लोग अधिकतर ये अंदाज़ा लगाते है की पुरुषों के लिए चरम आनंद होने का नाटक करना नामुमकिन होता है क्यूंकि इसका मतलब है लिंग का स्खलित होने का भी नाटक करना।
पुरुषों को अपने ये रहस्य बताने को कहा कंसास विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिको ने। ७८ प्रतिशत पुरुषों ने कहा की उन्होंने चरम आनंद होने का नाटक किया है।
तेज़ ओर पूरी ताकत से...
पुरुषों का कहना, लेकिन महिलाओं से कम, जब वो चरम आनंद का नाटक करते है। उन्होंने सहारा लिया शरीर की कुछ हरकतों का जैसे की तेज़ी और पूरी ताकत और अपनी मासपेशियों को जकड़ना जैसे की चरम आनंद होने ही वाला हो। कुछ और पुरुषों ने थकावट का दिखावा किया। और कुछ पुरुषों ने अपने साथी को कहा "बस होने वाला है, होने वाला है!"
नाट्य प्रदर्शन
शायद यह विश्वसनीय लगने वाली बात लगे की पुरुष भी चरम आनंद का नाटक कर सकते है, लेकिन क्या वह लिंग का स्खलित होने का भी नाटक कर सकते है? हर एक तरह से ये बहुत मुश्किल लगता है। तो एक पुरुष होने के नाते, आपको कुछ और रस्ता निकालना पड़ता है जैसे की कंडोम में स्खलित होने का दिखावा।
"मैं कराहाया और फिर ऐसा नाटक किया जैसे की मेरे लिंग का स्खलित हो गया। फिर मैंने जल्दी से अपना कंडोम उतार दिया ताकि वो उसे देख ना ले," ऐसा एक पुरुष ने बताया।
वो अकेला नहीं है। १६ प्रतिशत पुरुषों ने इस कंसास शोध में बताया की उन्होंने इस्तेमाल किया कुछ ऐसी चीज़ों का - जल्दी से कंडोम को हटाने का, फेकने का या कंडोम को छिपाने का ताकि उनके स्खलित ना होने का सच सामने ना आ जाये।
एक महत्व कारण जिस वजह से पुरुष ये नाट्य प्रदर्शन करते हैं, वो यह की ज्यादा पीने के बाद ये लगता है की वो चरम नहीं पहुच पाएंगे, या शायद बहुत समय लगेगा, या शायद उस दिन उनका स्खलित हो चूका है। कुछ और कारण जो पुरुषों ने बताये वो यह थे की सेक्स की वो क्रिया ख़तम करना चाहते थे क्यूंकि थक चुके थे, और क्यूंकि वो अपने साथी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुचाना चाहते थे।
सेक्स= समागम=चरम आनंद
पुरुष और महिलाएं दोनों ही चरम आनंद का नाटक करते हैं समागन के दौरान। ढोंगियों का सेक्स की ओर नज़रिया दृढ़ होता है, ऐसा इस शोध के शोधकर्ताओं का मानना है। उनके लिए सेक्स का मतलब है समागम, ओर ये भी की समागम का अंत होता है हमेशा ही चरम आनंद के साथ। ओर इसी वजह से वो कामोन्माद की चरम स्थिति तक पहुचने के दबाव में रहते है।
ओर कुछ लोगों का मानना है की सेक्स एक तय किये हुए आलेख के हिसाब से ही होता है: 'पहले लड़की को चरम आनंद होगा, फिर लड़के को, ओर उसके बाद सेक्स ख़तम'। इसी वजह से महिलाओं का सोचना है की उन्हें चरम आनंद का नाटक करना पड़ता है ताकि उनके साथी चरम आनंद प्राप्त कर सके। कुछ २० प्रतिशत महिलाओं ने कहा की उन्होंने चरम आनंद का नाटक इसी वजह से किया। और तो और कुछ महिलाओं ने तो चरम आनंद का असली मौका ही गवा दिया ये नाटक सही से करने के चक्कर में।
अंत में, शोधकर्ताओं का मानना है की महिला और पुरुष दोनों ही दबाव महसूस करते हैं काम-आनंद का नाटक करने का ताकि उनके साथी खुश हो। यही रूढ़ोक्ति सेक्स की सोच लोगों को ये चरम आनंद का नाटक करने को मजबूर करती है बजाये इसके की दोनों साथ मिलकर असली मज़ा पाने की ओर काम करे।
फोटो: फ्ल्लिकर/ ग्रेग ओ' कोन्नेल्ल