एचआईवी परीक्षण के बारे में विस्तार से बताने से पहले यह स्पष्ट कर दें कि किसी एक एचआईवी टेस्ट से यह पता नहीं लगाया जा सकता कि आप एचआईवी-पॉजिटिव हैं या नहींI इसके लिए एक साथ कई टेस्ट एक क्रम में करवाने होते हैं।
एचआईवी या ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को कमजोर कर देता है जिससे संक्रमित व्यक्ति का शरीर सामान्य कीटाणुओं, वायरस, बैक्टीरिया आदि से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। एचआईवी संक्रमण के कारण जब शरीर का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है तब कहा जाता है कि मरीज को एड्स या एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी वायरस हो गया है।
शरीर में एचआईवी वायरस का स्तर क्या है और यह वायरस किस तरह से बॉडी में विकास कर रहा है, इसकी जांच के लिए कई तरह की टेक्नॉलजी आज उपलब्ध है। यह जानने से पहले मूलभूत चीजों को समझें।
विंडो पीरियड- एचआईवी टेस्ट कब कराएं
अगर आप भी सोचते हैं कि जब आप असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं, असंक्रमित सूई का प्रयोग करते हैं या फिर आपको लगता है कि शरीर में असंक्रमित खून चढ़ा दिया गया है तो मैं इसके अगले दिन एचआईवी का टेस्ट करवाउंगा और मुझे रिजल्ट मिल जाएगा। तो जवाब है नहीं। शरीर में एचआईवी के वायरस शरीर में प्रवेश कर चुके हैं या नहीं इसका पता लगाने के लिए आपको विंडो पीरियड का इंतजार करना होगा - विंडो पीरियड वह अवधि है जब एचआईवी संक्रमण सतह पर आ जाता है। यदि विंडो पीरियड से पहले टेस्ट किया जाता है, एचआईवी संक्रमण होने के बावजूद टेस्ट नेगेटिव आ सकता है। यह विंडो पीरियड आमतौर पर चार सप्ताह का होता है।
तो क्या आपको सिर्फ़ इंतज़ार करना चाहिए और डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहिए?
बिल्कुल नहीं। वास्तव में आपको ठीक इसका उल्टा करना चाहिए। संक्रमण की आशंका होने के 72 घंटों के भीतर आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। जब आप एचआईवी के बारे में किसी भी तरह का संदेह लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं तो वह आपसे नॉर्मल कुछ सवाल करते हैं और टेस्ट करते हैं। यदि आपके शरीर में संक्रमण होने का खतरा अधिक है तो उसी के आधार पर संक्रमण से बचाने के लिए आपको पीईपी (पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस) का कोर्स देते हैं। यह एक आपातकालीन एचआईवी उपचार है जो एचआईवी से संक्रमित होने की संभावनाओं को कम कर देता है।
डॉक्टर्स विंडो पीरियड पूरा होने के बाद टेस्ट के लिए आपको एक तारीख़ देते हैं और निर्धारित तारीख़ पर आकर टेस्ट करवाने के लिए कहा जाता है। ज्यादातर एचआईवी टेस्ट एक्सपोजर के चार सप्ताह बाद ही एचआईवी का पता लगा लेते हैं। आपको अपने विंडो पीरियड के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। किसी से भी संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए। इस दौरान यदि आप किसी तरह के इंजेक्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसको शेयर न करे। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके संक्रमण के कारण दूसरा भी प्रभावित हो सकता है।
एचआईवी टेस्ट कहां करवाएं
अगर आपको इस बात का संदेह है कि आपका शरीर एचआईवी वायरस की चपेट में हैं तो एचआईवी टेस्ट कराने के विभिन्न तरीके है.
- प्राइवेट लैब टेस्ट - आप विभिन्न प्राइवेट लैब जैसे कि डॉ लाल पैथ लैब, एसआरएल लैब आदि में एचआईवी टेस्ट करवा सकते हैं।
- सरकारी अस्पताल -सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में एचआईवी टेस्ट किया जाता है। ये टेस्ट गुमनाम रूप से किए जाते हैं। सरकारी अस्पतालों में जो भी व्यक्ति एचआईवी टेस्ट करवाता है, उसका नाम गोपनीय रखा जाता है। नीचे मुफ्त एचआईवी टेस्ट और परामर्श करने वाले सरकारी अस्पतालों के नाम दिए गए हैं।
- होम-बेस्ड टेस्टिंग किट - इंटरनेट पर भारत में होम-टेस्टिंग किट के बारे में सर्च करें। आपको तुरंत कई सारे किट्स के बारे में जानकारी मिल जाएग। इस किट के जरिए आपको एचआईवी संक्रमण के सटीक रिजल्ट मिलते हैं, जैसे कि डॉक्टर ट्रस्ट एचआईवी किट। हालांकि यह निश्चित नहीं हैं कि ये किट कितने सही हैं या उन्हें सरकार द्वारा स्वीकृति प्राप्त है या नहीं। अमेरिका में, दो एचआईवी होम टेस्टिंग विकल्पों- होम एक्सेस एचआईवी -1 टेस्ट सिस्टम और ओराक्विक एचआईवी टेस्ट किट को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा मंजूरी मिली हुई है। हालांकि यह अभी तक भारत में उपलब्ध नहीं है।
- होम-कलेक्शन किट - इसमें अपनी उंगली से खुद खून निकालकर प्रयोगशाला में सैंपल भेजना पड़ता है। कुछ दिनों में आपको टेस्ट रिपोर्ट दे दी जाती है।
हालांकि, एचआईवी के यह विभिन्न प्रकार के टेस्ट की विधियाँ अलग अलग है। कौन सा परीक्षण किस व्यक्ति पर किया जाता है यह उस व्यक्ति के संक्रमण के दिनों और संक्रमण के स्तर पर निर्भर करता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
एचआईवी टेस्ट के प्रकार
रैपिड एचआईवी टेस्ट - रैपिड का मतलब तेजी से यानि की रफ्तार से होता है। एचआईवी संक्रमण का यह टेस्ट बहुत तेजी से होता है। इस टेस्ट की रिपोर्ट सिर्फ़ 20 मिनट के अंदर मरीज को मिल जाती है। हालांकि यह टेस्ट केवल विंडो पीरियड के बाद किया जाना चाहिए। इस टेस्ट में व्यक्ति के खून या मुंह के तरल पदार्थ के नमूने को लेकर एंटीबॉडी की जांच की जाती है (रोगों से लड़ने के लिए शरीर द्वारा उत्पन्न प्रोटीन)। हालांकि, यदि यह टेस्ट विंडो पीरियड के दौरान किया जाता है (टेस्ट से पहले का वो समय जब एंटीबॉडीज पाए जा सकते हैं) तो टेस्ट गलत रिपोर्ट दे सकता है। इस प्रकार का टेस्ट नियमित रूप से कराने पर ज़्यादा उपयोगी होते हैं और यह उन लोगों के लिए है जो ख़ुद जांच करके तत्काल प्रभाव पर इसके परिणाम चाहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस टेस्ट की सटीकता का स्तर स्टैंडर्ड टेस्ट के बराबर है।
स्टैंडर्ड टेस्टिंग- एचआईवी टेस्ट की इस पद्धति का इस्तेमाल नियमित तौर पर किया जाता है। इसके अलावा यह टेस्ट उस वक्त भी किया जाता है, जब रैपिड टेस्ट उपलब्ध नहीं होता है। स्टैंडर्ड टेस्टिंग में ब्लड या मुंह के लार का सैंपल लेने के बाद 4 से 5 दिनों के भीतर रिपोर्ट आ जाती है। स्टैंडर्ड टेस्ट कई प्रकार के होते हैं। इनमें एंटीबॉडी और एंटीजन टेस्ट शामिल हैं।
प्रारंभिक परीक्षण
वायरल लोड (आरएनए पीसीआर) परीक्षण: इसे एचआईवी, पीसीआर ब्लड या एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है। इस टेस्ट की पोटेंशियल विंडो छोटी होती है और इसे संक्रमण की आशंका होने के 9 से 11 दिनों के बीच किया जाता है। आरएनए टेस्ट सीधे खून के जरिए एचआईवी आरएनए का पता लगाता है। अगर खून में यह मौज़ूद है तो रिजल्ट पॉजिटिव होगा।
आरएनए टेस्ट के परिणाम हमेशा एक्सपोजर के लगभग 9 दिनों तक ही होते हैं, लेकिन इसके लिए आप 11 दिन तक इंतजार कर सकते हैं तो यह ज़्यादा बेहतर होगा। हालांकि आपको फ्लू है या फ्लू होने का अनुमान है, तो यह टेस्ट अलग-अलग रिजल्ट दे सकते हैं। बेहतर यही होगा कि संक्रमण के बाद कम से कम 4 सप्ताह तक इंतज़ार करें।
हालांकि, कुछ विशिष्ट परिस्थितियों को छोड़कर एचआईवी टेस्ट कराने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि इसके टेस्ट नेगेटिव हो सकते हैं। इसका कारण आपके एक्सपोजर से एचआईवी आरएनस का पता लगाने की संवेदनशीलता है। चाहे आप वास्तव में संक्रमित हों या ना हों।
डॉक्टर कुछ महीनों के एक्सपोजर के बाद परिणामों को सुनिश्चित करते हैं, इसके बाद ही एचआईवी एंटीबॉडी टेस्ट जैसे एलिसा (नीचे पढ़ें) कराने की सलाह देते हैं। यदि आपका शरीर सभी एंटीबॉडी का उत्पादन कर रहा है, तो एलिसा इस बात की पुष्टि करता है कि वास्तविक संक्रमण के दौरान आपको इसकी आवश्यकता होगी या नहीं।
एंटीबॉडी टेस्ट
एलिसा टेस्ट - आमतौर पर डॉक्टर सबसे पहले एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट एसेज या एलिसा टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। यह एक लोकप्रिय और अत्यधिक प्रभावी एंटीबॉडी टेस्ट में से एक है।
एलिसा टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव होने का ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपकी बॉडी में एचआईवी वायरस प्रवेश कर चुके हैं। यदि व्यक्ति लाइम रोग, सिफलिस और ल्यूपस जैसी बीमारियों का शिकार है, तो हो सकता है कि एलिसा का टेस्ट पॉजिटिव आए। लेकिन टेस्ट नेगिटिव आता है, पर आपके हाल ही में एचआईवी के एक्सपोजर में आने की संभावना हो तो आप एलिसा का दोबारा टेस्ट करवा सकते हैं। एलिसा टेस्ट एक उत्प्रेरक पदार्थ (एंजाइम) को लेकर नैनो ग्राम (सूक्ष्मतम) स्तर तक रोग कारकों को पहचान के लिए उपयोग में लाई जाने वाली तकनीक है।
विशेषज्ञों की मानें तो वायरस के संदिग्ध जोखिम का टेस्ट 3 से 12 सप्ताह के अंदर कर लिया जाना चाहिए। यह टेस्ट व्यक्ति के मूत्र, खून, लार और मुंह के अन्य तरल पदार्थ जिनमें एंटीबॉडी पाया जाता है उन्हें इकठ्ठा करके किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि एचआईवी का पता मुंह के तरल पदार्थों (लार) की तुलना में खून के सैंपल पर जल्दी चलता है।
एचआईवी का पता लगाने के लिए किए गए एंटीबॉडी टेस्ट का रिजल्ट आने में कुछ दिन लगते हैं, इसलिए आपको ज्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। अगर आप तुरंत इसके बारे में जानना चाहते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट का रैपिड वर्जन आज़मा सकते हैं। इसके ज़रिये आप महज़ 20 से 30 मिनट में एचआईवी का पता लगा सकते हैं। इस टेस्ट का उपयोग वो लोग भी कर सकते हैं, जो एचआईवी से निपटने के लिए समय-समय पर टेस्ट करते हैं, क्योंकि इसमें रिस्क बहुत ही कम होता है।
अगर आपका एलिसा टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो आपको तुरंत वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट कराने की ज़रूरत है, क्योंकि इसके बाद ही एचआईवी संक्रमण की पुष्टि होती है और इलाज़ का कोर्स शुरू होता है।
एंटीजेन टेस्ट
एंटीजेन बाहरी पदार्थ हैं जो शरीर में इम्यून सिस्टम की तरह काम करता है। एचआईवी के मामले में, एंटीजेन शरीर द्वारा एंटीबॉडी जारी होने से पहले ही पाए जा सकते हैं। डॉक्टरों की मानें तो एचआईवी संक्रमण की जांच के लिए एक विशिष्ट एंटीजेन p24 नामक प्रोटीन की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।
एंटीजेन टेस्ट का विंडो पीरियड 2 से 4 सप्ताह का होता है। इसका मतलब ये है कि इस समय अवधि के बाद ही आपकी बॉडी एचआईवी संक्रमित है या नहीं इसके बारे में पता लगा पाएगा। एक एंटीबॉडी टेस्ट क शरीर में एचआईवी वायरस की उपस्थिति के ख़िलाफ़ शरीर द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी की उपस्थिति को दिखा सकता है। दूसरी ओर, एक एंटीजन टेस्ट शरीर में प्रोटीन p24 की खोज करता है, ताकि एचआईवी वायरस की मौजूदगी का पता लगाया जा सके।
कॉम्बीनेशन टेस्ट
कॉम्बीनेशन टेस्ट एचआईवी संक्रमण का पता लगाने के लिए एंटीजन और एंटीबॉडी दोनों की उपस्थिति की खोज करता है। एचआईवी के अन्य टेस्टों की तरह ही कॉम्बीनेशन टेस्ट का भी रैपिड वर्जन बाज़ार में उपलब्ध है, जिससे तुरंत रिजल्ट मिलता है। अगर रैपिड वर्जन को छोड़कर कॉम्बीनेशन टेस्ट की बात करें तो इसका रिजल्ट आने में एंटीबॉडी टेस्ट की तरह की थोड़ा सा समय लगता है। वर्तमान में यह टेस्ट भारत में उतना ही स्टीक माना जाता है, जितना एंटीबॉडी टेस्ट को माना गया है।
एचआईवी टेस्ट अगर पॉजिटिव आता है- तो क्या करें?
अगर एक टेस्ट में परिणाम पॉजिटिव आ गया हो तो दूसरा टेस्ट ज़रुर करवाना चाहिए। दूसरे टेस्ट से किस तरह का संक्रमण है इसकी पुष्टि हो जाएगी और आगे क्या इलाज़ करना है यह भी पता चल जाएगा। संक्रमण परीक्षण प्रक्रिया के बाद कुछ प्रकार के विश्लेषण हैं:
- वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट
यह प्राइमरी टेस्ट के परिणाम की पुष्टि के लिए किया जाता है। यह एक एंटीबॉडी टेस्ट होता है। यह एचआईवी-एंटीबॉडी के ईआईए या ईएलआईएसए टेस्ट से ज्यादा विशिष्ट होता है। हालांकि यह काफ़ी महंगा होता है इसलिए यह टेस्ट प्राइमरी की जगह कन्फर्मेशन टेस्ट के लिए प्रयोग किया जाता है। हालांकि आजकल कई डॉक्टर वेस्टर्न बॉल्ट टेस्ट नहीं करते हैं। एलिसा टेस्ट के बाद एचआईवी संक्रमण की पुष्टि के लिए एचआईवी डिफरेंनसिएशन ऐसै (HIV differentiation assay) कराया जाता हैI
- एंटीबॉडी डिफरेंनसिएशन टेस्ट
यह दूसरे प्रकार का टेस्ट एक प्रारंभिक एचआईवी एंटीबॉडी टेस्ट रिजल्ट के पॉजिटिव आने के बाद किया जाता है। इस टेस्ट को कराने का मुख्य उद्देश्य इस बात का पता लगाना है कि व्यक्ति को एचआईवी -1 या एचआईवी -2 है। यहां आपको बता दें कि एचआईवी दो प्रकार के होते हैं। टाइप I और टाइप II, भारत में टाइप I के मरीज ज्यादा पाए जाते हैंI
- एनएटी या न्यूक्लिक एसिड परीक्षण
एचआईवी संक्रमण के शुरुआती दौर में इस टेस्ट को सबसे सटीक माना जाता है। इसका उपयोग संक्रमण के 10 दिनों के भीतर एचआईवी वायरस की उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। इस टेस्ट के जरिए न सिर्फ़ शरीर में वायरस की स्थिति पता चलती है बल्कि इस बात की जानकारी भी मिलती है कि एचआईवी वायरस का स्तर क्या है। न्यूक्लिक एसिड पर आधारित परीक्षण विशिष्ट एचआईवी (HIV) जीनों जैसे एचआईवी (HIV)-वन गैग, एचआईवी (HIV)-टू गैग, एचआईवी (HIV)-ईएनवी या एचआईवी (HIV)-पीओएल में स्थित एक या अधिक कई लक्ष्य श्रंखलाओं का पता लगाने या बढ़ाने का काम करते हैं। एचआईवी के अन्य टेस्ट के मुकाबले यह टेस्ट काफी महंगा होता है, इसलिए कुछ ख़ास स्थितियों में ही डॉक्टर्स इस टेस्ट को कराने की सलााह देते हैं।
- सीडी4 काउंट
सीडी 4 कोशिकाएं, सफेद रक्त कोशिकाओं का ही एक प्रकार हैं, जो शरीर में एचआईवी की उपस्थिति को ख़त्म करती हैं। एक स्वस्थ शरीर में सीडी4 सेल्स की संख्या 500 से 1000 के बीच होती है। वहीं, एचआईवी संक्रमित लोगों की बात की जाए तो उनमें सीडी4 सेल्स की संख्या 200 तक हो जाती है और उनमें एड्स जैसी बीमारी होने की संभावना ज़्यादा रहती है। इसलिए एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के लिए नियमित परीक्षण के माध्यम से सीडी 4 की संख्या की जांच रखना महत्वपूर्ण है।
परीक्षण के लिए लागत और सुविधाएं
- एचआईवी का टेस्ट कराने के लिए महज़ 100 रुपये ख़र्च करने होते हैं। किसी भी निजी, सरकारी अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र या प्राइवेट क्लीनिक में इस टेस्ट को आसानी से करवाया जा सकता है। इन ज़गहों पर एचआईवी का टेस्ट कराने वाले लोगों के नाम गोपनीय रखें जाते हैं। लोगों को एचआईवी का टेस्ट कराने में किसी तरह की हिचकिचाहट न हो और उन्हें इसके लिए किसी तरह के पैसे न ख़र्च करने पड़े, इसलिए भारत सरकार द्वारा एचआईवी संक्रमण का टेस्ट कराने और इससे संक्रमित लोगों के लिए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) का गठन किया गया है। इसके तहत लगभग 21,000 परामर्श और परीक्षण केंद्र (ICTC) चलाए जा रहे है। इन सेंटरों पर मरीजों को न सिर्फ मुफ्त में इलाज दिया जाता है बल्कि, दवाइयां भी मुफ़्त में दी जाती है।
- आईसीटीसी जनरल ओपीडी या प्रसूति और स्त्री रोग विभागों में मेडिकल कॉलेजों या जिला अस्पतालों में या मैटरनिटी होम में उपलब्ध हैं, जहां पर कोई भी व्यक्ति जाकर सेवा का लाभ उठा सकता है।
- सरकार एचआईवी और एड्स से संबंधित जानकारी और सहायता के लिए एक राष्ट्रीय, टोल-फ्री हेल्पलाइन भी चलाती है। भारत के किसी भी क्षेत्र में रहने वाला व्यक्ति 1097 डायल करके मदद पा सकता है।
- भारत में बढ़ रहे प्राइवेट अस्पतालों में भी एचआईवी का इलाज़ और इससे संबंधित दवाइयां, टेस्ट सब उपलब्ध है, लेकिन सरकारी सुविधाओं को आमतौर पर एचआईवी टेस्ट के लिए विश्वसनीय माना जाता है। हालांकि, कभी-कभी, सरकारी सुविधाओं पर चिकित्सकों को नॉन -बाइनरी यौन पहचान वाले और अन्य कमजोर लोगों से भेदभाव करने का आरोप लगता है, लेकिन वक्त के साथ उन पर कार्रवाई भी होती है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के कारण हमें हर तरह के अधिकार और सेवाओं के बारे में जानने की आवश्यकता है।
यह बात ध्यान में रखनी ज़रूरी है कि जांच का कोई भी तरीका गलतियों से पूरी तरह मुक्त नहीं हो सकता इसलिए हमेशा दोबारा जांच करवा लेना चाहिए। जांच के परिणामों को देखकर बहुत ज़्यादा निराश भी नहीं होना चाहिए और ना ही कोई ग़लत कदम उठाना चाहिए।
कृपया ध्यान दें - एचआईवी संक्रमण का मतलब हमेशा यह नहीं होता है कि आपको एड्स है। बेहतर होगा कि आप किसी योग्य और प्रमाणित डॉक्टर से अपनी जांच करवाएं और उनके द्वारा बताए गए सलाह का गंभीरता से पालन करें और ख़ुशहाल ज़िंदगी जिएं।
आप एचआईवी टेस्ट से जुड़ा कोई और सवाल पूछना चाहते हैं? तो हमारे चर्चा मंच पर एलएम विशेषज्ञों से पूछें।