पूर्णतावादी लोग अक्सर अपने लिये असंभव मापदंड तय कर लेते हैं और हर चीज़ में उत्तमता चाहते हैं। ऐसा नहीं होने पर वो अपने आप के साथ काफ़ी कठोर भी हो सकते हैं। उन्हें हर वक़्त यह भी चिंता रहती है कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं।
सुन कर कुछ कुछ जाना पहचाना लग रहा है? पूर्णतावाद एक बहुत ही आम लक्षण है और रिसर्च ने दर्शाया है कि यह आपके जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करता है - इसमें कुछ तो बदलाव तो बेहद स्पष्ट नज़र आते हैं जैसे स्कूल और ऑफिस के काम में- और कभी कभी इसका असर निजी साफ़ सफाई पर भी नज़र आता है।
यौनिक पूर्णतावाद
- क्या सेक्स पर भी इसका असर पड़ता है? शोधकर्ताओं ने अभी इस बात को समझना शुरू ही किये है कि पूर्णतावाद का सेक्स पर क्या असर पड़ सकता हैI रिसर्च से पता चला है कि इसके चार प्रकार हैं:
- अपने आप से उम्मीदें - आप सेक्स के दौरान अपने प्रदर्शन के लिए ऊँचे मापदंड तय करते हो।
- अपने साथी से उम्मीदें - आप सेक्स के दौरान अपने साथी के प्रदर्शन के लिए ऊँचे मापदंड़ तय करते हो।
- आपको लगता है कि आपका साथी आपसे अति उत्तम प्रदर्शन की चाह रखता है।
- आपको लगता है कि समाज ने सेक्स के दौरान प्रदर्शन को लेकर ऊँचे मापदंड तय करे हैं।
इच्छा, उत्तेजना, ओर्गास्म
तो इस तरह के यौनिक पूर्णतावाद का महिलाओं पर क्या असर पड़ता है? यह खोजने निकली इंग्लॅण्ड के एक शोधकर्ताओं की एक टीम। उन्होंने इसके लिए 350 महिलाओं को इकठ्ठा किया- कुछ विश्विद्यालय की छात्रा थी तो कुछ बड़ी थी और उन्हें ऑनलाइन नियुक्त किया गया था। शोध के शुरुआत में महिलाओं को एक सर्वे भरने को कहा गया जिसमें उनकें सेक्स जीवन और चारों विभिन्न तरह के यौनिक पूर्णतावाद से जुड़े सवाल थे। शोधकर्ता सेक्स के दौरान आत्मविश्वास से जुडी जानकारी चाहते थे - कि क्या सहभागी सेक्स को लेकर घबराए हुए थे और क्या वो अपने सेक्स जीवन में हो रही समस्याओं को लेकर खुद को दोष देते थे। सर्वे में यौन इच्छा, उत्तेजना और ओर्गास्म से सम्बंधित प्रश्न भी थे।
सर्वोत्कृष्टता का दबाव
जब बात हो यौनिक पूर्णतावाद के महिलाओं पर असर की तो एक प्रकार ऐसा है जो निश्चय ही बाकियों से बदतर है। पार्टनर-निर्धारित उम्मीदें - वो महिलाएं जिन्हें लगता है कि सेक्स के दौरान हर बार उनके साथी को उनसे उत्कृष्ट प्रदर्शन की आशा होती है, इनके सेक्स जीवन में दिक्कतें होने के आसार सबसे अधिक होते हैं।
तो हम किस तरह की दिक्कतों की बात कर रहे हैं? वो महिलायें जिन्हें लगता है कि वो अपने साथी की सेक्स सम्बंधित उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही हैं, वो हमेशा सेक्स को लेकर घबराई हुई रहती हैं और परिणामवश सेक्स को लेकर उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी होती है। इस से कई तरह की शारीरिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं जैसे उत्तेजित ना हो पाना और योनि में चिकनाई की कमी।
सामने आये नतीजों से यह भी पता चला कि जिन महिलाओं को अपने सेक्स के दौरान अपने साथी से सर्वोत्कृष्टता की उम्मीद थी वो उन महिलाओं की तुलना में ज्यादा असंतुष्ट थी जिनकी उम्मीदें अधिक यथार्थवादी थीI
ऐसा क्यूँ था कि इस यौनिक पूर्णतावाद का असर बाकियों की तुलना में ज्यादा नुकसानदायक था? शोधकर्ता अभी तक इस का सही जवाब नहीं ढूंढ पाएं हैं लेकिन वो कहते हैं कि ऐसा संभव है कि जिन महिलाओं को लगता है कि उनके साथी को सेक्स के दौरान हर बार उनसे उत्कृष्टता की उम्मीद रहती है वो अपने अपने प्रदर्शन को लेकर चिंताग्रस्त रहती हैं और अगर सेक्स से पहले आप नर्वस हों या आपको किसी भी बात को लेकर तनाव हो तो उससे आपके उत्तेजित होने में या चरमोत्कर्ष की अवस्था पर पहुँचने में परेशानी हो सकती हैI कम दबाव, बेहतर सेक्स!
यौनिक पूर्णतावाद से बचने के लिए कुछ सुझाव
- पुरुषों को अपने साथी से ऐसी उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए जिससे उन्हें किसी भी प्रकार का कोई भी तनाव हो- अगर आपको लगता है कि वो सेक्स के दौरान आपकी तरह उत्तेजित नहीं हो पाती तो शायद वो आपकी मांगो या उम्मीदों की वजह से तनाव में हैंI अपनी उम्मीदों पर लगाम लगायें जिससे उन्हें सेक्स के दौरान सहज होने में मदद मिलेगी और आपका सेक्स भी बेहतर हो जाएगाI
- अपने पुरुष साथी के आंतरिक बल और लिंग तनाव की तुलना किसी पोर्न स्टार से ना करें- उनकी सफलता और विफलता का आकलन इस बात से ना करें कि उनका स्खलन केवल 5 मिनट में ही हो जाता हैI
- याद रखें कि ओर्गास्म तक पहुंचने के कई तरीके हैं – और कोई भी तरीका सही या गलत नहीं होताI ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जिन्हें सिर्फ़ सम्भोग से ओर्गास्म नहीं हो पाताI
- अपने पार्टनर पर उन चीजों के लिए दबाव ना डालें जिन्हें करने में वो असहज महसूस करते हैं, सिर्फ़ इसलिए कि वो चीज़ें आपको पसंद हैंI
- याद रखें कि पोर्न और रूमानी फिल्मों में दिखाया जाने वाला सेक्स काल्पनिक होता है- ऐसे दृश्य फिल्माए जाते हैं और असल ज़िन्दगी में कोई रिहर्सल नहीं होती और यही सबसे बड़ा फ़र्क़ हैI ज़रूरी नहीं कि हर वो चीज़ जो परदे पर अच्छी लगती है वो आप दोनों की ज़िन्दगी में भी अच्छी लगेI
- हर बार एक जैसे कामुक अनुभव की उम्मीद ना रखें- आपको नहीं लगता कि अगर हर बार एक ही स्क्रिप्ट होगी तो सेक्स जीवन बहुत बोरिंग हो जाएगा? अगर आप चाहते हैं कि सेक्स में रोमांच बना रहें तो नयी-नयी चीज़ें आजमाते रहें- और नएपन में यह जोखिम तो हमेशा रहेगा कि शायद वो हर बार उत्कृष्ट नहीं होगाI
- किसी भी किस्म का नाटक ना करें- अगर आप चरमोत्कर्ष ना होने पर भी यह दिखायेंगे कि आपको ओर्गास्म हो रहा है और अत्यंत आनंद की प्राप्ति हो रही है तो उससे आपके साथी के लिए आपको सच में खुश करना और मुश्किल हो जाएगा और आपको हर बार सेक्स के बाद निराशा होनी शुरू हो जायेगीI
- टेलीपथी की आशा ना रखेंI आप सेक्स के दौरान बात कर, हंसी मज़ाक कर, और अपने साथी का मार्गदर्शन कर उसे और बेहतर बना सकते हैं, अगर उस दिन नहीं होगा तो अगले दिन हो जाएगा, लेकिन संवाद ज़रूरी है! अन्य चीज़ों की तरह सेक्स भी अभ्यास के साथ बेहतर होता चला जाता हैI
स्त्रोत: मल्टी डायमेंशनल सेक्शुअल पर्फेक्शनिस्म एंड फीमेल सेक्शुअल फंक्शनI
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