अधिकतर लोगों के लिए ऑर्गैज़म एक मधहोश कर देने वाला अनुभव होता है। लेकिन इटली के एक व्यक्ति के लिए ऑर्गैज़म शारीरिक आनंद का अहसास नहीं है।
उत्तेजना समस्या नहीं थी और ना ही लिंग तनाव में कोई परेशानी थीI और जब भी वो अपनी पत्नी के साथ सेक्स करता या हस्तमैथून करता तो वीर्य स्खलन भी होता था। समस्या ये थी कि जब वीर्य का स्खलन होता था तो उसे बिलकुल भी मज़ा नहीं आता थाI
वीर्य तो निकलता है, लेकिन मुझे कुछ अलग महसूस नहीं होता
यही है ओरगस्मिक एनहेडोनिया की हक़ीक़त। इस स्थिति में आपको आनंद रहित ऑर्गैज़म होते हैं। आपको पता होता है कि आपको ऑर्गैज़म हो रहा होता है लेकिन कुछ भी अलग महसूस नहीं होता।
तो फ़िर ऑर्गैज़म की प्रक्रिया के दौरान होता क्या है? निस्संदेह शुरुआत शारीरिक उत्तेजना से ही होती है, जब आप हस्तमैथून करते हैं, या अपना साथी आपके जन्नांग को छूता है। लेकिन इस समय आपके मस्तिष्क में क्या गतिविधि चल रही होती है?
आपके जननांग रक्तवाहिनियों से भरे होते हैं जो आपके दिमाग़ के एक हिस्से को संकेत भेजती हैं। इस हिस्से को लिंबिक प्रणाली कहा जाता है। ये मस्तिष्क के दूसरे हिस्सों से जुड़ा रहता है जो कि सेक्स और उससे जुड़े भावों को नियंत्रित करते हैं।
जब लिंबिक सिस्टम को सामान्य से अधिक संकेत मिलते हैं तो मस्तिष्क आपके जननांग में रक्त का प्रवाह बढ़ा देता है। उत्तेजना में वृद्धि के साथ संकेत भी बढ़ने लगते हैं और मस्तिष्क के आनंद केंद्रों पर डोपामाईन हार्मोन प्रवाहित होता है। और तब आपको उस अलौकिक आनंद के साथ ऑर्गैज़म होता है।
शायद मुझे कोई बीमारी है
अब ज़रा एक बार फिर उस पीड़ित व्यक्ति की बात करते हैं। कई साल तक वो अलग अलग डाक्टरों के पास जाकर यह जानने का प्रयास करता रहा कि आख़िर उसके साथ क्या समस्या है। वो उन्हें बताता कि उसे सामान्य रूप से उत्तेजना होती है, और स्खलन भी, लेकिन कोई शारीरिक अनुभूति नहीं होती। उसने कई प्रकार के मेडिकल टेस्ट कराए लेकिन हर बार एक ही परिणाम था- उसके साथ कोई भौतिक समस्या नहीं थीI
अंत में उसने एक ऐसे क्लीनिक की ओर रूख किया जो लोगों की सेक्स समस्याओं के समाधान में उनकी सहायता करता है। डॉक्टर डोमेनिको ट्रोटा ने इस व्यक्ति की पुरानी सभी रिपोर्ट्स की जाँच की और निष्कर्ष निकला कि ऑर्गैज़म की ये समस्या इस व्यक्ति के लिंग से जुड़ी नहीं थी बल्कि इसके मस्तिष्क से जुड़ी थी।
दमन
डॉक्टर ट्रोटा ने उपचार शुरू किया। डॉक्टर ट्रोटा ने कहा, "इस मामले में पुरुष के सेक्स मस्तिष्क की जटिलता को समझने की आवश्यकता थी"।
पूरी मनोवैज्ञानिक खोजबीन के बाद डॉक्टर ट्रोटा ने पाया कि दरअसल यह व्यक्ति अपनी कामुक इच्छाओं की प्रतिक्रियाओं को दबाता रहा था जिसके चलते ये समस्या मानसिक बन गयी। उसने अपनी सेक्स संवेदनाओं को दबाने की इतनी आदत बना ली थी अब उसका मस्तिष्क उसके शरीर के सेक्स के आनंद को महसूस करने में सक्षम नहीं हो पा रहा था।
आख़िरकार वर्षों तक ऑर्गैज़म को दबा कर रखने के बाद एक दिन सब फिर से सामान्य हो सका। उसे ओर्गैज़म का अलौकिक आनंद अनुभव हुआ और उसके लिंबिक सिस्टम ने सही मात्रा में डोपामाईन प्रवाहित करना सीख लिया।
स्त्रोत: 'अ केस ऑफ़ ऑर्गैस्मिक अनहेडोनिआ इन अ मैन विद ब्लिंकर्स ऑन'