सुहागरात है
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सुहागरात है, घूँघट उठा रहा हूँ मैं...लेकिन आगे सब गड़बड़ हो गयी?

सुहागरात या शादी के पहले दिनों में सेक्स को लेकर तनाव काफी आम है। पुरुषों को बिस्तर में 'अच्छा प्रदर्शन' देने का स्ट्रेस होता है जबकि महिलाओं को उस दर्द का डर होता है जो वे पहली बार सेक्स के समय अनुभव कर सकती हैं। यही वजह है की कई नवविवाहित जोड़ों के लिए सुहागरात इतना अच्छा अनुभव नहीं होता है। वे आगे क्या कर सकते हैं? आइए इसके बारे में एक विशेषज्ञ डॉक्टर से विस्तार से बात करते हैं।

पहले सम्भोग का भय, लिंग की उत्तेजना ख़तम कर सकता है या स्त्री की योनी को कसकर बंद कर सकता है। यह समस्या बहुत सारे जोड़ों को आ सकती हैं लेकिन रुढ़िवादी समाज में अधिक पायी जाती है जहाँ यौन सवास्थ्य की जानकारी सीमित होती है और शादी से पूर्व यौन सम्बन्ध ना के बराबर होते हैं, डॉक्टर हुसैन घानेम, यौन रोग विशेषज्ञ ,का कहना है।

उनके चिकित्सालय में आने वाले युवा दम्पत्तियों को यौन संबंधों का कोई पूर्व अनुभव नहीं होता और ना ही इसके बारे में कोई जानकारी, वे कहते हैं।

घर परिवार

यहाँ तक कि उन्हें काम क्रिया के साधारण आसन की भी जानकारी नहीं होती। इसलिए पत्नी का भय और पति की चिंता, उत्तेंजना को समाप्त कर सकते हैं। और इसके उपर से अगर युवा दंपत्ति यह भी महसूस करते हैं कि सारे परिवार को सुहागरात की सफलता का इंतज़ार है तो बात और भी बिगड़ जाती है। कुछ समाजों में, जब पूरा परिवार इसमें शामिल होता है और सब जानना चाहते हैं कि सुहाग-रात सफल हुई या नहीं, यह एक बड़ी दुविधा बन जाती है।

आपातकाल

इस ख़ास तवज्जो की वजह से नवदंपत्ति पर और दबाव बढ़ जाता है जिसकी वजह नपुंसकता चक्रमय हो सकती है। जितना अधिक पुरुष सम्भोग की सफलता के लिए आतुर होता है, उतनी अधिक उसकी उत्तेज्नना नष्ट होती है।

हम इसे एक चिकित्सीय और सामाजिक आपातकाल स्थिति मानते हुए, बस से बाहर होने से पहले सुलझाने की कोशिश करते हैं। ये विवाह विच्छेद का एक कारण बन सकता है,” डॉक्टर घानेम कहते हैं।

डॉक्टर घानेम के अनुसार, दंपत्ति जब पहले प्रयास में लिंग योनी में प्रविष्ट नहीं करवा पाते, इसके वजह या तो पति के जननांगों में शिथिलता आ जाना होती है, या महिला को 'योनी संकुचन' (वगिनिस्मुस) हो जाना। योनी संकुचन अर्थात, भय और तनाव के चलते, योनी की मांसपेशियों में अनैच्छिक सिकुडन आ जाना। इसकी वजह से योनी अगम्य हो जाती है।

रूढ़ीवाद

यह समस्या उन देशों में आम है जहाँ सेक्स के प्रति रुढ़िवादी रुख व्याप्त है।मेरी इजिप्त में प्राक्टिस के दौरान, हमारे चिकित्सालय में आने वाले लोगों में से 8 प्रतिशत मधुमास नपुंसकता की समस्या से ग्रसित होते हैंडॉक्टर घानेम का कथन है।

सउदी अरबिया स्थित एक सहकर्मी के अनुसार वहां यह आंकड़ा 17 प्रतिशत है। तुर्की में किये गए अध्धयन के अनुसार यौन रोग चिकित्सालयों में आनेवालों में से करीब एक चौथाई मामले सुहाग-रात नपुंसकता से सम्बंधित थे।

मुद्रा/आसन

भाग्यवश डॉक्टर घानेम को ऐसे नवदम्पत्तियों के समस्या हल करने में बहुत सफलता प्राप्त हुई है, वे कहते हैं। पहला कदम है शिक्षा।हम युगलों को महिला और पुरुष जननांगों के चित्र दिखाते हैं, और सरल यौन मुद्राओं समझाते हैं, आमतौर पर जिनमे पुरुष उपर होता है।

परस्पर उत्तेजना

उसके बाद हम उन्हें समागम के जूनून को भूल कर, धीरे धीरे आगे बढ़ने, प्रेम क्रिया करने और इसका आनंद लेने के लिए प्रेरित करते हैं।

हम उन्हें कुछ हफ्ते समागम ना करने की सलाह देते हैं। मैं उन्हें परस्पर उत्तेजना ऐसे एक दुसरे का हस्तमैथुन और लिंग के सिरे को योनी द्वार से संपर्क करने की सलाह देता हूँ।

आनंद

इस क्रिया से पत्नी की यह चिंता दूर हो जाती है कि उसे दर्द और तकलीफ दी जाएगी। वह लिंग को महसूस करने की आदि हो जाती है। इसके साथ साथ, इस से पति को समागम की सफलता की चिंता से भी मुक्त कराती है क्यूंकि इस में लिंग में उत्तेजना की ज़रुरत नहीं होती। पहला चरण सिर्फ आनंद और परस्पर उत्तेजनातक सीमित होता है।

अगर ज़रुरत पड़े तो हम उत्तेजना वर्धक दवा भी सुझाते हैं। दवाएं और परस्पर उत्तेजना, सनुकता रूप से बहुत सफल रहता है। 90 प्रतिशत से भी अधिक मामलों में यह समस्या इस विधि से सुलझ जाती है।

योनी

योनी संकुचन के लिए भी सहायता उपलब्ध है।हम उन्हें दिखाते हैं कि योनी वैब्रटर  के उपयोग से मांसपेशियों को कैसी शिथिल किया जाता है। हम एक छोटे माप से शुरू करके, उसे धीरे धीरे बढ़ाना सीखाते हैं, जब तक की उसका व्यास करीब करीब लिंग के बराबर ना हो जाये।

डॉक्टरों द्वारा वैब्रटर इस्तेमाल के परामर्श की भी खबर हमारे पास है,” डॉक्टर घानेम कहते हैं, “वे महिलाओं को स्वयं वैब्रेटर द्वारा योनी को बाहरी उत्तेजना और इसके बाद इसे योनी के अन्दर प्रवेश करने की सलाह देते हैं, इस से उसे स्थिति अपने वश में लगती है।

अगले चरण में पुरुष को वैब्रेटर पकड़ने और महिला को उसका हाथ पकड़ कर उसे नियंत्रित करने की सलाह देते हैं। जब वह निश्चित हो जाते हैं, तो वह इसे पुरुष को दे कर उसे अपने आप इसे ऐसा करने देती है। उसके बाद वे और आगे बढ़ सकते हैं।

यादगार शाम

धैर्य ही कुंजी है, डॉक्टर घानेम का कथन है,”अगर आप जल्दबाजी करने की कोशिश करेंगे तो वह भयभीत हो जाएगी और मांसपेशियों अनेच्छिक रूप से संकुचित हो जाएँगी।

यह पुरुषों के लिए भी सच है। पूरा समय लें। इसके बारे में बात भी करें। कुछ साधारण कदम आपके पहले अनुभव के दरों को एक आनंदमय यादगार शाम में बदल सकते हैं।

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