आप एक बार में दोस्तों के साथ है और वहां आपकी मुलाक़ात एक लड़की से हो जाती है। आप दोनों ना सिर्फ़ पूरी रात साथ बातें करते गुज़ारते है बल्कि वो आपके हर मज़ाक को बेहद पसंद भी करती है। लेकिन जब विदाई का समय आता है तो आप तो चुम्बन लेने के लिए होंठ आगे बढ़ाते हो लेकिन वो बस एक झप्पी देकर आपको टरका देती है। यह क्या हुआ? आपको तो लग रहा था बात आगे तक जायेगी लेकिन अब आप इतने आश्वस्त नही रहे। अब आप सारा दिन यही सोचने में लगा देंगे कि वो क्या सोच रही होगी?
आगे पता चलता है कि आप उसे बड़े ही प्यारे और मज़ाकिया लगे लेकिन सेक्स या रोमांस का ख्याल उसके मन में दूर दूर तक नहीं आया। आप दोनों बड़े अच्छे दोस्त साबित होंगे, ऐसा उसने अपने दोस्तों को बताया।
सेक्स या दोस्त?
अगर यह सुनने में जाना पहचाना लगता है तो विश्वास रखिये कि आप ऐसे पहले लड़के या लड़की नही है जिन्होंने एक दुसरे की भावनाओ को गलत समझ लिया। और यह परिदृश्य - जब लड़का सोचे 'सेक्स' और लड़की के मन में हो 'दोस्ती' - उतना ही आम है जितना सब्ज़ी में नमक। इसको साबित करने के लिए एक रिसर्च भी है।
पर ऐसी क्या बात है कि इस मुद्दे को लेकर लड़के-लड़कियों के विचार अक्सर आपस में नही मिल पाते? इस बात को और समझने के लिए नॉर्वेजियन शोधकर्ताओं ने 308 वयस्कों को पूछताछ के लिए बुलाया। सहभागियों को एक प्रश्नावली के ज़रिये यह पूछा गया कि सेक्स को लेकर विपरीत लिंग के लोगों के साथ क्या क्या गलतफेहमियां हो सकती है।
उन लोगों से इस तरह के सवाल पूछे गए कि "क्या आपको कभी किसी के प्रति कामुक आकर्षण हुआ है और क्या दिलचस्पी दिखाने पर भी आपके संकेतों को केवल दोस्ताना नज़रिये से देखा गया?" इसके बाद लड़के और लड़कियों द्वारा दिए गए जवाबो को आपस में मिलाकर देखा गया।
प्रश्नावली ने यह साबित कर दिया कि इस बात के आसार ज़्यादा है कि पुरुषों द्वारा दिए गए कामुक संकेतों को लड़कियां आमतौर पर केवल साधारण दोस्ती ही समझती है। दूसरी ओर लड़कियों का यह मानना था कि पुरूष अक्सर उनके द्वारा बढ़ाये गए दोस्ती भरे हाथ को सेक्स का आमंत्रण समझ लेते है।
क्यों पुरुष गलत समझ लेते हैI
पर क्या कारण है कि एक महिला के दोस्ताना रवैये को पुरुष अक्सर सेक्स का आमंत्रण समझ लेते है? क्या यह अंतर हमारी संस्कृति की वजह से हो सकता है? क्यूंकि हमारी पिक्चरों में अक्सर दिखाया जाता है कि लड़के के सर पर तो सेक्स का भूत सवार है और लड़की को ज़रा भी दिलचस्पी नही हैI या फ़िर सालो से हो रहा क्रमिक विकास इसका कारण है जिसने स्त्री-पुरुष के मनोविज्ञान में विभिन्नता उत्पन्न कर दी हैI
असल में बात यह है कि स्त्री-पुरुष में बढ़ती समानता, जो कि नॉर्वे में तो बहुत ही आम है, ने दोनों लिंगो की सोच को बदल दिया है, ऐसा मानना है लेखक काI एक तरफ जहाँ पुरुष यह सोचते हुए बड़े हुए कि लड़की के ज़रा भी ढील देते ही 'सेक्स' कर लो क्यूंकि यह एक तरीका है अपने वंश को आगे बढ़ाने का वही दूसरी ओर महिलाओं के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा होता है क्यूंकि गर्भवती होना और बच्चो का लालन-पालन करना एक बड़ी ज़िम्मेदारी हैI
क्या महिलाएं अपनी इच्छाएं छुपा कर रखती है?
लेकिन एक दूसरी शोध ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि क्यों आदमियों के दिमाग में सेक्स चलता रहता जबकि औरतों की तरफ से ऐसा कोई स्पष्ट संकेत नही होताI इसके अनुसार, ऐसा नही है कि पुरुषों को कोई गलतफहमी होती हैI हो सकता है कि औरतें जानबूझ कर यह दिखाती है कि वो सेक्स को ज़्यादा महत्त्व नही देतीI तो इस रिसर्च के वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकला कि शायद यही कारण है कि पुरुषों का विकास कुछ इस तरह से हुआ जिससे कि वो दोनों के बीच में इस अंतर को कम कर सकेंI
असल जीवन के परिदृश्यों पर अगर ज़्यादा रिसर्च करी जाये तो शायद उन संकेतो को समझना आसान हो जाये जिनसे यह पता चल सके कि एक रेस्त्रां में बेहद बढ़िया बातचीत के बाद लड़का लड़की क्यों सेक्स नही करते, या करते हैI
स्त्रोत: एविडेंस ऑफ़ सिस्टेमेटिक बायस इन सेक्सुअल ओवर-एंड अंडरपरसेप्शन ऑफ़ नैचुरली ओक्कुरिन्ग इवेंट्स, मोंस बेन्डिक्सेन, साईकोलोजी विभाग, नार्वेजियन बिज्ञान एवं तकनीकी विश्व-विद्यालयI