यही मेरी मुश्किल है - मैं पहल नहीं कर पाता हूँ। एक बार बात शुरू हो जाये तो में उसे अच्छा महसूस करा सकता हूँ क्यूंकि मेरी नियत ख़राब नहीं है (कम से कम ९०% बार तो नहीं) साहिल, दिल्ली
बबली आंटी कहती है...अरे पुत्तर, तू ना इस मुश्किल को लेकर अपनी नियत या इरादों की चिंता ना कर। ऐसी कोई अच्छी या बुरी नियत नहीं होती। ये सब दिमाग में होता है। अगर तू जोश में आगे नहीं बढ़ेगा तो अधिकतर औरतें तेरे बुरे इरादों को भी 'अच्छा' समझेंगी। और ये सबसे आसान इशारा है लड़कियों से बातचीत शुरू करने का।
वैसे पुत्तर, मुझे ना बड़ी ख़ुशी हुई जानकर की तू औरतों को अच्छा और कम्फर्टबल महसूस कराना चाहता है। बड़ा अच्छा बच्चा है तू तो। सही जा रहा है पुत्तर!
लेकिन रोज़ की ये इश्कबाज़ी में कोई अच्छे एहसास को कैसे मिला सकता है? भई, औरतें, बिलकुल आप ही की तरह तवज्जो का मज़ा लेती है।
चिन्हित
मेरे कॉलेज के दिनों में, मुझे तो बहुत मज़ा आता था कम बोलने वाले लड़कों को चिढाने में। लेकिन जैसे ही उन लडको में से कोई बोल पड़ता था तो में खुद चुप हो जाती थी। क्यूंकि मुझे नहीं पाता वो मेरी इस छेड़छाड़ का क्या मतलब निकाल रहे थे।
अब क्या बोलों मैं, दुर्भाग्यवश, अपने भारत में, औरतें जो इश्कबाज़ी करती है या इश्कबाज़ी में कोई बुराई नहीं देखती, उन्हें 'आसान' का लेबल दे दिया जाता है, यानी की ऐसी लड़कियां जिनके साथ कोई भी कैसे भी रिश्ता बना सकता है।
अप्रत्यक्ष
हाँ तो समीर, तेरी मुश्किल है बातचीत कैसे शुरू की जाए. सबसे पहला नियम - किसी फिल्म या टीवी प्रोग्राम से आईडिया ना ले। भारतीय लड़की का दिमाग चकराया हुआ और डरा हुआ है और मर्दों के खिलाफ उसका प्रतिपक्ष हमेशा तैयार है।
तो नहीं, उसका stalkingसे और उसे परेशान करने से वो तुझसे प्यार नहीं करने लगेगी। और हाँ, ये घटिया बातों से कोई बहुत अच्छी बातचीत की शुरुआत भी नहीं होगी। उल्टा उसकी रात की नींद भी उड़ जाएगी, पर उस तरह से नहीं जैसा तूने सोचा था।
पुत्तर जी, जो चीज़ काम करती है वो है अप्रत्यक्ष सोच. क्या कुछ ऐसे दोस्त है जो तुम दोनों के दोस्त हो? उनको बोल ना की तेरे बारे में कुछ अच्छी बातें लड़की को बताये। हाँ, अगर तुझे किसी पार्टी में कोई लड़की पसंद आती है, तो उसके पास जा और बातचीत शुरू कर - इसमें कोई बुराई नहीं है।
हाव भाव की भाषा
सिर्फ इधर उधर की कुछ बातें कर बिना कोई खुल्लमखुल्ला संकेत दिए। थोडा मज़ाकिया बनने की कोशिश कर, कुछ साधारण चीज़ों के बारें बातें कर, और उसको प्रभावित करने की, ओये मेरा मतलब इम्प्रेस करने की कोशिश ना कर। जैसे है वैसे रह और एक दम से ही उस पर लाइन ना मार। कम से कम पहले आधे घंटे के लिए तो नहीं।
इस पर धयान दे की उसकी प्रतिक्रिया यानी रीऐक्शन तेरी तरफ कैसा है। उसके हाव भाव की भाषा को समझने की कोशिश कर। क्या वो लगातार तेरी तरफ देख रही है? या वो खुद तेरे साथ फ्लर्ट, मतलब इश्कबाज़ी करने की कोशिश कर रही है?
इसमें से चाहे कुछ भी हो, बेटा जी, किस्मत वाला तो तू ही है। अगर नहीं, तो मेरी ये सलाह है की तू पीछे हट जा। अपना बोरिया बिस्तर पैक कर और अपना जादू कहीं और जाके चला।
फोटो: बबली आंटी,thinqkreations
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