गरीबी में गुज़रे दिन
अमृता ने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वह देह व्यापार के धंधे में आएगी लेकिन गरीबी ने उसे यह पेशा चुनने को मजबूर कर दिया। अमृता का जन्म बिहार के पूर्णिया जिले में एक गरीब परिवार में हुआ थाI उसके घर की माली हालत ठीक नहीं थी और पेट भरने के लिए सिर्फ दो जून की रोटी का ही जुगाड़ हो पाता था। अमृता जब 18 साल की हुईं तो उसके मां-बाप ने उससे उम्र में चालीस साल बड़े एक आदमी के साथ ज़बरदस्ती उसकी शादी कर दी। शादी के बाद उसका पति उसे मारने-पीटने और प्रताड़ित करने लगा। जब वह पति के इस अत्याचार के बारे में अपने मां-बाप को बताती तो वे इसे अनसुना कर देते। उनके मां-बाप किसी तरह अपना पेट पाल रहे थे और उन्हें डर था कि कहीं अमृता अपने पति का घर छोड़कर उनके साथ न रहने लगे।
शादी को दो साल बीत गए लेकिन पति का जुल्म थोड़ा भी कम नहीं हुआ। उसे अब और बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था। एक दिन अमृता अपने पति को बताए बिना घर से भागकर मुंबई चली गई। वहां कुछ दिन वह अपने एक दोस्त के घर पर रुकी। उसके दोस्त की भी आर्थिक हालत ठीक नहीं थी और वह लोगों के घरों में काम करके किसी तरह अपना गुजारा कर रहा था। अमृता ने भी अपने लिए इसी तरह का काम ढूंढने की कोशिश की लेकिन एक साल गुजरने के बाद भी उसे कोई काम नहीं मिल सका थाI
सिर्फ़ छह महीने के लिए अपनाया देह व्यापर का पेशा
काम ना मिलने की वजह से अमृता हमेशा बहुत परेशान हो चुकी थीI वो जल्द से जल्द कुछ ऐसा करना चाहती थीं कि उसके खाने-पीने और रहने का जुगाड़ हो सके। इसी बीच अमृता को अपने दोस्त की चचेरी बहन महिमा से मिलने का मौका मिला। महिमा से मिलने के बाद अमृता को उम्मीद की एक किरण दिखी। महिमा अपने जीवन से काफी खुश थी। उसके पास अपना घर था और वह अच्छे-अच्छे कपड़े पहनती और मज़े से रहती थी। अमृता यह जानने के लिए उतावली थी कि आखिर महिमा ऐसा कौन सा काम करती है कि उसके पास किसी चीज की कमी नहीं है। उसने अपने एक दोस्ती के ज़रिये महिमा से अपनी नौकरी के लिए सिफ़ारिश भी लगाई। तब अमृता को यह नहीं मालूम था कि महिमा देह व्यापार का पेशा करती है।
अमृता धीरे-धीरे महिमा से मेल-जोल बढ़ाने लगी। महिमा रोज़ जितने पैसै कमाती उसके बारे में अमृता को बताती रहती। अमृता अपनी गरीबी दूर करने के लिए महिमा के पेशे में एक बार अपना हाथ आजमाना चाहती थी। हालांकि, महिमा ने अमृता को कभी देह व्यापार का धंधा करने के लिए मजबूर नहीं किया लेकिन वह इस काम में मिलने वाले पैसों के बारे में बताकर उसे लालच देने में ज़रूर सफ़ल रही। महिमा के साथ पहले से ही तीन लड़कियां रहती थीं और अब अमृता भी उसके साथ रहने लगी। आसपास के स्थानीय दुकानदारों और व्यापारियों के माध्यम से ग्राहक उसके यहां भी पहुंचने लगे। अमृता ने सोचा था कि वह इस पेशे में सिर्फ़ छह महीने का समय देगी और खूब पैसा कमाने के बाद यह गलत पेशा छोड़ देगी।
बिना कंडोम के सेक्स के लिए राजी नहीं होती थी
छह महीने जल्दी ही एक साल में बदल गए और इससे पहले वह पीछे मुड़कर देखती इस पेशे में उसे पांच साल हो गए थेI कई बार वह इस पेशे को छोड़कर कोई अच्छा काम करना चाहती थी लेकिन उसे पता था कि कोई भी और काम उसे इतनी आरामदेह ज़िन्दगी नहीं दे पायेगाI
उसे यह पेशा छोड़ने का ख्याल अब उतना नहीं आता था जितना एक साल पहले आया करता था। लेकिन उस दिन एक आदमी के घर अपने साथ हुई इस घटना ने उसे फिर से यह पेशा छोड़ने के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया। अपने पेशे में वह सुरक्षित सेक्स को ज्यादा महत्व देती थी और उसके पास आने वाले ज्यादातर ग्राहको को यह बात बहुत अच्छे से मालूम थीI
इसके अलावा महिमा, जो उसे इस पेशे में लेकर आयी थी, ने भी सेक्स वर्कर के तौर पर उसे ग्राहक से सेक्स के दौरान पूरी सुरक्षा बरतने की सलाह दी थी। कई बार बिना कंडोम के सेक्स की इच्छा जाहिर करने पर उसने ग्राहकों को वापस भी लौटा दिया था। इसलिए ज्यादातर ग्राहक बिना किसी बहस के उसकी शर्तों को मान लिया करते थे।
जान से मारने की धमकी
एक दिन विक्रम नाम के एक अधेड़ उम्र के आदमी ने अमृता को बाइकुला के एक पॉश इलाके में अपने घर बुलाया। वह पिछले तीन महीनों में बारह बार उसे अपने घर बुला चुका था। लेकिन इतनी बार मिलने के बावजूद भी अमृता उस आदमी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी। उस दिन जब विक्रम ने बिना कंडोम के सेक्स करने के लिए अमृता को मजबूर किया तो वह बुरी तरह चौंक गई।
उसने काफ़ी विनम्रता से विक्रम को मना कर दिया। लेकिन वह अपनी ज़िद पर अड़ा रहा और कहने लगा कि उसे कोई यौन रोग नहीं है और वे दोनों इतनी बार मिल चुके हैं तो अमृता को उसके ऊपर भरोसा करना चाहिए। लेकिन अमृता ने जब उसे दोबारा मना किया तो वह उसे डराने-धमकाने लगा। उसकी धमकी से डरकर अमृता तुरंत उसके फ्लैट से बाहर निकल गईं।
लेकिन कहानी वहीं खत्म नहीं हुई थी। विक्रम ने उसे फ़ोन और मैसेज करके परेशान करना शुरू कर दिया था। वह अमृता को फ़ोन पर धमकी देने लगा कि यदि उसने उसकी यह इच्छा पूरी नहीं कि तो वो उसे जान से मरवा देगा। उसने यह तक कह दिया कि अगर उसे पता चला कि अमृता ने यह बात किसी को भी बताई तो अच्छा नहीं होगा। अमृता ने यह सोचकर उसका फोन उठाना बंद कर दिया कि कुछ दिनों बाद वह फोन करना बंद कर देगा लेकिन ऐसा हुआ नहींI
सहयोग के लिए बढ़े हाथ
जब फ़ोन और धमकियाँ नहीं रुकी तो अमृता को एक बार लगा कि उसे विक्रम की बात मान लेनी चाहिएI तब जाकर उसने महिमा से इस घटना का ज़िक्र कियाI महिमा कभी इस तरह की परेशानी में नहीं पड़ी थी लेकिन वह कुछ सेक्स वर्कर को जरूर जानती थी जिनके साथ ऐसी दिक्कतें हो चुकी थी। महिमा ने अमृता को तत्काल अपना फोन नंबर बदलने की सलाह दी। क्योंकि फोन नंबर बदलने से धमकी मिलना बंद हो जाती और विक्रम के पास अमृता तक पहुंचने का और कोई रास्ता नहीं था। अमृता ने पहले ही समझदारी का काम किया था कि वह जहां रहती थी उस इलाके के आसपास कभी विक्रम से नहीं मिली थी।
इसके अलावा महिमा ने अमृता को यौनकर्मियों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं से भी मिलवाया और काउंसलर से परामर्श भी करवायाI अमृता को सेक्स वर्कर के अधिकारों के लिए काम करने वाली इन संस्थाओं के बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी। अब तक उसे सिर्फ़ इतना मालूम था कि भारत में वेश्यावृत्ति अवैध है। महिमा के ज़रिये संस्था के लोगों से मिलने और बात करने के बाद उसे सेक्स वर्कर के रूप में अपने अधिकारों के बारे में पता चलाI उसे बताया गया कि उसकी सहमति के बिना उसका पार्टनर असुरक्षित सेक्स के लिए उसे मजबूर नहीं कर सकता है।
अमृता के मन से विक्रम का ख़ौफ़ अभी दूर नहीं हुआ है लेकिन उसे उम्मीद है कि विक्रम किसी दिन शहर छोड़कर चला जाएगा। अपने साथ हुई उत्पीड़न की इस घटना ने उसे काफ़ी बदल दिया है। अब वह यह बात समझ चुकी हैं कि भविष्य में इस तरह की घटना होने पर वह अकेली नहीं हैं बल्कि उनके अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाएं भी उनके साथ खड़ी हैं।
नाम बदल दिए गए हैं
तस्वीर के लिए एक मॉडल का इस्तेमाल किया गया है
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लेखक के बारे में: मुंबई के हरीश पेडाप्रोलू एक लेखक और अकादमिक है। वह पिछले 6 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। वह शोध करने के साथ साथ, विगत 5 वर्षों से विश्वविद्यालय स्तर पर दर्शनशास्त्र भी पढ़ा रहे हैं। उनसे लिंक्डइन, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर संपर्क किया जा सकता है।