Woman enjoying sex
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एकाग्रता से सेक्स को बेहतर बनाएँ

द्वारा Sarah Moses नवंबर 2, 10:44 पूर्वान्ह
क्या सेक्स के दौरान आपका ध्यान अपने शारीरिक आनंद से हटकर दूसरी चिंताओं की तरफ़ जाता है? शोधकर्ता महिलाओं की सेक्स के दौरान एकाग्रता बढ़ाने में सहायता करने की दिशा में काफ़ी कुछ कर रहे हैं।

ज़रा सोचिए...आपके और आपके साथी के बीच माहौल में ज़रा गरमी आना शुरू ही हुआ है। आप दोनों उत्तेजना महसूस कर रहे हैं और वो आपकी शर्ट के बटन को एक एक कर खोलना शुरू करता है। लेकिन कपड़ों के हटते ही आपका ध्यान इस बात पर चला जाता है कि आप बिना कपड़ों के कैसी लग रही हैं और वो आपके शरीर के बारे में क्या सोच रहा होगा। ना सिर्फ़ गर्मजोशी ठंडक में बदल जाएगी और मूड खराब होगा वो अलगI

या फिर आपको ऑर्गैज़म तक पहुँचने में कठिनाई हो रही है और जब आपका साथी मुखमैथून की शुरुआत करता है, तो आप सोचने लगती हैं कि वो आपके गुप्तांगों के बारे में क्या सोच रहा होगा। अचानक आप पर ऑर्गैज़म तक पहुँचने के लिए एक दबाव सा बनने लगता है और अब शारीरिक आनंद की जगह मानसिक उलझन ले लेती है।

क्या ये सब आपके साथ हुआ है? अपने शरीर या रूप रंग की फ़िक्र में खो कर असल मुद्दे से दिमाग़ का भटक जाना। यह एक ऐसी चीज़ है जो बहुत से महिला और पुरुष कभी ना कभी अनुभव अवश्य करते हैं।

अलौकिक संवेदना

एकाग्रता- यानि अपना पूरा ध्यान लगाना एक बौद्ध मेडिटेशन तकनीक है। हालाँकि इसका आधार अपने सेक्स जीवन में रंग भरने के लिए नहीं है बल्कि अपने दिमाग़ को वर्तमान में नियंत्रित रखने की इस तकनीक से आप अपने प्यार के व्यक्तिगत पलों को बेहतर ज़रूर बना सकते हैं। साथ ही ज़रूरत है अपने शरीर के आनंद संकेतों को समझने की, बिना इस बात की परवाह किए कि आप का शरीर कैसा लग रहा है।

सेक्स विशेषज्ञ इसी एकाग्रता की तकनीक की मदद से उन  महिलाओं की सहायता करने का प्रयास कर रहे हैं जिन्हें सेक्स की इच्छा में कमी और ओर्गास्म तक पहुँचने में कठिनाई होती है। इस तकनीक का प्रयोग करने वाली एक ऑस्ट्रेलियन शोधकर्ता हैं डॉ मरिटा मकेबे। सिंगापुर में आयोजित की गयी 2015 वर्ल्ड सेक्सओलॉजि कांफ्रेंस के दौरान लव मैटर्स ने उनसे शयनकक्ष की इसी एकाग्रता से जुड़े कुछ सवाल जवाब किये।

ओह!!!वो मुझे निर्वस्त्र देखेगा!

लव मैटर्स: किसी महिला को यह कैसे पता चलेगा कि दरअसल सेक्स को लेकर सब ठीक-ठाक नहीं चल रहा?

डॉ मकेबे: मेरे विचार में यह थोड़ा मुश्किल तो है क्योंकि हम सेक्स के बारे में खुलकर बात नहीं करते। शायद इसीलिए हम में से बहुत से लोगों को ये भी पता ना हो कि सामान्य क्या है और असामान्य क्या। हो सकता है कि काफी महिलाओं को लगता हो कि सेक्स की इच्छा ना होना, उत्तेजना ना होना या ओर्गास्म ना होना एक सामान्य बात है। या फिर उनकी अपेक्षाएं सच्चाई से पर हों- जैसे कि उन्हें लगता हो कि उन्हें हर बार एक से अधिक ओर्गास्म होने चाहिए या हर समय उन्हें सेक्स की इच्छा होनी चाहिए।

लव मैटर्स: किसी मनोवैज्ञानिक या सलाहकार से बात करने का कोई फायदा होगा?

डॉ मकेबे: अक्सर महिलाओं को भरोसा और मार्गदर्शन चाहिए होता है। आप उनकी जिस समस्या का निवारण कर रहे हैं वो उनके मन की झिझक या आत्मविश्वास की कमी है। जैसे कि "मुझे ऐसा करने में बहुत शर्म आई" या "मुझे ऐसा करने में बहुत हिचकिचाहट या उलझन महसूस हुई"।

यहीं एकाग्रता की तकनीक कारगर होती है। क्योंकि यदि ये महिलाएं ऐसे में 'वो मेरे शरीर के बारे में क्या सोचेगा', 'क्या मैं उसे आकर्षक लग सकूँगी', क्या हमारे बीच सेक्स एक अच्छा अनुभव हो पायेगा' जैसी उलझनों से दिमाग हटाकर और प्रदर्शन का दबाव भूलकर उस् अंतरंग पल का खुलकर आनंद ले सकें तो इस समस्या का यहीं निवारण हो जायेगा।

लव मैटर्स: तो आखिर 'उस पल' में कैसे रहा जाये? कैसे ध्यान को बंटने से रोका जाये?

डॉ मकेबे: इसके लिए खुद को प्रशिक्षित करना ज़रूरी है। शुरुवात अपनी सांस पर एकाग्रता से की जा सकती है। इसका अर्थ है कि बैठकर अपना पूरा ध्यान अपनी सांस पर लगाना- सिर्फ साँस पर। सांस को अंदर और बाहर जाते महसूस करना। इसके बाद भोजन पर एकाग्रता का अभ्यास किया जा सकता है। अक्सर हम खाना खाते हुए बातें करते है और खाने को चबाने पर हमारा ध्यान नहीं जाता अब हम उस पर ध्यान दे कर देखें

इसके बाद अगला कदम उठाते हुए इस एकाग्रता को अपने शरीर पर लगा कर देखेंI महिलाएं अपने शरीर को खुद छुएं और खुद के स्पर्श की संवेदना और उसके पीछे छिपे आनंद को महसूस कर के देखें

यह निश्चित है की इस सब को करने के लिए महिलाओं को कुछ समय लगेगा लेकिन यह निश्चित तौर पर काफी ही कारगर और संतुष्टि दायक सिद्ध होगा और केवल सेक्स जीवन में ही नहीं बल्कि जीवन के दूसरे पहलुओं में भी इसका असर अवश्य दिखाई देगा

लव मैटर्स: एकाग्रता का महिलाओं के सेक्स जीवन पर असर क्या आपने देखा है

डॉ मकेबे: देखिए, ऐसे में एकाग्रता महिलाओं को इन उलझनो से मुक्त कर पायेगी कि 'वो मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा' या 'उसकी मुझसे क्या अपेक्षाएं होंगी' या 'अगर सेक्स ठीक से नहीं हो सका तो क्या हमारा संबंध आगे बढ़ेगा या नहीं। इस की बजाए आप सोच रहे होते हैं कि 'वाह यह स्पर्श कितना अच्छा महसूस हो रहा है'  या 'मुझे कितना अच्छा लग रहा है'।

और यदि ऐसे में कोई और सोच दिमाग में आती भी है तो उस सोच को पहचानें और यह समझ लीजिए कि इस समय उन सोचो का कोई उपयोग नहीं है, इसलिए उन्हें भुलाकर फिर से आनंद संवेदनाओं के समुन्द्र में गोता खाना शुरू कर दीजिए। और इस प्रकार धीरे-धीरे अभ्यास के ज़रिए आप उस स्थिति में पहुंच सकेंगी जहां आप अपनी एकाग्रता पर काबू कर सकेंगी।

क्या सेक्स के दौरान आपके दिमाग में दूसरे ख्याल आते हैं?अपने अनुभव हमसे साझा करिये। यहाँ या फेसबुक पर अपनी राय बताएं।

क्या आप इस जानकारी को उपयोगी पाते हैं?

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