bald man
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उसने मुझे छोड़ दिया क्यूंकि मैं गंजा हूँ!

द्वारा Roli Mahajan अगस्त 20, 10:51 बजे
मैं हमेशा से ही अपने बालों को लेकर थोड़ा भावनात्मक था - या शायद बालों के ना होने को लेकर I किशोरावस्था में बच्चे मुझे 'गंजू पटेल' और 'टकला' जैसे नामो से बुलाते थे जो मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता थाI

मतलब मुझे सर्दियों में बाल धोने का, सुखाने का, या कंघी करने का झंझट नहीं थाI मुझे अलग होना पसंद तो नहीं था लेकिन मैं व्यस्त रहता था।

मेरी माँ, जो की एक बहुत सख्त अनुशासक रही हैं, उन्होंने हमेशा यही कहा कि हम कैसे दिखते हैं वो इतना ज़रूरी नहीं जितना कि हम कितनी शिक्षा प्राप्त करते हैं। मैं इस बात का विरोध कर सकता था लेकिन मुझे लगता था कि शायद 'बॉय फ्रेंड - गर्ल फ्रेंड' सिर्फ़ अमीर परिवारों में और फिल्मों में ही होते हैं। आखिर मेरे जैसे आम परिवार की दिनचर्या सिर्फ खाना पीना और सोना होता है।

भाग्यशाली

मुझे लगता था कि मैं बहुत भाग्यशाली हूँ क्यूंकि मैं सिर्फ लड़कों वाले स्कूल में पढता थाI और बाद में भी भारत के सबसे जाने माने वाले संसथान में, जहाँ लड़कियों की संख्या ना के बराबर ही थी। और सच कहूँ तो मुझे लगता था कि चाहे कम बालों के साथ ही सही लेकिन भारत में लड़की की बजाय लड़का पैदा होना ज्यादा बेहतर था।

मुझे अंदाजा भी नहीं था कि मेरी यह सोच कितनी घटिया थी। अपने कॉलेज के तीसरे साल में, मैं सोशल मीडिया सर्किट का हिस्सा बन गया। मैं आकर्षक दिखना चाहता था। मैं कुछ सुन्दर लड़कियों के साथ दोस्ती करना चाहता था क्यूंकि मैं आगे चलकर अपना जीवन साथी भी खुद चुनना चाहता था, वो भी इसलिए क्यूंकि मेरे दोस्त अपनी मस्त फोटो सुन्दर लड़कियों के साथ लेकर सबको दिखाते रहते थे।

"मिलना ज़रूरी नहीं"

मैंने लड़कियों के साथ बातचीत करनी शुरू करी - ऑरकुट पर, याहू मेस्संजर पर, चेटरूम - हर जगह। जब भी मुझसे तस्वीर भेजने के लिए कहा जाता, तो मैं एक ही तस्वीर भेजता जहाँ मेरी आँखें ज्यादा दिखती और सिर पर नज़र ना जाती। एक बार में एक लड़की से मिला। हम अलग शहर में थे, हम बहुत बातें करते, कुछ मजेदार बातें भी, और कुछ समय बाद उस लड़की ने अपना प्यार मेरे लिए ज़ाहिर भी किया। मैं तो सातवे आसमान पर था।

मुझे याद है मैंने उससे पुछा था, "तुम कैसे कह सकती हो कि तुम मुझे पसंद करती हो जबकि हम कभी मिले भी नहीं हैं?" और उसने जवाब दिया, "मिलना ज़रूरी नहीं है। हम दस महीने से दोस्त है और एक दूसरे से बात करते हैं। मैं तुमसे अपनी सारी बातें कह पाती हूँ और हम बाद में मिल ही लेंगे।"

पसीने छूट गए

हमारे बीच इस बातचीत के बाद वो मेरे शहर आने वाली थी और उसने मिलने के लिए कहा। यह पहली बार था जब मैं किसी लड़की से मिलने वाला था (मतलब इस तरीके से), और वो भी उससे जो मुझे पसंद करती थी। मैं अपने आप को उस सुबह तैयार ही कर रहा था जब मेरे एक स्कूल के दोस्त का फोन आया जो यह बात सुनकर मेरा मज़ाक उड़ाने लगा और उसने कहा, "अबे टकले, उसने कभी तुझे देखा भी है?"

उसकी बात सुनकर तो जैसे मेरे पसीने छूट गए, और मेरे मन में जैसे एक डर सा बैठ गया। मुझे लगता था कि मैं एक अच्छा पढ़ा लिखा लड़का हूँ जिसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की मैं कैसा लगता हूँ, लेकिन अब मैं घबरा रहा था। यह मेरे बार में नहीं था लेकिन इस बारे में की क्या वो लड़की मुझे अपनाएगी। मैं उससे मिलने नहीं गया।

गलत कदम

इस बात से जैसे कोई तूफ़ान ही गया थाI वो लड़की इस बात पर मुझसे बहुत नाराज़ हो गयी की मैं उससे मिलने नहीं गया। मैं सही से उसे अपनी बात भी कैसे बताता - क्यूंकि मैं तो खुद कमज़ोर महसूस कर रहा था अपने आप को लेकर।

जब मेरे उस स्कूल दोस्त को मैंने बताया इस बारे में तो उसे अपनी कही बात पर बहुत शर्मिंदगी हुई और वो मुझे काउंसल करने लगा। उसने मुझे समझाया की मैंने उस लड़की से ना मिलकर गलत किया। उसका कहना था की उस लड़की ने अपना प्यार मेरे दिखने के पीछे नहीं ज़ाहिर किया था। मेरे दोस्त की बातें और मेरे दिल में भी उस लड़की के लिए भावनाए ने मुझे कुछ करने की और प्रोत्साहित किया।

आखिर मुलाक़ात

मैंने अपनी ज़िन्दगी की पहली हवाई जहाज़ यात्रा की टिकट करवाई ताकि मैं उस लड़की के शहर जाकर उस से मिल सकूँ। ये एक सर्प्राइज़ मीटिंग थी जो मैंने उसकी बहन से साथ मिलकर अरेंज की थी।

मैं इंतज़ार कर रहा था, मुझे हर पल भारी लग रहा था और फिर वो रेस्टोरेंट में घुसी। उसने अपना फोन ढूंढ़ते हुए मुझे इधर उधर ढूंढ़ने लगी (शायद उसने अपने दिमाग में मेरी कोई तस्वीर बना रखी थी) और फिर जब उसने देखा की मेरा यानी एक गंजे लड़के का फोन बज रहा था, तो उसकी प्रतिक्रिया दहला देने वाली थी।

अस्वीकृति

मुझे देखकर वो बहुत आश्चर्यचकित लग रही थी। उसने मुस्कुराने की कोशिश करी लेकिन मुझसे आँख नहीं मिला पा रही थी। उस मेरी टेबल के पास आई, मुझे लग ही रहा था की कुछ ठीक नहीं है और फिर उसने कह ही दिया: "तुम वैसे नहीं लगते जैसा मैंने सोचा था। मैं तुम्हे पसंद करती हूँ, लेकिन एक दोस्त की तरह..."

मुझे पता था की वो क्या कहना चाह रही थी - मुझे उसकी हमदर्दी की ज़रुरत नहीं थी लेकिन मुझे भी नहीं समझ आ रहा था की मैं कैसी प्रतिक्रिया दूँ।

मैं अभी तक इस हादसे से बाहर नहीं निकल पाया हूँ और अभी तक किसी और लड़की से मिलने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाया हूँ। भावनात्क तौर पर मुझे तकलीफ ज़रूर मिली है की मुझे मेरे गंजे होने की वजह से उसने छोड़ दिया।

पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।

यह लेख सबसे पहले 25 जनवरी 2013 को प्रकाशित हुआ थाI

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Praveen bête kyun naa aap pure pyaar aur vishwaash ke saath untak yeh baat rakhein. Lekin haan bete khud ko mentally unki HAAN aur NAA dono ke liye tyyar bhi rakhiye. All the best. https://lovematters.in/hi/love-and-relationships/meeting-someone/how-to-date https://lovematters.in/hi/our-bodies/male-body/mens-hygiene Yadi aap is mudde par humse aur gehri charcha mein judna chahte hain to hamare discussion board “Just Poocho” mein zaroor shamil ho! https://lovematters.in/en/forum
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