फिल्म थप्पड़ ऐसे कई घरों की अंदरूनी सच्चाई उजागर करती है जहां पुरुषों को सब कुछ करने की छूट होती है, यहां तक कि शारीरिक शोषण भी, लेकिन इसके बावज़ूद भी उनके ऊपर कोई उंगली नहीं उठा पाता। यह मूवी समाज के हर वर्ग की परतें खोलती है। लव मैटर्स घरेलू हिंसा का कड़ा विरोध करता है और ‘थप्पड़’ के जरिए ऐसे मुद्दों को सामने लाना एक सराहनीय कदम मानता है।
अमृता (तापसी पन्नू) और विक्रम सभरवाल (पावैल गुलाटी) पति-पत्नी हैं और खुशहाल जीवन जीते हैं।
विक्रम एक कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत है जबकि अमृता एक मझी हुई क्लासिकल डांसर है जिन्होंने अपनी मर्ज़ी से हाउस वाइफ बनना चुना है। उसकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी डायबिटीज से पीड़ित अपनी सास की सेवा करने और पति का ख़याल रखने के इर्द-गिर्द ही घूमती है।
किसी वज़ह से विक्रम को लंदन में उसकी ड्रीम जॉब नहीं मिल पाती है वह इसका गुस्सा अपने घर की एक पार्टी में अमृता को थप्पड़ जड़ कर निकालता है। वहां मौजूद सभी लोग इस थप्पड़ से आहत होते हैं। जैसा कि सभी भारतीय घरों में होता है वैसे ही अमृता की सास और उसकी मां दोनों मिलकर उसे समझाती हैं कि ‘मियां बीवी में ऐसा कभी-कभी हो जाता है’।
विक्रम के माफ़ी मांगने के उथले तौर-तरीकेनिभाता है और इसी कोशिश में वह अमृता के लिए हीरे की एक ब्रेसलेट खरीदता है और उसे डिनर के लिए बाहर ले जाता है लेकिन अमृता को इन सबसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है।
अमृता अपने मम्मी पापा के घर आ जाती है। वहां उसका भाई करन (अंकुर राठी) और मां संध्या (रत्ना पाठक शाह) उसे विक्रम से समझौता करने के लिए समझाते हैं। लेकिन उसे अपने पिता जयंत (कुमुद मिश्रा) और करन की गर्लफ्रेंड स्वाति (नालिया ग्रेवाल) अमृता को सपोर्ट करते हैं। लव मैटर्स को पिता और बेटी के बीच का यह अटूट प्यार और ज़रूरत के समय पूरी ताकत से साथ खड़े रहने वाली बात बहुत अच्छी लगी।
अमृता को लगता है कि वह विक्रम के साथ अब और नहीं रह पाएगी। फिर वह तलाक का केस लड़ने के लिए एक वकील नेथ्रा (माया सराव) हायर करती है। नेथ्रा अमृता को समझाती है कि कानूनी दांव पेंच से बात और बिगड़ सकती है और उसे ताज्जुब होता है कि सिर्फ एक ‘थप्पड़’ के लिए वो तलाक लेना चाह रही है। अमृता का जवाब- “उसने मुझे मारा पहली बार, नहीं मार सकता,” लव मैटर्स की और से ज़ोरदार तालियों का हकदार है।
अंत में अमृता विक्रम को लताड़ती है और उससे अदालत में मिलने के लिए कहती है। विक्रम अमृता पर कई झूठे आरोप लगाता है लेकिन वह उसका सामना करने के लिए तैयार है। इस बात पर एक लव मैटर्स सीटी तो बनती है जी। अंत में अमृता बिना कोई और बखेड़ा खड़ा किए तलाक ले लेती है।
अब बात करते हैं LM lens की ...कि हमें कौन सी एक चीज़ अच्छी लगी और कौन सी चीज़ ख़राब :
सभरवाल निवास में काम करनी वाली सुनीता जब काम पर देर से आती है और अमृता को बिना पलकें झपकाए यह बताती है कि रोज़ की तरह उसके पति ने आज भी उसकी पिटाई की। लव मैटर्स ऐसी चीजों से नफ़रत करता है। वास्तविक दुनिया में घरेलू हिंसा कितनी भयावह है जबकि कई लोगों को यह नॉर्मल लगने लगा है… उदहारण के तौर पर विक्रम का एक कलीग कमेंट करता है कि सच्चे प्यार में थोड़ी-बहुत मार-पीट तो चलती रहती है। यह सुनकर आप परेशान हो सकते हैं लेकिन यह लोगों की सच्ची मानसिकता को प्रकट करता है जिस पर गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है।
फिल्म के अंत में अमृता कहती है कि शादी के बाद उसने अपने सपनों को ताक पर रख दिया। उसकी मम्मी ने यही सिखाया था। इसके लिए वह खुद को दोषी मानती है लेकिन अंततः वह आत्म-सम्मान और खुशी पाना चाहती है। अमृता के इन शब्दों के लिए 3 बड़ा Love Matters hearts.
परिवार के सभी सदस्यों के दिल पर यह बात लगती है और सभी अपने तरीके से अमृता से माफी मांगते हैं। अंत में विक्रम को एहसास होता है कि वह ग़लत था और अमृता से माफी मांगते हुए वह कहता है- अम्मु, अब मैं तुम्हारा प्यार कमाना चाहता हूं, इस डॉयलॉग में हम सभी को भविष्य के लिए आशा की एक किरण नजर आती है, भले ही उन दोनों का तलाक हो जाता है।
रेटिंग्स: थप्पड़ को सिर्फ़ hearts मिलते हैं और सभी 3 hearts घरेलू हिंसा और मैरिड लाइफ के संवदेनशील चित्रण के लिए जो ज़्यादातर पति की मर्जी से तय होता है। थप्पड़ का मैसेज क्लियर है- ‘एक भी ‘थप्पड़’- नहीं मार सकते!’
लव मैटर्स मूवी रिव्यू में, फिल्मों में इस बात का एनालिसिस किया जाता है कि उन्होंने लव, सेक्स और रिलेशनशिप को कैसे दर्शाया है। जिस फिल्म में LM-style रोमांस होता है उसे LM Hearts दिया जाता है। और जिस फिल्म में कंसेंट, जजमेंट और अधिकारों नजरअंदाज किया जाता है उसे हम LM Monster देते हैं।
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