25 वर्षीय छवि एक असिस्टेंट हैं और पटना के रहने वाली हैंI
टिंडर का प्यार
हर रात सोने से पहले मैं एक बार टिंडर ज़रूर देख लेती हूँI चूंकि मैं सिंगल हूँ तो नए लोगों से मिलने के लिए टिंडर मुझे अच्छा लगता विकल्प हैI हम दोनों का टिंडर पर मिलना मुझे बहुत अच्छे से याद हैI मुझे दाढी वाले लड़के बेहद पसंद हैं और इसकी फ़ोटो देखते ही मुझे यह भा गया थाI जैसे ही मैंने दायीं ओर स्वाइप किया हम दोनों दोस्त बन चुके थेI फेसबुक पर उसकी प्रोफाइल देखकर मुझे ऐसा लगा था कि यह लड़का समझदार भी हैI
मेरा सन्देश मिलते ही तपाक से उसका जवाब भी गया थाI थोड़ी देर में हम टिंडर से फेसबुक और फिर व्हाट्सएप्प पर बातें कर रहे थेI हमारी गाड़ी ने रफ़्तार पकड़ ली थी और अब हमारी रोज़ फ़ोन पर बात होने लगी थीI मुझे एहसास हो रहा था कि मैं उससे प्यार करने लगी हूँI शायद यही कारण था कि जब उसने मुझसे पूछा कि क्या हम दोनों एक दुसरे को डेट कर सकते हैं तो मैं ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थीI वो मज़ाकिया था, हंसमुख था, सादगी तो उसमे कूट कूट कर भरी हुई थी और मुझे उसमे किसी भी प्रकार का छल भी नहीं नज़र आया था- मतलब उसमे वो सब कुछ था जो मुझे एक बॉयफ्रेंड में चाहिए थाI
पहली मुलाक़ात
करीब एक महीना फ़ोन पर बात करने के बाद हमने मिलने का फैसला कियाI मेरे अंदर उसे देखने का एक अजीब सा उत्साह थाI जब हम मिले तो उसका विनम्र और विनोदी स्वभाव मुझे उसकी सबसे अच्छी बात लगी थीI हमारी बातचीत हमारी नौकरियों, परिवारों और हमारे बचपन से शुरू हुई थी लेकिन एक ड्रिंक के बाद ही बातों का सिलसिला सेक्स और यौन कल्पनाओं की ओर बढ़ चला थाI किसी का सेक्स के बारे में इतना खुलकर बात करना मुझे बड़ा दिलचस्प लगा था क्योंकि मेरे ज़्यादातर दोस्त ऐसे बात नहीं करते थेI
हमने उस दिन बहुत सारी बातों पर चर्चा कीI अपनी पसंदीदा किताबों और फिल्मों से लेकर पसंदीदा सेक्स मुद्रा तकI हमारे विचार और पसंद आमतौर पर एक दूसरे से मेल नहीं खा रहे थे लेकिन एक पल आया जब हमारी पसंद मेल खा गयी - वो पल था अंग्रेजी फिल्म 'फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे' के बारे में चर्चा काI
डर से सामना
हम दोनों इस बात से सहमत थे कि हमारे कई दोस्त सामान्य यौन कल्पनाओं और सेक्स के दौरान सनकपन के बीच का अंतर नहीं समझ पाए थेI दुर्भाग्यवश इस फ़िल्म ने भी बहुत सी गलत धारणाओं को मान्यता दे दी थीI उसने मुझसे पूछा था कि क्या कभी मैं सेक्स के दौरान बी.डी.एस.एम के किसी प्रकार का प्रयोग करना चाहूंगी? काफ़ी सोचने के बाद मेरा जवाब था,"हाँ शायद, किसी दिनI"
मुझे उसके साथ बहुत अच्छा लग रहा था और अगली बार फ़िर मिलने का वादा कर मैं घर आ गईI तीसरी बार हम दोनों उसके घर पर मिले और चैस के खेल और वाइन की चुस्कियों के साथ बातों का सिलसिला आगे बढ़ने की कोशिश कीI बातें शायद कुछ ज़्यादा ही दिलचस्प और 'गर्म' हो गयी थी क्योंकि कुछ ही मिनट बाद हम एक दूसरे को चुम्बन कर रहे थेI उसने मुझे अपनी ओर ज़ोर से खींचा और मेरी गर्दन पर काटना शुरू कर दियाI
मुझे फोरप्ले अच्छा लग रहा था कि अचानक उसने मुझे बेतहाशा चूमना और मेरे होठों को काटना शरू कर दियाI उसने कुझे कसकर जकड़ लिया था और मुझ पर टूट पड़ा थाI शुरू शुरू में तो मुझे अच्छा लग रहा था लेकिन उसके बाद हर सेकंड दर्द बढ़ने लगा थाI मेरी घबराहट बढ़ रही थी और मेरा सब्र का बांध भी टूटने लगा थाI
तुमने ही तो कहा था!
मुझे ऐसा लग रहा था कि जितना मैं दर्द से कराह रही हूँ उतना ही इसे और मज़ा आ रहा हैI मेरे लिए पूरा वातावरण असहज हो चुका था और जब मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने उसे रुकने को कहाI शायद मेरी दबी आवाज़ उसके कानो तक नहीं पहुँची तो मुझे ज़ोर से चिल्लाकर उसे पीछे धकेलना पड़ाI वो रुक तो गया लेकिन उसने मुझे ऐसे देखा जैसे मैंने कुछ गलत कर दियाI
मैंने मन बना लिया था कि यहाँ एक पल भी नहीं रुकूँगी और जल्दी से अपना सामान समेटना शुरू कर दिया थाI जब मैं कपड़े पहन रही थी तो उसकी आवाज़ आयी, "लेकिन तुमने ही तो कहा था कि तुम्हे यह पसंद है और तुम यह करना चाहती होI" मैंने साफ़ मना करते हुए कहा कि हमने सिर्फ़ उस पर चर्चा की थीI मुझे मेरी गलती का एहसास हो चुका था, शायद हमारी चर्चा को उसने मेरी सहमति मान लिया थाI
सावधाणी हटी, दुर्घटना घटी
टैक्सी में घर जाते हुए मुझे रह रह कर बीते पल याद आ रहे थेI मैं यह सोचकर काँप रही थी कि मेरा अनुभव कितना डरवाना और असुरक्षित थाI आप बिना सोचे समझे किसी के भी साथ सेक्स नहीं कर सकतेI फ़िर चाहे आप महिला हो या पुरुष, यह दोनों ही के लिए जोखिम भरा हो सकता है, यह बात मुझे अब समझ आयी थीI मुझे लगता है कि हमारी समस्या थी बी.डी.एस.एम. पर अपने विचार साफ़-साफ़ व्यक्त ना कर पानाI मैंने सिर्फ एक बार बी.डी.एस.एम. की कोशिश करने की अपनी इच्छा व्यक्त की थी। इसका मतलब यह नहीं था कि मैं इसके लिए तैयार थी। काश मैंने इसे और स्पष्ट तरीके से कहा होता तो हमारी रात शायद काफ़ी बेहतर होतीI
जब मैं घर पहुँची तो मुझे अपनी नादानी पर गुस्सा आ रहा थाI मुझे यह भी एहसास हुआ कि तीन मुलाक़ातों के बाद ही उसने मुझसे ज़बरदस्ती करने की कोशिश कर डाली थीI वो तो भगवान् का शुक्र है कि मेरी बात मान कर वो रुक गया नहीं तो जाने क्या हो जाता? अगर वो गुस्से में पागल हो जाता तो? यह सोच कर ही मेरी रूह काँप रही थीI उस दिन से मैंने निर्णय कर लिया था कि अब जब भी किसी लड़के से मिलूंगी तो सब साफ़-साफ़ बता दूंगी और उससे भी पूछ लूंगीI
तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं। यह लेख पहली बार 3 मार्च, 2017 को प्रकाशित हुआ था।
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