When I dumped all my short dresses
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उस दिन मैंने अपनी सभी छोटे कपडे फेंक दिये

शायद मेरी ही ग़लती थी कि उस दिन गली में उन लड़कों ने मुझे छेड़ा। शीतल को इस बात का पछतावा हो रहा था कि क्यों वो घर से छोटे कपडे पहनकर निकलीI खैर, इसके बाद शीतल को एक ऐसे व्यक्ति से प्रेरणा मिली, जिसकी उसने कभी उम्मीद भी नही की थी। तब शीतल को एहसास हुआ कि वह ग़लत नहीं थी। 

19 वर्षीय शीतल कानपुर में कॉमर्स की छात्रा हैं। उन्होंने लव मैटर्स के लेखक अनूप कुमार सिंह से अपनी कहानी साझा की।

ख़ुशी का जश्न

जब मुझे अपने कॉलेज में एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में विजेता घोषित किया गया तो मैं बहुत ख़ुश थी। अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए, मैं शाम को खरीदारी करने निकली। बाज़ार में इस सीजन की सेल का आख़िरी दौर चल रहा था। मैंने अपनी सबसे अच्छी सहेली स्नेहा को फोन करके मेरे साथ बाज़ार चलने के लिए कहा।

स्नेहा और मैंने अपने अपने ऊपर कई जूते और कपड़े आजमाए। स्नेहा ने अपने लिए एक जोड़ी जूते खरीदे। मुझे एक लाल रंग की शार्ट ड्रेस पसंद आयी। वह ड्रेस इतनी अच्छी लगी कि तभी मैंने सोच लिया कि इसे यहीं से पहनकर घर जाउंगी।

रात के साढ़े आठ बजे थे। हमने जाने से पहले अपना पसंदीदा पानी-पुरी खाया। स्नेहा का घर वहां से नज़दीक था इसलिए वह पैदल ही चली गई। मैंने घर आने के लिए एक ऑटो लिया।

मस्त ड्रेस है

ऑटो से मैं घर के पास वाले चौराहे पर उतर गयी। वहां से मुझे पैदल घर पहुँचने के लिए 5 मिनट लगते थेI जैसे ही मैं घर जाने वाली गली में मुड़ी, मुझे अपने पीछे किसी के चलने की आवाज़ सुनायी दी। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो तीन लड़के दिखे। मैं उन्हें नहीं जानती थी

मेरा घर दूर से ही दिखायी दे रहा था, इसलिए मैं तेजी से चलने लगी। उन लड़कों ने मेरा पीछा किया।

उनमें से एक ने सीटी बजाते हुए कहा, ‘क्या मस्त लग गई है रे तू। मस्त ड्रेस है।’मैं एकदम डर गई। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए, इसलिए मैं दौड़ने लगी और वे मेरा पीछा करने लगे। देखते ही देखते एक ने पीछे से मेरे स्तनों को पकड़ लिया और दूसरे ने मेरे नितंबों पर चुटकी काट ली। इससे पहले की मैं कुछ कह या कर पाती, वो तीनों हंसते हुए भाग गए।

नुकसान तुम्हारा ही होगा
 

मैं सदमे में थी। मैं घर से महज़ कुछ ही कदम दूर थी, इसलिए मैं चुपचाप घर के अंदर आ गयी। मैंने अपनी माँ से कहा कि मैं बाहर से खाकर आयी हूं और अपने कमरे में चली गई। मैंने सोने की बहुत कोशिश की लेकिन नींद नहीं आयी।

अगले दिन मैंने अपनी मां को बताया कि मेरे साथ क्या हुआ था। उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और कहा कि अब से जल्दी घर आ जाया करो। उसने मुझसे यह भी कहा कि ज़रा अपने कपड़ों का भी ध्यान रखा करो।

मम्मी ने कहा कि तुम समझदार हो बेटा और अपना भला बुरा जानती हो। कल को नुकसान तुम्हारा ही होगा, उनका कुछ नहीं जाएगा। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं मम्मी की बातों का क्या ज़वाब दूं।

आपको डर नहीं लगता?
 

मैंने अपने सूटकेस में रखी सभी छोटी पोशाकें फेंक दी और अगले दिन लंबा कुर्ता और जींस पहनकर कॉलेज गयी। मैंने सोचा, उस दिन गली में मेरे साथ जो कुछ भी हुआ, शायद उसके लिए मैं ही दोषी थी। क्योंकि एक तो देर रात घर आ रही थी वो भी छोटे कपड़े पहनकर। 

घूम फ़िरकर बार-बार वही घटना याद आ रही थी इसलिए मैं आख़िरी की दो क्लास छोड़कर घर चली आयी। 

जब मैं घर आयी तो देखा कि हमारी घरेलू नौकरानी कमला दीदी सोफे की धूल साफ कर रही थी। वह काफ़ी फैशनेबल थी और अपने तरीके के कपड़े पहनती थी। उस दिन उसने एक खूबसूरत बैकलेस ब्लाउज और साड़ी पहन रखी थी।

‘सब ठीक है बेबी जी?’ उसने मुझसे पूछा। मैंने बस हाँ में सिर हिलाया।

जब उन्होंने मुझे कुछ चाय और नाश्ता दिया तो मैंने उनसे पूछा, कमला दी, आप रोज बहुत सारे सुंदर कपड़े पहनती हो और देर रात तक आपको बाहर भी रहना पड़ता है। आपको डर नहीं लगता कि कोई कुछ कर देगा? '

बहादुर बनो और तैयार रहो
 

वह हँसने लगी और बोली, बेबी जी, जो छेड़छाड़ करते हैं, वो अक्सर डरपोक होते हैं। उनकी वज़ह से मैं क्यों डर-डर के जियूं? मैं तो वही पहनूंगी, जो मेरा मन करेगा। 

उन्होंने फिर एक घटना सुनाईI जहाँ वह काम करती थी वहां उनके मालिक ने उसे चूमने की कोशिश की। कमला ने शोर मचाकर पूरे मोहल्ले को इकट्ठा कर लिया। फिर मालिक की पिटाई हुई और उसे सबक भी सिखाया गया।

कमला ने मुझसे कहा, कसूर आपकी ड्रेस का नहीं है, गंदी तो उनकी आंखें हैं। बिंदास जियो और चुप मत रहो। शर्म उनको आनी चाहिए, हमको नहीं।

वह अक्सर देर शाम तक घरों में काम करती है इसलिए हमेशा अपने पर्स में लाल मिर्च पाउडर लेकर चलती है। बहादुर बनना और हमेशा तैयार रहना ही उनका मंत्र था।

मैंने कमला दी को उनके प्रेरणादायक शब्दों के लिए धन्यवाद दिया। मुझे उसकी बात सुनकर बहुत राहत मिली और आखिरकार रात को मैं चैन से सो सकी। अगली सुबह कॉलेज के लिए तैयार होने से पहले मैंने अपना सूटकेस निकाला और वही लाल रंग की ड्रेस पहनी जो मैंने उस दिन ख़रीदी थी।

 *गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।

क्या लड़कियों के साथ सड़कों पर होने वाली छेड़खानी की मुख्य वज़ह उनकी ड्रेस है? नीचे टिप्पणी करें या हमारे फेसबुक पेज पर लव मैटर्स (एलएम) के साथ उसे साझा करें। यदि आपके पास कोई विशिष्ट प्रश्न है, तो कृपया हमारे चर्चा मंच पर एलएम विशेषज्ञों से पूछें।

लेखक के बारे में: अनूप कुमार सिंह एक फ्रीलांस अनुवादक और हिंदी कॉपीराइटर हैं और वे गुरुग्राम में रहते हैं। उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। वह हेल्थ, लाइफस्टाइल और मार्केटिंग डोमेन की कंपनियों के लिए हिंदी में एसईओ कंटेंट बनाने में एक्सपर्ट हैं। वह सबस्टैक और ट्विटर पर भी हैं।

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