'फ़िल्मी संयोग'
-अनीता गुप्ता, 25, सेल्स एग्जीक्यूटिव, पुणे
वो एक हादसा थाI मेरे पति को काम के सिलसिले में काफी समय शहर से बाहर रहना पड़ता है और मैं एक बड़े से घर में अकेली रह जाती हूँI इसलिए जितना हो सके उतना समय मैं घर के बाहर गुजारती हूँI उस दिन भी मैंने अपनी घरेलु ज़िन्दगी से निकलकर अकेले पिक्चर देखने का फैसला किया थाI
मैं कई बार पहले भी सिनेमाघरों और पार्टियों में अकेले जा चुकी थीI किस्मत से उस दिन मेरी बगल में मेरी तरह ही एक 'अकेला' पिक्चर देख रहा थाI शुरू में तो कुछ ख़ास नहीं हुआ लेकिन मूवी के दौरान हमारी बातें शुरू हो गयी क्यूंकि अगर मेरे सामने कोई शानदार सीन आ जाएं तो मुझसे बोले बिना नहीं रहा जाताI
अक्सर पिक्चर के दौरान एक ऐसा जोड़ा होता है जो पूरे समय अपनी बातों से आसपास वालों को परेशान करके रखता हैI पिक्चर के ख़त्म होते-होते हम दोनों भी एक ऐसा ही जोड़ा बन चुके थेI उसके बाद से हम कई बार साथ पिक्चर देख चुके हैं और हम आज भी साथ हैंI मुझे नहीं पता यह कब तक चलेगा लेकिन वो मेरा बहुत ख्याल रखता है और अब वो लम्बी, ठंडी रातें मुझे अकेले भी नहीं गुज़ारनी पड़तीI
'वो मेरे बहुत करीब है'
-तन्मय बैनर्जी, 36, डिजिटल कंसलटेंट, हैदराबाद
वैसे तो मैं बहुत समझदार इंसान हूँ बस दिल के मामले में किताबों और फिल्मों पर विश्वास करता हूँ- मुझे लगता है कि कोई ना कोई होता है जो सिर्फ आपके लिए बना हैI मेरी भी ऐसे व्यक्ति से मुलककत हुई, लेकिन तब तक मेरी शादी को 5 साल हो चुके थे और मैं एक बच्चे का बाप बन चूका थाI
एक ऐसी औरत जो मेरी पत्नी नहीं है, के साथ इतना गहरा रिश्ता रखने पर मुझे बेहद आत्मग्लानि होती है लेकिन जब मैं उसके साथ होता हूँ और मेरे हाथ उसके हाथों में होते हैं, तब सब सही लगता हैI
चाहे मैं कितना ही उदास हूँ, उसके साथ गुज़ारे हुए पल और उसके एहसास को याद करके बिलकुल तरोताज़ा हो जाता हूँI क्या यह प्यार नहीं है? इस शारीरिक और भावनात्मक जुड़ाव को कोई कैसे झुठला सकता है? ऐसा नहीं है कि मैं अपनी बीवी को प्यार नहीं करता, लेकिन उसे ज़्यादा करता हूँI वो सही मायनो में मेरी जीवनसाथी हैI
'वो बहुत हक़ जताता था'
-तान्या प्रिया, 23, स्टूडेंट, मुंबई
मैं और मेरा बॉयफ्रेंड कॉलेज से साथ थेI इन 5 सालों में उसने मुझमें इतनी दिलचस्पी दिखाई थी कि मुझे लगता था कि इससे अच्छा लड़का मिलना मुश्किल हैI वो हर जगह मेरे साथ जाता था, बार-बार फ़ोन और मैसेज करता और जाने कितने सवाल पूछता थाI
धीरे-धीरे उसका प्यार और ज़रुरत से ज़्यादा देखभाल करना मुझे परेशान करने लगाI मुझे लगा कि वो मुझ पर और मेरी ज़िन्दगी को अपने हिसाब से चलाना चाहता है और यह बड़ा ही दमघोंटू एहसास थाI मैं उसे बिना बताये कुछ कर ही नहीं सकती थीI
ज़िन्दगी के ऐसे पड़ाव पर मैं एक ऐसे इंसान से मिली जो यह समझता था कि मुझे भी सांस लेने की ज़रुरत हैI इस बात का मैंने भरपूर फायदा उठायाI जब भी मैं उसके साथ होती तो अपना फ़ोन ऑफ कर लेती थी और अपने बॉयफ्रेंड को कह देती थी कि ऑफिस मैं हूँI हम दोनों के बीच में सिर्फ एक बार सेक्स हुआ जिसका मेरे बॉयफ्रेंड को पता चल गयाI वो बहुत नाराज़ हुआ था और उसने मुझसे रिश्ता तोड़ लियाI लेकिन मैं खुश थी, क्यूंकि अब मैं आज़ाद थीI
'मेरी बोरिंग शादी की नीरसता से मुक्ति'
-मृणालिनी मिश्रा, 32, एडवरटाइजिंग एग्जीक्यूटिव, दिल्ली
कुछ लोगों के लिए शादी की बाद ज़िन्दगी बोरिंग हो सकती हैI खासकर मेरे जैसे लोगों के लिए जिनका जीवनसाथी उसके माँ-बाप और रिश्तेदारों ने चुना होI
शुरू के कुछ साल फिर भी ठीक-ठाक गुज़रेI हमने काफी समय घूमने और एक दुसरे को जानने में गुज़ाराI लेकिन उसके बाद ज़िन्दगी नीरस होती चली गयीI जब हम घर में साथ होते थे तो हमारे पास एक दूसरे से बात करने के लिए कुछ नहीं होता था, हम बस टीवी और अपने फोनों में व्यस्त रहते थेI
शायद इसी स्थिति से बचने के लिए हम दोनों ने ज़्यादा से ज़्यादा समय ऑफिस में गुज़ारना शुरू कर दियाI मेरे साथ कुछ सहकर्मी भी रुकते थे जो काम में मेरी मदद करते थेI
उनमे से एक को शायद काम से ज़्यादा मुझे में दिलचस्पी थी और मुझे पता भी नहीं चला कि कब हम काफी सारा वक़्त साथ में गुज़ारने लगेI हमने पहली बार ऑफिस के कांफ्रेंस रूम में एक दूसरे को किस किया थाI हम कोई बहुत दिनों तक साथ नहीं थे क्यूंकि कुछ ही समय बाद उसका ट्रांसफर हो गया था लेकिन उसकी वजह से मेरी बोरिंग ज़िन्दगी ज़रूर रोमांचक हो गयी थीI
*अनुरोध पर पात्रों के नाम बदल दिए गए हैंI