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पांच साल के बाद भी बच्चा नहीं : ज़रूर हममें कोई कमी होगी?

Submitted by Arpit Chhikara on शुक्र, 12/08/2017 - 02:33 बजे
शादी के तीन साल बीत जाने के बाद भी कोई संतान ना होने से सौरभ* और शिवानी* से उनके रिश्तेदार लगातार पूछताछ करने लग गए थेI उनके सवालों से तंग आकर उन दोनों ने भी बच्चा करने का फैसला कर लियाI लेकिन यह उतना आसान नहीं था जितना कि उन्हें लग रहा थाI

सुखद दाम्पत्य जीवन, करीब-करीब

जब सौरभ के घरवाले उसके लिए लड़की ढूंढ रहे थे तो हमारे एक रिश्तेदार ने उन्हें मेरा नाम सुझाया था, और इस तरह हम पहली बार मिले थेI हम हमारे ही घर पर मिले थे, अपने माता-पिता की उपस्थिति मेंI शादी से पहले हम दोनों ने एक दूसरे को एक साल तक डेट भी किया थाI उस एक साल में मुझे सौरभ के रूप में एक भरोसेमंद और अच्छा दोस्त मिला था जो मुझे बेहद प्यार करता थाI सौरभ ने मुझे हमेशा आगे बढ़ने और अपने कैरियर में एक अलग मुकाम हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया थाI वो घरेलु कामों जैसे खाना बनाना और साफ़-सफाई में भी मेरी मदद करता थाI उसके हाथ की बनी कॉफ़ी के बिना तो मेरे दिन की शुरुआत भी नहीं होती थीI जब एक कॉलेज में, लेक्चरर के रूप में मेरी नौकरी लगी तो वो मुझे छोड़ने भी जाता थाI

हम एक अलग ही दुनिया में जी रहे थे जिसमे बेहद प्यार था और हम दोनों एक दूसरे के साथ का बेहद लुत्फ़ उठा रहे थेI हम पूरे हफ़्ते अपने-अपने कामों में कड़ी मेहनत करते थे और शनिवार का इंतज़ार करते थे, जब हम दोनों नयी फ़िल्म देखने जाया करते थेI कभी-कभी हम छुट्टियों मनाने पहाड़ों पर भी चले जाया करते थेI तीन साल कैसे बीत गए, हमें कभी महसूस ही नहीं हुआI हम बच्चा ज़रूर चाहते थे लेकिन कब, यह हमने अभी तक नहीं सोचा थाI

जब हमारी शादी हुई तब मैं 29 साल की थी और सौरभ 32 वर्ष का था। हम दोनों ही अगले दो साल तक बच्चा नहीं चाहते थे ताकि एक दूसरे के साथ पहले जीवन का आनंद ले सकेंI हम दोनों अपने लिए गए फैसले से खुश और संतुष्ट थे लेकिन एक दिन मेरी सास ने आकर सब कुछ बदल दियाI वो बहुत निराश थी कि उनका कोई पोता/पोती नहीं है जिसके साथ वो खेल सकें, और ना ही वो अब और इंतज़ार करना चाहती थीI

'अब मुझे एक नाती चाहिए'- उन्होंने अपना फरमान सुना दिया थाI उनकी कही गयी यह बात हमारे पूरे परिवार में आग की तरह फैल गयी थी - अब कोई भी रिश्तेदार या दोस्त यह कहने का मौक़ा नहीं चूकता था कि हमारे बच्चे क्यों नहीं हैं! 'हम कब दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई बनेंगे' -यह सुन-सुनकर हमारे कान पक गए थेI इस सबसे तंग आकर हमने भी एक बच्चे के लिए 'कोशिश' करनी शुरू कर दीI और इस तरह, हमारे 'आनंदित' विवाहित जीवन पर हमने खुद ही नज़र लगा दीI

किसकी गलती

हमारे शनिवार,इतवार या और कोई भी छुट्टी, सब 'सेक्स' को समर्पित हो गए थेI सेक्स में मज़ा भी कम आने लगा थाI आखिर अब हम एक बच्चे के लिए सेक्स करने लगे थे तो कुछ तो अलग होगाI हम हमेशा मेरी अगली उपजाऊ अवधि के बारे में बात करते थेI हमें कैलेंडर पर अब वही तारीख नज़र आती थी जिस पर हमें 'कोशिश' करनी होती थीI अब हम रात को गर्भावस्था से सम्बंधित किताबें पढ़ते और फिल्में देखने लगे थेI

अगले दो साल हमने भरपूर सेक्स किया लेकिन कभी भी मेरे पीरियड आना नहीं बंद हुएI

एक दिन हम इस सबसे इतने थक गए कि हमने एक चिकित्सक से मिलने का फैसला कर लियाI हम जानना चाहते थे कि हममें क्या गलत हैI उसने हमें प्रजनन परीक्षण करने की सलाह दी, जिससे हमें पता चला कि सौरभ के शुक्राणुओं की संख्या कम थी।

हमें यह स्वीकार करने में बहुत समय लगा कि हम में से एक बांझ हैI यह बात अपने अपने माता-पिता के साथ साझा करना तो और भी मुश्किल थाI इसमें सौरभ की कोई गलती नहीं थी क्योंकि उसका इस स्थिति पर कोई नियंत्रण नहीं था लेकिन मुझे पता था कि वो शर्मिन्दा महसूस कर रहा हैI ऐसे समय में मुझे एक बात पर पूरा यकीन थाI सौरभ के प्रति अपने प्यार पर, जो हर गुज़रते दिन के साथ मजबूत हो रहा थाI इस स्थिति में हम दोनों एक दुसरे के साथ थे और इस पर रोने की बजाय हमने इसका हल ढूंढती का फैसला कियाI

जैविक तरीका

अगले कुछ हफ़्ते, इस तनाव के चलते हम ढंग से सो भी नहीं पाएI सौरभ और मैं सेक्स करने के मूड में भी नहीं थेI शायद इसलिए क्यूंकि पिछले दो सालों में हमने एक बच्चे के लिए इतना ज़्यादा सेक्स किया था कि शायद अब हम भूल चुके थे कि बिना किसी मकसद के सेक्स कैसे किया जाता है! लेकिन हम दोनों अभी भी एक दूसरे से लिपटकर सोते थेI कुछ सोच विचार के बाद हमने अन्य विकल्पों का पता लगाने का फैसला किया।

डॉक्टर का कहना था कि अगर हम गोद लेना नहीं चाहते तो आईवीएफ एक विकल्प हो सकता हैI हमने सभी विकल्पों को अपने परिवार के साथ साझा करने का फैसला किया हैI सभी लोग चाहते थे कि हम आईवीएफ के ज़रिये बच्चा करेंI उन्होंने इसके लिए हम पर बहुत दबाव भी डाला लेकिन हम सोच समझ कर निर्णय लेना चाहते थेI

आईवीएफ एक बेहद खर्चीला विकल्प थाI उसके लिए मुझे काम से भी छुट्टी लेनी पड़तीI ना केवल गर्भाधान की प्रक्रिया के दौरान बल्कि उसके बाद भी। समस्या यह नहीं थीI समस्या यह थी कि आईवीएफ का चक्र पूरा होने के बाद भी, कोई गारंटी नहीं थी कि मैं गर्भवती हो ही जाउंगीI यदि यह प्रक्रिया विफल हुई, तो हमें शुरआत से शुरू करना होताI मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इस सबके लिए तैयार भी हूँ या नहीं?

जैसे मेरी कोख से जन्मा हो

आखिरकार मैंने निर्णय ले ही लियाI मैंने गर्भवती होने के लिए लंबे समय तक इंतजार किया था और अब मेरे सब्र का बांध टूट चुका थाI सौरभ भी मेरी इस बात से सहमत थेI हम दोनों में एक और सहमति थी - कि शादी सिर्फ़ बच्चों के बारे में नहीं हैI यह एक साथ जीवन जीने के बारे में है और संतान प्राप्ति के चक्कर में हम यह करना तो लगभग भूल ही गए थेI

बहुत सोचने के बाद, हमने बच्चा गोद लेने का फैसला किया। लेकिन हम कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहते थेI हमने सब कुछ आराम से और सोच समझ कर किया - दस्तावेज पढ़ने से लेकर, विशिष्ट संस्थानों में आवेदन करने तक, काम से छुट्टी लेने से लेकर हमारे नए बच्चे के लिए आई और उसके नए कमरे को तैयार करने तकI इस सब में हमें लगभग 9 महीने लगे और जब हमारा बच्चा हमारे पास आया, तो मुझे लगा जैसे वो मेरी कोख से ही जन्मा हैI

बहुत से लोग बच्चा गोद लेने के लिए तैयार नहीं हो पाते हैंI ऐसे में अक्सर उस बच्चे की जाति, त्वचा का रंग और आनुवांशिक बीमारियों के बारे में प्रश्न खड़े हो जाते हैंI सौरभ और मैं जानते थे कि हमें भी ऐसे ही कई सवालों का सामना करना पड़ेगाI लेकिन इस प्रक्रिया के माध्यम से हमने अपने परिवारों को उनके आने वाले नाती, जो उनका खून नहीं था, के लिए तैयार कर दिया थाI

शारानिया एक स्वस्थ बच्चे के रूप में हमारे पास आयीI हम उसे पाकर बेहद खुद थेI उसके नाना-नानी और दादा-दादी भीI बेहद कम समय में सभी को उससे लगाव हो गया था और वो लोग उसे अपनी गोद में सुलाने के लिए अपनी-अपनी बारी का इंतज़ार करते थेI

नाम बदल दिए गए हैं

तस्वीर में एक मॉडल का इस्तेमाल किया गया है

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लेखक के बारे में: अर्पित छिकारा को पढ़ना, लिखना, चित्रकारी करना और पॉडकास्ट सुनते हुए लंबी सैर करना पसंद है। एस आर एच आर से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखने के अलावा, वह वैकल्पिक शिक्षा क्षेत्र में भी काम करते हैं। उनको इंस्टाग्राम पर भी संपर्क कर सकते हैं।