष अपने आपको सेक्स में पारंगत समझते हैं इसलिए वो यह सुनिश्चित करना चाहते है कि उनके साथी को ओर्गास्म की प्राप्ति हो और मुख मैथुन से इस बात की संभावना काफ़ी बड़ जाती हैI और शायद यही वजह है कि मुख मैथुन देना भी पुरुषों के लिए रुचिकारक होता है। निस्संदेह यह जानना कि वो अपने साथी को पूरी तरह संतुष्ट करने में सक्षम है, ही कई पुरुषों को काम देवता होने का एहसास देता है जो अपने आप में एक बहुत कामोत्तेजक बात है।

यह लेख हमारे '2016 के पाठकों की पसंद' शृंखला का अंश है। यह 5 अप्रैल 2016 को पहली पर प्रकाशित किया गया था।

स्त्रोत : वास् आईटी गुड फॉर यू?: ऐन एनालिसिस ऑफ़ जेंडर डिफरेंसेस इन सेक्स प्रॅक्टिसिस एंड प्लेझर रेटिंग्स अमंग हेटेरोसेक्शुल् कैनेडियन यूनीवर्सिटी स्टूडेंट्स (2016)। द कैनेडियन जॉर्नल ऑफ़ ह्यूमन सेक्सुअलिटी।

तो आपको किस में ज़्यादा मज़ा आता है? हमारे फोरम जस्ट पूछो का हिस्सा बने और अपने सवाल पूछे।