यह लेख लव मैटर्स के विश्व अभियान #stepIntoOurShoes का हिस्सा है जिसमें हमने अपने सहयोगी WGNRR के साथ मिलकर सुरक्षित और वैध गर्भपात की उपलब्धता को लेकर एक मुहिम की शुरुआत की हैI
- गर्भनिरोधक की विफलता: रिसर्च से पता चला है कि यह बच्चा गिराने के सबसे मुख्य कारणों में से एक है। हर गर्भनिरोधक की एक विफलता दर होती है, तो आप चाहे कितनी भी एहतियात बरत लें, गर्भपात होने की कुछ ना कुछ आशंका हमेशा बनी रहती है। गर्भनिरोधकों कितने प्रभावशाली हैं, यहाँ पढ़े!
- आर्थिक दशा: गुटमेकर संस्थान ने 2005 में एक शोध किया था जिससे पता चला था कि बच्चे के साथ आने वाली आर्थिक ज़िम्मेदारी भी काफ़ी बड़ा कारण है जिसकी वजह से एकल माँएं और युगलों को गर्भपात करवाना पड़ता है।
- वैवाहिक स्थिति और सामाजिक कायदे क़ानून: भारत में मौजूद सामाजिक मानदंडों की वजह से शादी के बाहर होने वाली संतान को भारत के कई हिस्सों में कलंक के रूप में देखा जाता हैI इस कलंक से बचने के लिए, पारिवारिक निष्कासन का डर और शादी करे बिना बच्चे को जन्म देने से कोई ताने ना सुनने पड़े, इसलिए अविवाहित महिलाएं गर्भपात को एक बेहतर विकल्प समझती हैं।
- रिश्तों की परेशानियां: गुटमेकर संस्थान द्वारा किये गए अध्ययन से यह भी पता चला कि अगर उनके साथी के साथ उनका रिश्ता संदिग्ध हो या फ़िर उनका साथी या पति बच्चा ना चाहता हो तो भी महिलाएं अपना बच्चा गिरा देती हैं। गर्भपात के बाद रिश्ते को कैसे मज़बूत बनाएं, इस बारे मस यहाँ और पढ़े।
- कैरिएर और पढाई-लिखाई: कई बार अकेली माओं और युगलों को लगता है कि बच्चे के जन्म के बाद उनके कैरियर के विकास और पढाई लिखाई में खलल पड़ेगा। इसलिए वो गर्भपात चुनते हैं।
अगर आप मानते हैं कि सुरक्षित और वैद्य गर्भपात सेवाएं सबके लिए आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए तो इस विडियो को देखें और साझा करें!
- परिवार का विस्तार नहीं चाहते हैं: कुछ महिलाएं इसलिए भी गर्भपात का विकल्प चुनती हैं क्योंकि उनके पहले से संतान होती हैं और वो और बच्चे नहीं चाहतीI यू. के. के स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई एक रिसर्च के अनुसार यह सोच बड़ी उम्र की महिलाओं में ज़्यादा प्रचलित हैI
- मेडिकल परिस्थितियां: एक और रिसर्च के अनुसार अगर गर्भावस्था के दौरान हुए परीक्षणों में यह पता चले कि भ्रूण में कुछ अनुवांशिकी त्रुटियां या जन्म के समय कुछ दोष हो सकते हैं तो भी लोग गर्भपात करवाना ही बेहतर समझते हैंI खासकर तब अगर इसका पता गर्भावस्था की शुरुआत में ही चल जाए तोI इसके अलावा जिन महिलाओं को गंभीर स्वास्थ्य बीमारियां हो, उन्हें भी गर्भपात की सलाह दी जाती है जिससे उनके या बच्चे के स्वास्थ्य को कोई ख़तरा नया पहुंचेI अगर महिला ने पूर्व में नशे या ड्रग्स की वजह से किसी प्रकार का उत्पीड़न झेला है तो अपने होने वाले बच्चे को इसके बुरे असर से बचाने के लिए वो गर्भपात का विकल्प चुन लेती हैंI यहाँ यह समझना ज़रूरी है कि असुरसक्षित स्थानों में या असुरसक्षित तरीकों से किये गए गर्भपात से मेडिकल जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, और जान जाने का खतरा भी हो सकता हैI
- उम्र: एक अध्ययन से यह भी पता चला है कि भारत में अधिकतर गर्भपात 20 साल से कम उम्र की लड़कियों के द्वारा करवाये जाते हैंI कई बार बहुत कम या फ़िर बहुत ज़्यादा उम्र की महिलाएं सिर्फ़ इसलिए गर्भपात करवा लेती हैं क्योंकि वो बच्चे के जन्म के बाद होने वाले सामाजिक, मेडिकल और आर्थिक बदलावों के लिए खुद को अक्षम महसूस करती हैंI
- कौटुम्बिक व्यभिचार और दुर्व्यवहार: बलात्कार या व्यभिचारी यौन कृत्यों की शिकार महिलाएं भी गर्भपात चुनती हैं। हालांकि, भारत में, अगर आप को गर्भवती हुए 20 सप्ताह गुज़र चुके हैं तो बच्चा गिराना गैरकानूनी समझा जाता हैI लेकिन अतीत में ऐसा भी हुआ है कि जिन महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ हो और उनकी गर्भावस्था को 20 हफ़्तें गुज़र चुके हों तो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें विशेष परिस्थितियों में गर्भपात की अनुमति दी हैI गर्भावस्था के मेडिकल टर्मिनेशन की धारा 5 (एमटीपी) में कहा गया है कि 20 सप्ताह के बाद गर्भपात की स्वीकृति तभी दी जाएगी जब भ्रूण में असामान्यताएं हों या गर्भावस्था से महिला के स्वास्थ्य पर खराब असर हो रहा होI दुर्भाग्य से, भारत में एमटीपी एक्ट केवल विवाहित महिलाओं के लिए ही बना हैI
- कन्या भ्रूण ह्त्या: अफसोस की बात यह है कि कुछ मामले ऐसे भी सामने आये जहाँ अगर परीक्षण के बाद पता चला कि कोख में पल रहा बच्चा एक लड़की है तो औरत को उसके तत्काल परिवारजन या पार्टनर गर्भपात करवाने के लिए मजबूर करते हैंI इसे कन्या भ्रूण ह्त्या के नाम से भी जाना जता हैI भारत में कन्या भ्रूण हत्या को नियंत्रित करने के लिए जन्म से पूर्व बच्चे एक भ्रूण के लिंग निर्धारण को गैर कानूनी करार किया जा चूका है।दुनिया भर में लिंग जानकर गर्भपात करवाने के बारे में और जानेंI
गर्भपात का निर्णय लेना किसी भी महिला के लिए बेहद निजी और मज़बूत फैसला होता हैI इस प्रक्रिया के दौरान उसकी हर संभव सहायता करें जिससे वो जल्द से जल्द इससे और भी मज़बूती से उबर कर आयेI
स्त्रोत: रीज़न्स व्हाई वोमेन हैव इंडुस्ड अबॉर्शन्स: एविडेंस फ्रॉम 27 कन्ट्रीज बय गटमकर इंस्टिट्यूटI
यह लेख पहली बार 2 अक्टूबर 2016 को प्रकाशित हुआ था।
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