रतन 28 साल का है और एक बैंक में कार्यरत है.
नया अनुभव
अजिता (मेरी गर्लफ्रेंड)और मैं दोनों ही छोटे शेहरो से अपने कैरियर बनाने के बड़े सपने लेकर आये थे। सबसे अच्छी बात यह थी कि हमारा एक कमरे का छोटा सा घर हमारे ऑफिस के नज़दीक था। उस वजह से हम दोनों एक दूसरे को काफ़ी समय दे पाते थे और अपने-अपने कामों में व्यस्त होने के बावजूद एक दूसरे के प्यार में कोई कमी नहीं आने देते थे।
हम दोनों को साथ रहते हुए एक साल हो गया था जब हमें पता चला कि अजिता को गर्भ धारण हुए ग्यारह हफ्ते गुज़र चुके हैं। जब उसका प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आया तो मानो हमारी दुनिया ही बदल गयी।
दुर्भाग्यवश हम दोनों उस समय एक बच्चे की ज़िम्मेदारी लेने को तैयार नहीं थे और यह बात अपने माँ-बाप को बताने के बारे में तो सोच भी नहीं सकते थे।
सोची समझी प्लानिंग
बिना शादी के एक बच्चे को जन्म देने को हमारे समाज में किसी कलंक से कम नहीं समझा जाता और इस बात से हम दोनों ही अनभिज्ञ नहीं थे। सोच विचार के बाद हम दोनों ने मिलकर यह फैसला लिया कि हमें एबॉर्शन का ही सहारा लेना पड़ेगा।
क्योंकि यह बात ज़्यादा लोगों को नहीं बता सकते थे तो मैंने इंटरनेट पर उन क्लीनिक्स के बारें में जानकारी जुटाई जहाँ पर सुरक्षित तरीक़ों से और बिना किसी परेशानी के गर्भपात किया जाता था। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने एक क्लिनिक का चुनाव किया और उनसे मिलने का समय ले लिया।
क्लिनिक में हमने झूठ बोल दिया कि हम शादीशुदा हैं लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि डॉक्टर को इस बात में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं थीI उन्होंने शल्य गर्भपात किया और उस पूरी प्रक्रिया में मात्र 10 मिनट का समय लगाI इससे पहले कि हम कुछ सोच पाते हम फ्री हो गए थे और डॉ अजिता के लिए दवाइयाँ लिख रहीं थीI
यह लेख पहली बार 12 अक्टूबर 2015 को प्रकाशित हुआ था।
यह लेख लव मैटर्स के उस अभियान का हिस्सा है जो कि गर्भपात से जुडी गलत धारणाओं को अंत करने के बारे में हैI #BustTheMyths अभियान 28th September WGNRR के साथ चलेगाI