हालाँकि दोनों के देखने में फर्क है: पुरुष जब महिलाओं को देखते हैं तो अक्सर उनके शरीर कि बनावट के अनुसार मन ही मन आंकलन करते हैं उनके आकर्षण स्तर का।
पुरुष कई सभ्यताओं में महिलाओं के शरीर को ताकने के लिए बदनाम हैं। लेकिन जो बात सामने आती है वो ये है कि जब बात महिलाओं के चेहरे से ज़यादा शरीर को घूरने कि आती है तो महिलाओं और पुरुषों में अधिक फर्क नहीं है।
एक अध्यन के अनुसार जब किसी महिला पर ध्यान देने कि बात आती है तो महिला और पुरुष दोनों ही अपनी निगाहें चेहरे से हटाकर उनके शरीर पर केंद्रित कर देते हैं, स्तन पर, उभारों पर और आकर्षण स्तर पर।
वस्तु होने का नजरिया
हालाँकि अधिकतर महिलाएं वस्तु कि तरह महसूस कराये जाने के एहसास से बखूबी वाकिफ़ हैं, एक महिला या पुरुष के द्वारा घूरे जाने पर महसूस होने वाले भाव के बारे में एक वैज्ञानिक रिसर्च भी है।
तो शोधकर्ताओं ने इस 'वस्तु कि तरह ताकने' कि नज़र के बारे में और जानने कि मुहीम छेड़ी, जब कोई महिला या पुरुष दूसरी महिला के शरीर को सेक्स के नज़रिये से ताकता है।
भटकती निगाहें
उन्होंने यूनिवर्सिटी के 65 स्टूडेंट्स को महिलाओं को तसवीरें दिखायी, कुछ तस्वीरों को फोटोशॉप कि मदद से बदला गया था। जैसे कि कुछ तस्वीरों में महिला के स्तन या नितम्बों को कंप्यूटर कि मदद से और आकर्षक बनाया गया था। जब ये स्टूडेंट्स तस्वीर देख रहे थे तो उनकी आँखों के भटकाव का समय नोट किया गया ये जानने के लिए कि वो चेहरे और शरीर पर कितनी देर अपनी आँखें टिकाते हैं।
यह रिसर्च अमेरिका में कि गयी और रिसर्चकर्ता यह कहते हुए सावधान थे कि महिलाओं का वस्तुकरण एक सांस्कृतिक मुद्दा भी है। ये होता है या नहीं, अगर होता है तो किस स्तर पर होता है, ये निष्कर्ष निकलने के लिए दुसरे देशों और संस्कृतियों का भी विस्तार से अध्ययन करना आवश्यक है।
राय बनाना
महिला का चेहरा भी समग्र रूप से नज़रअंदाज़ नहीं किया गया, रिसर्च से ज्ञात होता है। लोग एक दुसरे कि आँखों में देखते हैं, होठ, नाक और बाल देखकर जानकारी अर्जित करते हैं कि जिसकी और वो देख रहे हैं वो महिला है या पुरुष, अच्छे मूड में है या दुखी, और कितने स्वस्थ हैं।
लेकिन जब महिला कि बात आती है, तो ये अद्भुत बात सामने आती है कि चेहरे कि और देखते हुए बिताये जाने वाला समय कम हो जाता है।
महिला दूसरी महिलाओं कि और शायद शारीरिक प्रतिस्पर्धा कि वजह से देखती हैं, शोधकर्ताओं ने अंदाज़ा लगाया। लेकिन पुरुष अक्सर महिलाओं के शरीर का आंकलन करके उनके आकर्षण स्तर पर धरना बना लेते हैं, जो शायद महिलाएं नहीं करती। और शायद समस्या यही "निर्णय' है। रिसर्च के अनुसार महिला का वस्तुकरण उनके पक्ष में काम नहीं करता। उदाहरण के तौर पर, उन्हें कम बुद्धिमान या प्रतिकूल मान लिया जा सकता है।
यह सम्भव है कि एक महिला ये महसूस करे कि उसके बारे में उसके शरीर को लेकर धारणा बनायीं जा रही है नाकि उसकी काबलियत को लेकर, और अमरीकी शोध के अनुसार ये सोच महिलाओं के कार्य क्षमता पर नकारात्मक असर डालने में सम्भव है।
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