यह लेख हमारे '2016 के संपादकोंकी पसंद' शृंखला का अंश है। यह 28 सितंबर 2016 को पहली पर प्रकाशित किया गया था।
ये भारतीय एक सामाजिक प्रयोग का हिस्सा हैं। उन्हें केवल इतना पता है कि उन्हें एक भारतीय महिला द्वारा लिखा हुआ एक पत्र पढ़ना है। और पत्र के अंत में इस महिला ने उनसे एक सवाल पूछा है।
प्यारे पाठकों,
आज मैं आप लोगों को अपनी कहानी के बारे में कुछ बताना चाहती हूँI आमतौर पर लोग इस बारे में बात नहीं करते लेकिन मुझे लगता है कि यह ज़रूरी हैI मैं 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा थी और दो साल से एक रिश्ते में थीI हमारा रिश्ता उतार-चढ़ावों से भरपूर थाI उसमे दिक्कतें थी लेकिन प्यार की भी कोई कमी नहीं थीI
हमने हाल ही में सेक्स करना शुरू किया थाI हम खुश थे कि प्यार के इस सफ़र में हम एक दूसरे के साथ हैंI यह हमारे रिश्ते के लिए एक नया कदम थाI हम हमेशा सावधानी बरतते थेI हमने कभी भी कंडोम के बिना सेक्स नहीं कियाI
इसके बावजूद एक दिन, मुझे पता चला कि मैं गर्भवती हूँI मेरा बॉयफ्रेंड काम के सिलसिले में दो हफ़्तों के लिए शहर से बाहर गया हुआ थाI मैंने फ़ोन पर उससे बात की और हम दोनों यह समझते थे कि हम अभी एक बच्चे की ज़िम्मेदारी नहीं संभाल सकतेI उसकी कोई पक्की नौकरी नहीं थी और मैं भी कॉलेज में ही थीI ऐसे हालातों में बच्चे को जन्म देने से हमारा भविष्य खराब हो सकता थाI
इस अनचाहे गर्भधारण को आगे बढ़ाने का परिणाम एक अनचाही संतान होताI वो हमारे और बच्चे, दोनों के ही लिए गलत होताI इन हालातों में मेरे पास गर्भपात ही एकमात्र विकल्प थाI
लेकिन मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थीI मैं बेहद परेशान, खोयी-खोयी और उत्तेजित रहती थीIमैं यह बात अपने माता-पिता को नहीं बता सकती थी क्योंकि हमारे देश में सेक्स के बारे में बात करना गलत समझा जाता हैI मैंने अपने करीबी दोस्तों से बात की लेकिन वो भी मेरी ही उम्र के थे और उन्हें इस बारे ज़्यादा कुछ नहीं पता थाI आखिरकार, मैंने अपने से बड़े एक दोस्त से बात की और वो मेरे लिए क्लिनिक ढूंढने और वहां मेरा अभिभावक बनने के लिए तैयार हो गयाI
मुझे अभी भी क्लिनिक में लगाए चक्कर, डॉक्टरों का रूखा रवैया, मुझसे पूछे गए असहज सवाल और सारे टेस्ट खुद ही करवाना अच्छी तरह से याद हैI मैं बिलकुल अकेली थी और मुझे इस बात से नफ़रत हो रही थीI मुझे इस बात से भी नफ़रत हो रही थी कि मुझे यह बात लोगों से छुपानी पड़ रही हैI
काश मैं एक ऐसे समाज का हिस्सा होती जहाँ के लोग खुले विचारों वाले और इन बातों को स्वीकार करने वाले होतेI गर्भपात का दिन आज भी मुझे अच्छे से याद हैI गर्भपात की प्रक्रिया मुश्किल नहीं है, मुश्किल है उससे जुड़े जज़्बातों से निपटनाI मुझे दुःख है कि इतनी कम उम्र में मुझे वो सब झेलना पड़ाI लेकिन मैंने वो सब किया और इस बात का मुझे कोई पछतावा नहीं हैI
मैं आपसे पूछती हूँ, कैसा लगता आपको अगर आप मेरी जगह होते?
आपकी अपनी,
एक भारतीय नारी
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सुरक्षित गर्भपात के इस अंतरराष्ट्रीय दिवस पर अपने सहयोगी WGNRR के साथ आप सबको आमंत्रित करता है उन सभी की ज़िंदगी जीने जीने और समझने का जिन्हें गर्भपात करवाना पड़ा I हमारे विश्व्यापी अभियान का हिस्सा बनें और अगर आप सुरक्षित और वैध गर्भपात का समर्थन करते हैं तो इस विडियो को ज़्यादा से ज़्यादा साझा करेंI
#Sept28 #StepIntoOurShoes
आप क्या करते अगर आप उस लड़की की जगह पर होते? अपने कमैंट्स नीचे लिखकर या फेसबुक के ज़रिये हम तक पहुंच सकते हैंI अगर आपके मन में कोई सवाल हों तो कृपया हमारे हिंदी फोरम चर्चा मंच का हिस्सा बन उसका जवाब भी पा सकते हैंI