आंटी जी, यह मेरी पहली नौकरी है और मुझे यह काम बहुत पसंद है। मैं अच्छा सीख भी रही हूँ और अच्छा कमा भी रही हूँ और आगे भी बढ़ रही हूँ। मेरे लिए अगले कुछ सालों तक इस नौकरी में रहना ज़रूरी है। लेकिन प्रॉब्लम यह है आंटी जी कि मैं बुरी तरह फस गयी हूँ। अगर किसी को इस बारे में पता चलेगा इस बारे में तो बाकि कम्पनियों में यह बात फैलेगी कि मैं उपद्रवी हूँ तो आगे मेरे कैरियर में बहुत परेशानी आ सकती है। प्लीज़ आंटी जी, मेरी मदद करिये, जल्दी। कृतिका, 24 , मुम्बई
'मेरा स्वस्थ्य, मेरा चुनाव' श्रंखला के अंतर्गत पेश है ये लेख।
इस हफ्ते का विषय है शारीरिक उत्पीड़न।
आंटी जी कहती हैं...बेटा कृतिका, यह तो बहुत ही घटिया बात है। तेरा बॉस बदद कमीना है! गन्दा बंदा!
कृतिका पुत्तर, सुन, तू एक बात तो अच्छे से समझ ले और वो ये कि तुझे यह सब झेलने कि बिलकुल ज़रूरत नहीं है। तूने मुझे यह पहले भी कहते हुए सुना होगा - और लव मैटर्स भी इस बात का ही समर्थन करता है - कि किसी को भी किसी के साथ सेक्स तभी करना चाहिए जब वो खुद तैयार महसूस करे और उस व्यक्ति के साथ सेक्स करना चाहे। इस मामले में ना कोई ज़ोर, ना कोई ज़बरदस्ती, और ना ब्लैकमेल।
ब्लैकमेल
अब जो तेरा बॉस कर रहा है वो तो पूरी तरह से ब्लैकमेल है, शारीरिक उत्पीड़न है और शारीरिक समेकता के भी खिलाफ है। सवाल यह है कृतिका पुत्तर, क्या तुझे यह सब सहन करना चाहिए, क्यूंकि तुझे प्रोमोशन चाहिए, और अपना कैरियर आगे बढ़ाना है?
अब तू यह ना सोच लेना कि मैं महिलाओं के काम करने को कुछ कम समझ रही हूँ, और नौकरी छोड़ देना महिला के लिए आसान होता है - नहीं, बिलकुल नहीं! मेरे विचार में तो हर महिला को काम करना चाहिए, कोशिश करके हर मुश्किल का सामना करना चाहिए और सबसे आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी भी महिला को, या किसी को भी, किसी तरह कि बेईज़ती या धमकी या ज़बरदस्ती और ब्लैकमेल कि वजह से दबना चाहिए।
और सिर्फ नौकरी के लिए ही क्यूँ, मैं यही बात तब भी कहूँगी अगर ज़ोर, ज़बरदस्ती, ब्लैकमेल, डराना और धमकाना शादी के बंधन में हो रहा हो या किसी और रिश्ते में। है कि नहीं?
तू और बॉस
अब बेटा जी, अगर तू बड़ी कंपनी में काम करती है - तो वहाँ मानव संसाधन (Human Resources) का डिपार्टमेंट तो होगा, जहाँ तू सीधे-सीधे जाकर उनसे बात कर सकती है इस मुद्दे पर और शिकायत दर्ज करा सकती है। अगर तेरे पास यह साबित करने के लिए कोई ईमेल हैं, या फ़ोन पर मेसेज हैं, फ़ोन के रिकॉर्ड हैं, तो वो सब अपनी शिकायत में दर्ज करा।
ये स्तिथि ऐसी है जिसमे तेरा मुक़ाबला तेरे बॉस के साथ है, तो तुझे सोच-समझ कर इस मुद्दे को सामने लाना पड़ेगा, और दूसरी ओर से जो वार होंगे उके लिए भी तैयार रहना पड़ेगा। तेरा बॉस भी तुझ पर शायद बहुत सारे इलज़ाम लगाये जो तुझे बहुत शर्मनाक लगें, जैसे कि तू उसके पीछे पड़ने कि कोशिश करती थी ताकि तू उसके साथ सम्बन्ध बनाये ओर तुझे प्रोमोशन दे, लेकिन क्युकी उसने मन कर दिया इसलिए तू उसपर यह इलज़ाम लगा रही है। तो बेटा जी, तैयार हो जा इन सब के लिए, यह शायद आसान ना हो लेकिन अगर इस बात से तुझे आघात पंहुचा है तो तुझे इस बात के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए।
हाँ, अगर तू किसी छोटी कंपनी में काम करती है, ओर वहाँ शायद मानव संसाधन डिपार्टमेंट ना हो, तो तू अपनी कंपनी के किसी ओर सीनियर व्यक्ति से जाकर इस बारे में बात कर।
महिलाएं अधिकतर डर जाती हैं और बिना किसी को बताये अपने बॉस या ऑफिस में उनके साथ ऐसा करने वाले लोगों के बर्ताव को सहन करती रहती हैं। वो इस डर में भी रहती हैं कि कहीं सारा इलज़ाम उन पर तो नहीं दाल दिया जाएगा या दूसरे लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे। और हाँ लोग दूरी भी बनाने लगते हैं। यह बहुत दुःख कि बात होती है लेकिन बेटा, अगर तू सही है और जो तेरे साथ जो हो रहा है, उससे तू नाखुश है, परेशान है, तो बेटा जी, तुझे इसके खिलाफ आवाज़ उठानी होगी और यह मुद्दा सामने लाना होगा। चाहे कोई फिर तेरा साथ इसमें दे या ना दे।
सामाजिक ज़िम्मेदारी
कृतिका, ऐसा भी हो सकाता है कि तेरी तरह तेरे ऑफिस कि कई और लड़कियां भी इस तरह के शाररिक उत्पीड़न का शिकार हों, और शायद तेरे आवाज़ उठाने से उन्हें भी आगे आकर इस बात को सामने लाने में मदद मिले। और अहस्यद एक बड़ी जीत होगी। है ना? वर्ना शायद जैसा चल रहा है वैसे ही आगे भी चलता जाये।
शारीरिक उत्पीड़न ना ही सिर्क कानूनन जुर्म है, लेकिन कमनीयां के अंतर्गत आने वाली सामजिक ज़िम्मेदारी का हिस्सा भी है, ताकि वहाँ काम करने वाली सभी महिलाएं सुरक्षित महसूस करें और उन्हें उतनी ही इज़ज़त मिले जो कि पुरुष कार्यकर्ताओं को मिलती है।
कभी समझौता ना कर
बेटा, आज शायद तुझे ये लगये कि तुझे प्रोमोशन नहीं मिला, लेकिन शायद तूने कुछ पाया है। हमें कभी भी अपने शरीक, अपनी इच्छाओं और भावनाओं को लेकर समझौता नहीं करना चाहिए, क्यूंकि ऐसा करने से जो नुक्सान होगा, वो शायद हमेशा के लिए रह जाये। क्यूंकि कृतिका पुत्तर, अगर तू यह नहीं करना नचाहती और दबाव में रेह्कर करती है और प्रोमोशन लेती है तो तू कही सारी ज़िन्दगी किसी तरह के पछतावे में ना रहे। और अगर तू सही में मेहनत करके प्रोमोशन पाये तो भी तुझे यह लगे कि तुझे प्रोमोशन किसी और वजह से मिला है। और हाँ पुत्तर, अगर तुझे अपने बॉस के साथ समबन्ध बनाने में कोई आपति नहीं है तो वो फैसला भी तेरा है। क्यूंकि अगर ऐसा तेरी इच्छा से होता है तो इसे दबाव या ब्लैकमेल नहीं समझा जायेगा।
तो आप क्या फैसला है तेरा - इस दबाव में रेह्कर प्रोमोशन चाहिए तुझे या नहीं? फैसला तेरा है और जंग भी तेरी ही है। और हाँ फिर यही कहूँगी, किसी दबाव में मत आना। शारीरिक उत्पीड़न जुर्म है और इसमें तेरी कोई गलती नहीं। गलती तेरे साथ गलत करने वाले की है।
क्या अपने कभी अपनी काम की जगह पर शारीरिक उत्पीड़न अनुभव किया है? अपने इसके बारे में क्या किया? यहाँ लिखिए या फेसबुक पर हो रही चर्चा में भाग लीजिये।