रिनी (परिवर्तित नाम) मुंबई में रहने वाली 27 साल की इंजीनियर है।
आखिरकार वो रात आ गयी थी। हमारे पास कंडोम भी थे और हमें लगा की हम सेक्स के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हम मेरे ससुराल में थे और सेक्स करना चाहते थे क्यूंकि हमें अब सेक्स करने की औपचारिक मंज़ूरी हमारी शादी के कारण मिल गयी थी। लेकिन हम अपने इस मिलन को सार्वजनिक नहीं होने देना चाहते थे इसलिए हमने दरवाजा बंद कर बत्तियां भी बुझा दी।
हम दोनों दो साल से रिलेशनशिप में थे और सामान्य लोगों की ही तरह हमारी भी इच्छाएं थीं। हमने एक दूसरे को छुआ था, महसूस किया था लेकिन वो बड़ा कदम नहीं उठाया था।
नया एहसास
उस रात सब अजीब लग रहा था, जैसे हम दोनों एक दूसरे से पहली बार मिले हैं। मुझे शर्म और झिझक महसूस हो रही थी। हम दोनों ही काफी नर्वस थे। मैंने बायोलॉजी की किताबें और 'मिल्स एंड बोनस' के नोवेल्स तो बहुत पढ़े थे लेकिन वो पढ़ाई मुझे कुछ ख़ास काम आती दिखाई नहीं दे रही थी।.
हमने शुरुवात किसिंग से की और धीरे धीरे कपडे उतरने लगे। एक अजीब से ख़ामोशी थी और बीच बीच में शर्म वाली मुस्कान। यहाँ तक ही हमने किसिंग के दौरान भी कोई आवाज़ नहीं की ताकि हमें शर्म न आए।
एंटी क्लाइमेक्स
और जब वो पल आया जब हमारे शरीर पर केवल एक ही कपडा बचा था, मेरी हिम्मत जवाब दे गयी। मैं सेक्स करना चाहती लेकिन मुझे डर सा लग रहा था। वो भी रुक गया, और उसने कहा की जब तक मुझे सहज महसूस न हो वो इंतज़ार करने के लिए तैयार है। उसने मुझे सामान्य महसूस कराया और हिम्मत जुटा कर मैंने किसिंग का दूसरा दौर शुरू किया और उसे आश्वस्त किया की मैं बिलकुल सहज हूँ।
इस से हम दोनों फिर से थोड़ा सामान्य हुए और फिर से अपने इस मिलन की जद्दोजहद में जुट गए। मैं चाहती थी की वो मेरे अंदर प्रवेश करे। अचानक चीज़ें तेजी से होने लगी। मैं कंडोम पहनने में उसकी मदद कर रही थी और जैसे ही हमें लगा की वो पल आ गया है, अचानक वो मेरी योनि ही नहीं ढून्ढ पा रहा था! क्या घबराहट के कारण मेरा शरीर सिकुड़ गया था या फिर शायद इसलिए की हम दोनों इस मामले में अनाड़ी थे। पता नहीं क्या था!
रौशनी की चमक
उसे देख कर ऐसा लग रहा था मानो वो कोई बच्चा है जो मानता है सेक्स उसका पसंदीदा टॉपिक है लेकिन असल में उसे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था। हम दोनों ही शर्म से लाल हो रहे थे। हम दोनों को पता था की योनि कहाँ होती है लेकिन शायद घबराहट के चलते लिंग तो दूर की बात उसकी उँगलियाँ भी सही जगह तक नहीं पहुँच रही थी।
आखिर उसने अपना मोबाइल निकला और उसकी रौशनी में उस छुपे खजाने की तलाश करने की कोशिश की जिसे हम दोनों तलाश रहे थे। हम दोनों को मूड बदल गया और हंसी छूट गयी। थककर हम दोनों ने चुप चाप एक दूसरे के बाँहों में सोने का फैसला किया।
वो रात हमारे लिए ख़ास थी, ख़ास होने की वजह और लोगों के अनुभव से अलग थी। हमने कुछ दिन बाद आखिरकार बिना टोर्च की मदद के सेक्स किया। हनीमून के दौरान माहौल थोड़ा हल्का था और हमारी झिझक भी कम हो चुकी थी। साथ ही हमने इंटरनेट से कुछ जानकारी भी अर्जित की थी।
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