लड़की का ‘पानी निकल गया’ का असली मतलब क्या है?

लड़की का ‘पानी निकल गया’ का असली मतलब क्या है?

आपने कई बार सुना होगा कि ‘लड़की का पानी निकल गया’ लेकिन क्या आप इसका असली मतलब जानते हैं, जो बहुत सरल हो सकता है। आमतौर पर इसे स्क्वर्टिंग कहा जाता है। हालांकि ये शब्द चलन में नहीं है लेकिन ‘पानी निकल गया’ से अधिकांश लोग इसे समझ सकते हैं।

कई लोगों को ये लगता है कि स्क्वर्टिंग करने वाली महिलाएं ही “असली” ऑर्गेज़्म तक पहुंचती हैं और जो महिलाएं स्क्वर्ट नहीं करतीं हैं, उनमें कुछ कमी है मगर ये बिल्कुल गलत धारणा है। हर महिला का शरीर अलग होता है। कुछ महिलाएं स्क्वर्ट होती है और कुछ नहीं होतीं। इसका मतलब ये नहीं कि जिसका स्क्वर्ट नहीं होता, उसका ऑर्गेज़्म अधूरा है। असल में स्क्वर्टिंग ऑर्गैज़्म का पैमाना नहीं है।

दूसरी तरफ फीमेल इजैकुलेशन (जो दूध जैसा सफेद द्रव है) अक्सर इतना कम मात्रा में होता है कि कई महिलाओं को खुद भी एहसास नहीं होता कि उनके शरीर में ये होता है। स्कीन ग्लैंड्स से निकलने वाला ये द्रव शरीर के अंदर ही रह सकता है या थोड़ा सा बाहर आ सकता है।

शरीर करता है प्रतिक्रिया

पुरुषों की तरह महिलाओं में भी सेक्सुअल एक्साइटमेंट के समय शरीर अलग-अलग तरीकों से प्रतिक्रिया देता है। स्क्वर्टिंग एक तरह का फिजिकल रिएक्शन है। जैसे- किसी का हंसते-हंसते रो देना या छींक आ जाना। इसे कोई लड़की जान-बूझकर कंट्रोल नहीं कर सकती और ना ही इसे कोई शर्म की बात समझना चाहिए।

कुछ एक्सपर्ट्स ये भी मानते हैं कि सही गाइडेंस और प्रैक्टिस के साथ लगभग हर महिला स्क्वर्ट कर सकती है। इसके लिए जरूरी है कि वो खुद के शरीर को अच्छे से समझे और अपने पार्टनर के साथ अपने शरीर और अपनी चाहत को लेकर बात करे। धीरे-धीरे G-spot पर सही प्रेशर, छूने और एक्साइटमेंट के साथ स्क्वर्टिंग ट्रिगर हो सकती है। ये जानना भी जरूरी है कि हर बार स्क्वर्टिंग लिंग के अंदर जाने से नहीं होता बल्कि केवल छूने से भी हो सकता है। बशर्ते, ये ध्यान रखना जरूरी है कि आपका साथी आपकी भावनाओं को अच्छे से समझता हो।

अभी शोध चल रही है

वैज्ञानिकों का कहना है कि स्क्वर्टिंग पर अभी भी बहुत रिसर्च की जरूरत है क्योंकि हर महिला का अनुभव अलग होता है इसलिए इसके साइंटिफिक फैक्ट्स को एकदम फाइनल नहीं कहा जा सकता, लेकिन एक बात तो तय है कि स्क्वर्टिंग एक नेचुरल और हेल्दी फिजिकल प्रोसेस है, जिसे छुपाने या शर्माने की जरूरत नहीं है।

अब जब ये राज़ खुल चुका है कि स्क्वर्टिंग पेशाब जैसी जरूर लगती है, मगर वो एक नेचुरल ऑर्गेज़्मिक रिएक्शन है। सेक्स एजुकेशन द्वारा बातचीत ही इस तरह के मिथकों को तोड़ सकती है। साथ ही ये समझना भी जरूरी है कि हर महिला को स्क्वर्टिंग नहीं होता इसलिए ये ना समझे कि आपका ऑर्गेज्म नहीं हुआ है। 

 

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