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क्यों मना कर दिया मैंने शादी के लिए?

Submitted by Roli Mahajan on मंगल, 05/09/2017 - 09:28 बजे
श्रीनिवास एक लड़की से मिला और उसने उससे शादी करने का फैसला कर लियाI लेकिन जब एक पुराने दोस्त का फ़ोन आया तो उसने शादी के लिए मना कर दियाI क्या था उस फ़ोन कॉल का राज़? आइये जानें...

30 वर्षीय श्रीनिवास कोलकाता में रहता है और बैंक में कार्यरत है

बस बहुत हो गया!

मेरे माता-पिता मेरी शादी के बारे में हमेशा चिंतित रहते थेI उन्हें लगता था कि मेरी 'शादी की उम्र' ना निकल जाए क्यूंकि उसके बाद 'सही लड़की' मिलना मुश्किल हो जाता हैI जितनी भी लड़कियों को वो या मेरे रिश्तेदार जानते थे उन सबके साथ मेरा रिश्ता जोड़ने की कोशिश की जा चुकी थीI अब बस मैट्रिमोनियल साइट्स ही एक सहारा बचा थाI

पिछले साल जब एक बार फ़िर मेरी माँ एक लड़की के बारे में बात करने आयी तो मैंने उन्हें साफ़-साफ़ मना कर दियाI मैं इस सबसे ऊब चुका थाI मुझे लगने लगा था कि 'सही लड़की' चुनने का कोई आसान तरीका भी तो होता होगाI मुझे इस बात की भी कोफ़्त होने लगी थी कि मेरे सभी दोस्तों को तो आसानी से उनका जीवनसाथी मिल गया था बस मेरी जद्दोजेहद ही नहीं खत्म हो रही थी, और यह सब तब जब मैं अच्छा कमाता था, दिखने में भी ठीक ठाक से ऊपर ही था (ऐसा मुझे लड़कियों ने ही बताया था) और नियमित व्यायाम से मेरा शरीर भी बलिष्ट थाI समझ नहीं आ रहा था कि माजरा क्या है?

क्या किस्मत थी

वैसे भी मेरा कैरियर बहुत अच्छे से चल रहा था और मुझे इन बातों की फ़िक्र कम ही होती थी लेकिन क्या मेरी माँ भी ऐसे ही ख्याल रखती थी? शायद नहीं, क्यूंकि एक शनिवार की सुबह मेरी माँ की आवाज़ मेरी कानो में तब तक गूंजती रही जब तक मैं बिस्तर से खड़ा नहीं हो गया, "अरे उठो तुम्हारी कॉलेज की कोई दोस्त तुमसे मिलने आयी है"

अभी मैं मुंह ही धो रहा था कि मेरी माँ के सच के सामने, ने मेरे पैरो तले ज़मीन खिसका दी, "वो बेटा मैंने झूठ बोला था, यह वो लड़की है जिसको मैं तुझसे मिलवाना चाहती थी"I मेरा मुंह जो साबुन से सफ़ेद था अब गुस्से से लाल हो चुका थाI मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी माँ मुझसे इतनी चालाकी से भी पेश आ सकती हैI

जब मैं बाहर पहुंचा तो रश्मी को देखकर मेरा मूड बेहतर होना शुरू हो चुका थाI वो दिखने में सुन्दर और समझदार प्रतीत हो रही थीI हमारे माता-पिता के खिसकने के बाद हमारी बातों का सिलसिला ऐसा चालु हुआ कि जब हमारी मुलाक़ात खत्म होने को आयी तो मैं अपनी माँ का धन्यवाद करना चाहता थाI जी हाँ, मुझे रश्मी बेहद पसंद आयी थी और हमने दोबारा मिलने का प्लान भी बना लिया थाI

एक नयी तरंग

हम दोनों फेसबुक पर दोस्त बन चुके थेI ऐसा लग रहा था कि मेरे जीवन की किताब का कोई नया पन्ना खुल गया हैI हम दोनों रोज़ बात करते थे और मैंने उसके साथ अपने हसीन भविष्य के सपने भी देखने शुरू कर दिए थेI

करीब एक महीने बाद मुझे एक ऐसे व्यक्ति का फ़ोन आया जिससे मेरी 13 साल से बात नहीं हुई थीI अविक मेरे स्कूल में था और सभी को बहुत परेशान करता थाI मुझे नहीं लगता कि मुझे मेरे स्कूल में उससे अजीब कोई भी लगता थाI स्कूल के आख़री दिन भी मुझसे सबसे ख़ुशी इस बात की थी कि अब मुझे कभी इसका मुंह नहीं देखना पड़ेगा और भगवान् का शुक्र है कि उस दिन के बाद हम दोनों के रास्ते कभी आपस में नहीं टकराये, आज की फ़ोन कॉल तकI अविक ने मुझे बताया कि वो और रश्मि 8 साल से साथ से एक रिश्ते में थेI यह सुनते ही मानो मेरे दिल की धड़कन रुक गयी थीI मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था और शायद इसीलिए मैंने फ़ोन काट दिया थाI

उस दिन जब मैंने रश्मी को डिनर के लिए बुलाया तो उसे वजह नहीं बताई थीI पूरी शाम वो यही बोल रही थी कि उसे बहुत ख़ुशी होगी अगर हम जल्दी शादी कर लेंI कुछ इधर-उधर की बातें करने के बाद जब मैंने अविक का नाम लिया तो रश्मी के चेहरे का रंग ही उड़ गयाI मुझे तभी समझ आ गया था कि कुछ गड़बड़ तो ज़रूर हैI

दिल बैठ गया था

मुझे बोलने का कोई भी मौक़ा दिए बिना रश्मी ने अपनी कहानी बतानी शुरू कर दी थीI उसने बताया कि वो और अविक काफ़ी सालों से साथ थे और उनकी बात कुछ आगे नहीं बढ़ रही थीI वो अविक को भूलकर आगे बढ़ना चाहती थी लेकिन अविक उसे नहीं छोड़ रहा थाI वो इस बारे में मेरी प्रतिक्रया जानना चाहती थीI

मुझे ऐसे लगा जैसे किसी ने ज़ोर से पेट पर मुक्का जड़ दिया होI मेरी भावी जीवनसाथी का कोई पुराना रिश्ता होने से मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था लेकिन यह मामला कुछ ज़्यादा ही पेचीदगी भरा थाI मैंने उसे कहा कि मुझे सोचने के लिए थोड़ा वक़्त चाहिए, जिस बात को उसने बेहद ही सही ढंग से समझा थाI कुछ दिनों बाद मैं रश्मी से दोबारा मिला और उसे अपने और अविक के बारे में और विस्तार से बतायाI मैंने उसे बताया कि अविक किस तरह मुझे हर बात पर परेशान करता और मज़ाक उड़ाता थाI मेरे प्रति उसका रवैया बेहद असंवेदनशील थाI बातें करते करते ना जाने कहाँ की बात कहाँ निकल गयी और मुझे पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों के बीच चुम्बन हो गया i

मैं कायर तो नहीं...

घर आकर मैंने यह समझने की बहुत कोशिश की कि क्या मुझे रश्मी को चूमना चाहिए था या नहींI उस रात मैं सो नहीं सका थाI मुझे रश्मी बेहद पसंद थी लेकिन इस रिश्ते में बहुत जटिलताएं थींI उसकी और अविक की कहानी मेल नहीं खा रही थी और यह बात मुझे खाये जा रही थीI मुझे पूरा विश्वास था कि कुछ ना कुछ ज़रूर था जो मुझसे छुपाया जा रहा थाI

अविक के कई दोस्त थे जो मेरे भी दोस्त थेI उसके माता-पिता भी मेरे माता-पिता के साथ दोस्त थे। मैं समझ चुका था कि इस रिश्ते से कई समस्याएं उत्पन्न होने वाली थीI वैसे भी मैं रश्मी को अभी इतने अच्छे से नहीं जानता था कि इतना बड़ा जोखिम उठाने के बारे में सोचताI

आप मुझे कायर कह सकते हैं लेकिन मैंने रश्मी के शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दियाI कहने को तो मैं कई बहाने बता सकता हूं कि वह मेरे लिए सही क्यों नहीं थी, लेकिन मेरे दिल का एक बड़ा हिस्सा मुझसे हमेशा पूछता है कि कहीं मेरे लिए वही तो 'सही लड़की' नहीं थी? मैं इस सवाल का जवाब नहीं जानता, लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि मुझे अभी घर बसाने की कोई जल्दी नहीं हैI मैं पूरी कोशिश में हूँ कि मुझे विदेश में कोई काम मिल जाए जिससे मेरी माँ मुझे दोबारा ऐसी किसी भी परिस्थिति मैं ना डाल सकेI मैं यह बात दिल पर पत्थर रख कर कह रहा हूँ लेकिन सच यही है कि मुझे रश्मी को भूलने में बहुत समय लगा थाI

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