यह पोस्ट निजी साथी द्वारा की गयी हिंसा के खिलाफ हमारे आंदोलन के अंतर्गत चल रहे 'ब्लॉगाथन' का एक हिस्सा है #BearNoMore
JustAnotherGirl (लेखिका की असली पहचान को छुपाने के लिए हम एक उपनाम का इस्तेमाल कर रहे हैं) की प्रस्तुतीI
हर बदसलूकी के बाद वो कह देता, "सॉरी मेरा वो मतलब नहीं थाI" दो दिन पहले तक मैंने जब भी उसको छोड़ने के बारे में सोचा तो अपने आपको भयंकर अपराधबोध से ग्रस्त पायाI मेरे परिवार और दोस्त ना सिर्फ़ मेरा होंसला बढ़ाते थे बल्कि एक सही कदम उठाने के लिए मुझे शाबाशी भी देते थेI मेरी अंतरात्मा भी मुझे हरी झंडी दे चुकी थी, लेकिन फिर भी रात-दिन मैं खुद को ही कसूरवार ठहराती थीI
यह बड़े दुःख की बात है कि हममें से जो भी लोग एक हिंसात्मक रिश्ते में होते हैं वो अपने साथी के लिए इतना सब कुछ कर चुके होते हैं कि अपनी खुद की ज़िंदगी में भी उनके पास खुद के लिए जगह नहीं बचतीI उनकी शख्सियत हमारे दिलों-दिमाग में कुछ ऐसे रच-बस गई होती है कि हमें पता ही नहीं चलता कि कब हम उनकी तरह सोचना शुरू कर देते हैंI हम अपने ख्यालों और इरादों का दम घोंटना शुरू कर देते है जिससे कि उनके रोज़ बढ़ते हुए अहम को ठेस ना पहुंचेI
ब्लैकमेल
जब मैं अपने पूर्व प्रेमी से 12 साल पहले मिली तो वो हमारे स्कूल का सबसे लोकप्रिय लड़का थाI मैं विश्वास ही नहीं कर पाती थी कि वो मेरे साथ है, शायद उसे भी यह बात पता थी और उसने इसका नाजायज़ फायदा उठाना शुरू कर दियाI जब हमने एक दुसरे को डेट करना शुरू किया तो वो मुझे मेरे माँ-बाप से झूठ बोलने को कहने लगाI हम लोग छुप-छुपकर मिला करते थे और देर रात तक बाहर रहते थेI
और मैंने भी उसकी हर बात मानीI उस समय वो सब बड़ा रोमांचक लगता थाI जब कभी मैं उसकी बात नहीं मानती थी तो या तो हमारी लड़ाई हो जाती या फिर वो मुझे ब्लैकमेल करता थाI "तुम नहीं आयी तो मैं छत से कूद जाऊंगा" या फ़िर "अगर तुमने मेरी बात नहीं सुनी तो मैं अपने हाथ की नसें काट लूँगा" यह दोनों उसकी पसंदीदा लाईनें थीI वो बहुत ही गर्म मिज़ाज का था और धीरे-धीरे मैं उसकी हर बात मानने लगी क्यूंकि मैं नहीं चाहती थी कि हमारी लड़ाई हो या वो मुझ पर गुस्सा करेंI