एक स्वस्थ रिश्ते में हम अक्सर अपने पार्टनर से कुछ न कुछ सीखते हैं। उनके अनुभवों और उनके व्यक्तित्व का असर हमारे जीवन पर भी पड़ता है। और इन्ही बातों के आधार पर हमर व्यक्तित्व बनकर तैयार होता है। रिसर्च की भाषा में इसे 'आत्म विस्तारण' कहते हैं।
'आत्म विस्तार' प्यार की चिंगारी को भड़काने में कारगर हो सकता है, ऐसा इस रिसर्च से पता चलता है। वैज्ञानिकों ने जानने की कोशिश की कि बीतते समय के साथ दीवानगी भरा प्यार और आत्म विस्तार किस तरीके से बदल जाता है और क्या इन् दोनों के बीच कोई रिश्ता है।
इस अध्यन में उन्होंने 500 व्यस्कों से फोन कर उनके रिलेशनशिप के बारे में सवाल पूछे जैसे कि उन्हें उनके साथी के साथ कितना समय हो चूका है और क्या वो अभी भी गहरा प्यार महसूस करते हैं। और क्यूंकि अध्यनकर्ता आत्म-विस्तार के बारे में जानना चाहते थे, उन्होंने ये भी पुछा कि क्या वो अपने साथी से अभी भी नयी चीज़ें सीख रहे हैं और उसे अपने जीवन में ढाल रहे हैं?
ना मिटने वाली भूख
दीवानगी से भरा प्यार कई गहरी भावनाओ का मिश्रण होता है। एक तरफ आपका रोमांटिक व्यक्तित्व होता है जो आपको अपने साथी कि ओर आकर्षित करता ही रहता है और वहीँ दूसरी और एक जूनून भरा भाव जो आपको सरल से सरल कामों में भी ठीक से एकाग्र नहीं होने देता। ( इस बारे में आप हमारे लेख :'प्यार में हम नादान क्यों बन जाते हैं' में पढ़ सकते हैं)
रिसर्च से ज्ञात हुआ कि रोमांटिक प्यार अक्सर समय के साथ बदलता नहीं है। भाग्यवश, यह बात जूनून भरे प्यार के मामले में सच नहीं है। यह भाव समय के साथ काम होने लगता है और ख़त्म भी हो सकता है।
लेकिंन इस अध्यन से एक बात उभर कर आई, वो यह कि आत्म विस्तारण दोनों तरह के प्यार में मौजूद होता है। रिश्ते की शुरुवात में में यह अपने चरम पर होता है जब अपने साथी की हर राय और पसंद हमारी पसंद बनने लगती है। और यह बात दोनों के एक दूसरे के प्रति गहरे भाव को व्यक्त करती है।
जैसे जैसे समय बीतता है, लोग अपने साथी को बेहतर समझने लगते हैं और ज़ाहिर रूप से उन्हें कुछ भी नया जानने या सीखने को नहीं मिलता। और यह हमें समझाता है की बीतते समय के साथ आत्म विस्तारण की प्रक्रिया बंद क्यों हो जाती है।
मिलकर खोजना
तो प्यार में दीवानगी बरकरार रखने का उपाय है आत्म विस्तारण के अनुभव को ख़त्म न होने देना। इसका मतलब है की हर दिन साथ मिलकर कुछ नया खोजते रहिये। जैसे की किसी ऐसी जगह पर जाना जहाँ आप कभी न गए हों। शहर के नए नए कोनो की साथ मिलकर खोज, या किसी नयी जगह पर सेक्स।
सुनकर बात समझदारी की लगती है, है ना? और क्यूंकि अब आपको इस पूरी स्थति के पीछे का वैज्ञानिक तर्क मालूम है, तो इंतज़ार मत करिये और निकला पढ़िए अपने साथी के साथ इस आत्म विस्तारण की खूबसूरत यात्रा पर।
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